18 Jamadi-ul-Akhir | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

18 Jamadi-ul-Akhir | Sirf Panch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

हज्जतुल विदाअ में आखरी खुतबा

९ जिल हज्जा १० हिजरी में हुजूर (ﷺ) ने मैदाने अरफ़ात में एक लाख से ज़ियादा सहाब-ए-किराम के सामने आखरी खुतबा दिया, जो इल्म व हिकमत से भरा हुआ था और पूरी इन्सानियत का जामे दस्तूर था।

इसमें आप (ﷺ) ने फर्माया : ऐ लोगो! मेरी बातें गौर से सुनो ! शायद आइन्दा साल मेरी तुमसे मुलाक़ात न हो सके। लोगो ! तुम्हारी जानें, इज्जत व आबरू और माल आपस में एक दूसरे पर हराम है, मैंने जमान-ए-जाहिलियत की तमाम रस्मों को अपने पैरों तले रौंद दिया है, देखो ! मेरे बाद गुमराह न हो जाना के एक दूसरे को क़त्ल करने लगो, मैं तुम्हारे लिये अल्लाह की किताब छोड़कर जा रहा हूँ, अगर तुम इस को मजबूती से पकड़े रहोगे, तो कभी गुमराह नहीं होंगे, तुम्हारा औरतों पर और औरतों का तुम पर हक है, किसी औरत को अपने शौहर के माल में से उसकी इजाजत के बगैर कुछ देना जाइज नहीं है, और क़र्ज़ वाजिबुल अदा है जो चीज़ माँग कर ली जाए उस को लौटाना जरूरी है और जामिन तावान का जिम्मेदार है,

लोगो! क्या मैं ने अल्लाह का पैगाम तुम तक पहुँचा दिया? सब ने जवाब दिया बिलाशुबा आपने अमानत का हक़ अदा कर दिया और उम्मत को खैर ख्वाही की नसीहत फ़रमाई, फिर आपने आसमान की तरफ उंगली उठा कर तीन मर्तबा अल्लाह तआला को गवाह बनाया और कहा: ऐ अल्लाह! तू गवाह रहना, ऐ अल्लाह! तू गवाह रहना, ऐ अल्लाह ! तु गवाह रहना।

📕 इस्लामी तारीख

To be Continued ...


2. हुजूर (ﷺ) का मुअजिजा

हुजूर (ﷺ) को गैबी मदद

सहाब-ए-किराम फर्माते हैं के हम एक सफर में अल्लाह के रसूल के साथ चार सौ आदमी थे।

हम लोगों ने ऐसी जगह पड़ाव डाला जहाँ पीने के लिये पानी नहीं था। हम सब घबरा गए, इतने में एक छोटी सी बकरी अल्लाह के रसूल (ﷺ) के सामने आकर खड़ी हो गई। आपने उस का दूध दूहा और फिर खूब सैर हो कर पिया और अपने सहाबा को भी पिलाया हत्ता के सब सैर हो गए।

उसके बाद उस बकरी को बाँध दिया गया, सुबह को उठ कर देखा, तो वह बकरी गायब थी। हुजूर (ﷺ) को खबर दी गई, तो आप (ﷺ) ने फर्माया: "जो अल्लाह उसको लाया था वही उसे ले गया।"

📕 बैहकी फी दलाइलिन्नुबबह: २३८१


3. एक फर्ज के बारे में

इल्म हासिल करना फ़र्ज़ है

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“इल्म हासिल करना हर मुसलमान पर फर्ज है।”

📕 इब्ने माजा: २२४

फायदा : हर मुसलमान पर इल्मे दीन का इतना हासिल करना फर्ज है के जिस से हलाल व हराम में तमीज़ कर ले और दीन की सही समझ बूझ, इबादात के तरीके और सही मसाइल की मालमात हो जाए।


4. एक सुन्नत के बारे में

क़ब्र के जियारत की दुआ

रसूलुल्लाह (ﷺ) सहाब-ए-किराम को जियारते कुबूर (क़ब्र के जियारत) की यह दुआ सिखाते थे:

اَلسَّلَامُ عَلَیْکُمْ اَھْلَ الدِّیَارِ مِنَ الْمُؤْمِنِیْنَ وَالْمُسْلِمِیْنَ ،وَاِنَّااِنْ شَآئَ اللّٰہُ بِکُمْ لَلاَحِقُوْنَ أَسْأَلُ اللّٰہَ لَنَا وَلَکُمُ الْعَافِیَةَ۔

Assalamualaikum ya ahlad diyaar minal mu’mineena wal muslemeen.wainna insha allahu bikum lahiqoon.asalullahu lana walakumul aafiya.

तर्जमा : सलाम हो तुम पर ऐ इस इस बस्ती के मोमिनो और मुसलमानो ! और हम भी इन्शाअल्लाह तुम्हारे साथ मिलने वाले हैं, हम अपने और तुम्हारे लिये अल्लाह से आफियत चाहते हैं।

📕 मुस्लिम : २२५७, अन बुरैदा (र.अ)


5. एक अहेम अमल की फजीलत

मुसाफा से गुनाहों का झड़ना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

"जब मोमिन दूसरे मोमिन से मिल कर सलाम करता है और उस का हाथ पकड़ कर मुसाफा करता है, तो उन दोनों के गुनाह इस तरह झड़ते हैं जैसे दरख्त के पत्ते गिरते हैं।"

📕 तबरानी औसत : २५०, अन हुजैफा (र.अ)


6. एक गुनाह के बारे में

यतीमों का माल खाने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

"यतीमों के माल उन को देते रहा करो और पाक माल को नापाक माल से न बदलो और उन का माल अपने मालों के साथ मिला कर मत खाओ ऐसा करना यकीनन बहुत बड़ा गुनाह है।"

📕 सूरह निसा : २


7. दुनिया के बारे में

माल व औलाद क़ुर्बे खुदावन्दी का जरिया नहीं

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : 

"तुम्हारे माल और तुम्हारी औलाद ऐसी चीज़ नहीं जो तुम को दर्जे में हमारा मुकर्रब बना दे, मगर हाँ! जो ईमान लाए और नेक अमल करता रहे, तो ऐसे लोगों को उनके आमाल का दूगना बदला मिलेगा और वह जन्नत के बाला खानों में आराम से रहेंगे।"

📕 सूरह सबा : ३७


8. आख़िरत के बारे में

गुनहगारों के साथ क़ब्र का सुलूक

रसलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

"जब गुनहगार या काफिर बन्दे को दफन किया जाता है, तो क़ब्र उससे कहती है : तेरा आना नामुबारक हो, मेरी पीठ पर चलने वालों में तू मुझे सब से ज़ियादा ना पसन्द था, जब तू मेरे हवाले कर दिया गया है और मेरे पास आ गया है, तो तू आज मेरी बद सुलूकी देखेगा, फिर क़ब्र उस को दबाती है और उस पर मुसल्लत हो जाती है, तो उस की पसलियाँ एक दूसरे में घुस जाती है।"

📕 तिर्मिज़ी : २४६०, अन अबी सईद (र.अ)


9. तिब्बे नबवी से इलाज

खरबूजे के फवाइद

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

"खाने से पहले खरबूजे का इस्तेमाल पेट को बिल्कुल साफ कर देता है और बीमारी को जड़ से खत्म कर देता है।"

📕 इब्ने असाकिर : ६/१०२


10. नबी (ﷺ) की नसीहत

दरवाजों के किनारों पर खड़े होकर सलाम करो

रसूलुल्लाह (ﷺ) जब किसी के घर के दरवाज़े पर आते,
तो बिल्कुल सामने खड़े ना होते,
बल्क़ि दायीं तरफ या बायीं तरफ तशरीफ फ़रमा होते
और "अस्सलामु अलैकुम" फ़रमाते।

📕 अबू दाऊद: 5986, अन अब्दुल्लाह बिन बुन (र.अ)

[icon name=”info” prefix=”fas”] इंशा अल्लाहुल अजीज़ ! पांच मिनिट मदरसा सीरीज की अगली पोस्ट कल सुबह ८ बजे होगी।

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