7. सफर | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

7 सफर | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा 
7 Safar | Sirf Paanch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

हजरत अय्यूब (अ.स)

हजरत अय्यूब (अ.स) हजरत इस्हाक (अ.स) की औलाद में से हैं। उनका शुमार अरब के पैगम्बरों में होता है। वह अल्लाह तआला के नेक और बड़े साबिरशाकिर बंदे थे। उन्होंने सब्र व शुक्र की ऐसी मिसाल पेश की के खुद अल्लाह तआला ने उनके सब्र व तकवा की शहादत दी। वह एक कामयाब ताजिर और मामलात में हददर्जा अमानतदार होने के साथ तकवा व परहेज़गारी में भी बेमिसाल थे।

गरीबों को खाना खिलाते, बेवाओं, मिस्कीनों और तंगदस्तों की खूब मदद किया करते थे। अल्लाह तआला ने उन्हें बहुत माल व दौलत और औलाद से नवाज़ा था फिर सख्त आज़माइश और इम्तेहान में मुब्तला किया और अता करदा माल व दौलत और औलाद सब कुछ वापस ले लिया और खद वह अठारा साल तक बीमारी में मुब्तला रहे। 

मगर इस कड़ी आजमाइश में भी, कभी भी अपनी जबान से शिकवा शिकायत नहीं किया। और हमेशा सब्र व शुक्र ही करते रहे और अल्लाह तआला से दुआएं माँगते रहे। अल्लाह तआला ने उन की दुआ कबूल फ़रमाई और सब्र के बदले में उन्हें पहले से जियादा माल व दौलत और औलाद से नवाज़ा और बीमारी से नजात देकर सेहत व तंदुरुस्ती अता फ़रमाई।

📕 इस्लामी तारीख


2. अल्लाह की कुदरत

परिन्दों का फिज़ा में उड़ना

अल्लाह तआला ने परिन्दों को पर अता फर्माए जिन से वह उड़ते हैं, कभी परों को फिजा में फैलाए रहते हैं और कभी समेट लेते हैं, दोनों हालतों में वह फिज़ा में मौजूद रहते हैं। और वज़नी होने के बावजूद जमीन पर नहीं गिरते, उन्हें फिज़ा में कौन रोके रखता है? 

अल्लाह तआला ने उन परिन्दों को अपनी कुदरत से फ़ज़ा में उड़ने की सलाहियत से नवाज़ा है।

अल्लाह तआला कुरआन में फर्माता है:
“क्या वह लोग अपने ऊपर उड़ने वाले परिन्दों को नहीं देखते के पर फैलाए हुए (उड़ते फिरते) हैं और (कभी इसी हालत में) पर समेट लेते हैं (और दोनों हालतों में वज़नी होने के बावजूद जमीन और आसमान के दर्मियानी फजा में फिरते रहते हैं उन्हें खुदाए रहमान ही (फ़ज़ा में) थामे हुए है, बेशक हर चीज़ उसकी निगाह में है। [सूरह मुल्क : १९]

📕 अल्लाह की कुदरत


3. एक फर्ज के बारे में

अजाने जुमा के बाद दुनियावी काम छोड़ देना

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है,

“ऐ ईमान वालो ! जुमा के दिन जब (जुमा की) नमाज़ के लिए अजान दी जाए, तो (सब के सब) अल्लाह की तरफ़ दौड़ पड़ो और ख़रीद व फ़रोख्त छोड़ दो। यह तुम्हारे लिए बेहतर है, अगर तुम जानते हो।”

📕 सूरह जुमा: ९

खुलासा: जुमा की अजान सुनने के बाद फौरन जुमा के लिये निकलने की तय्यारी करना और सारे दुनियावी काम काज का छोड़ना जरुरी है।


4. एक सुन्नत के बारे में

गुस्ल से पहले वुजू करना

हज़रत आयशा (र.अ) बयान करती हैं के :

“रसूलुल्लाह (ﷺ) जब गुस्ले जनाबत करते, तो पहले दोनों हाथों को धोते फिर नमाज़ की तरह वुजू फरमाते।”

📕 बुखारी : २४८


5. एक अहेम अमल की फजीलत

मरीज़ के अयादत की फ़ज़ीलत

हज़रत अली (रज़ीअल्लाहु अन्हु) कहते है के ;

“जो शख्स किसी बीमार की दिन के आखिर हिस्से (शाम) में अयादत करता है तो इसके साथ सत्तर हज़ार फ़रिश्ते निकलते है और फज़र तक इस के लये मगफिरत की दुआ करते है, और इस के लिए जन्नत में एक बाग़ होता है, और जो शख्स दिन के इब्तेदाई (सुबह) में अयादत के लिए निकलता है इसके लिए सत्तर हज़ार फ़रिश्ते निकलते और शाम तक इस के लिए दुआ-ऐ-मग़फ़िरत करते है और इसके लिए जन्नत में एक बाग़ है।”

📕 सुनन अबू दावूद 3098


6. एक गुनाह के बारे में

गैर अजनबी औरत से मिलने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“तुम में से किसी के सर में लोहे की कील ठोंक दिया जाना इस से बेहतर है के वह किसी ऐसी (अजनबी) औरत को छुए जो उसके लिये हलाल नहीं है।”

📕 तबरानी कबीर : १६८८०


7. दुनिया के बारे में

माल का ज़ियादा होना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने इरशाद फर्माया :

“उस वक़्त तक क़यामत नहीं आएगी जब तक तुम्हारे अन्दर माल की इतनी कसरत न हो जाए के वह बहने लगे, यहाँ तक के माल वाले आदमी को इस बात पर रंज व ग़म होगा के उस से कौन सदक़ा क़बूल करेगा? वह एक आदमी को सद्के के लिये बुलाएगा तो वह कह देगा के मुझे इस की कोई जरूरत नहीं।”

📕 मुस्लिम: २३४०, अन अबी हुरैरह (र.अ)


8. आख़िरत के बारे में

जन्नत की सिफात

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“वह घर हमेशा रहने के बाग़ हैं, जिन में परहेजगार लोग दाखिल होंगे। उन बागों के नीचे दूध, शहद और पाकीज़ा शराब की नहरें बह रही होंगी, जिस चीज़ को उनका जी चाहेगा वह उन को वहाँ मिलेगी। अल्लाह तआला परहेजगारों को ऐसा ही बदला दिया करता है।”

📕 सूर नहल: ३१


9. तिब्बे नबवी से इलाज

जियादा देर धूप में बैठने के नुक्सानात

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:

धूप में बैठने से बचो, क्योंकि उस से कपड़े खराब होते हैं (बदन से) बदबू फूटने लगती है और दबी हुई बीमारियाँ उभर आती हैं।”

📕 मुस्तदरक: ४२६४, अन इब्ने अब्बास (र.अ)


10. कुरआन की नसीहत

माल और औलाद अल्लाह से गाफिल न कर दें

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:

“ऐ ईमान वालो ! तुम्हारे अम्वाल और औलाद तुम्हें अल्लाह के जिक्र से गाफिल न कर दें और जो शख्स ऐसा करेगा, तो वही लोग नुक्सान में पड़ने वाले है।“

📕 सूरह मुनाफिकून : १

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