17 Rajjab | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

17 Rajjab

1. इस्लामी तारीख

हज़रत अबू उबैदह बिन जर्राह (र.अ)

हजरत अबू उबैदह बिन जर्राह (र.अ) का अस्ल नाम आमिर बिन अब्दुल्लाह है। वह भी उन मुबारक हस्तियों में हैं जिन्हें रसूलुल्लाह (ﷺ) ने दुनिया में ही जन्नत की खुशखबरी दे दी थी। गज्व-ए-उहुद के दिन जब रसूलुल्लाह के चेहर-ए-मुबारक में खौद (लोहे की टोपी) की दो कड़ियां दाखिल हो गई थीं तो उसे अबू उबैदह ने अपने दांतों से पकड़ कर खींचा था जिसकी वजह से उन के सामने के दो दांत टूट गए थे।

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने उन के बारे में फर्माया : “हर उम्मत के लिए एक अमीन (अमानतदार) होता है और मेरी उम्मत के अमीन अबू उबैदह बिन जर्राह (र.अ) हैं।”

एक मर्तबा हज़रत उमर (र.अ) ने उनसे मुलाकात की तो देखा की ऊँट के कजावे की चादर पर लेटे हुए हैं और घोड़े को दाना खिलाने वाले थैले को तकिया बनाया है। हजरत उमर (र.अ) ने उन से फ़र्माया के आपने अपने साथियों की तरह मकान व सामान क्यों नहीं बना लिया, इस पर अबू उबैदह (र.अ) ने फ़र्माया: “कब्र तक पहुँचने के लिए यह सामान काफ़ी है।”

उनकी वफ़ात सन १८ हिजरी में मुल्के शाम में हुई।


2. अल्लाह की कुदरत

पानी अल्लाह की नेअमत

पानी अल्लाह तआला की अजीम नेअमत है, जिस के बगैर कोई मख्लूक़ ज़िन्दा नहीं रह सकती। चुनान्चे अल्लाह तआला ने कहीं झील, दरिया, नदी की शक्ल में, तो कहीं समन्दर और मिट्टी की तह में पानी पैदा कर के काबिले इस्तेमाल बनाया, जिससे इन्सानी जिन्दगी बहाल रह सके, फिर इस अजीम नेअमत को बिल्कुल आम कर दिया,

अल्लाह की कुदरत पर कुर्बान जाइये! के दुनिया जबसे कायम हुई है उस वक्त से पानी इस्तेमाल होता आ रहा है और न जाने कब तक इस्तेमाल होता रहेगा, मगर उस की कुदरत के खजाने में कोई कमी नहीं आई।


3. एक फ़र्ज़ के बारे में

इल्म हासिल करना फ़र्ज़ है

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“इल्म हासिल करना हर मुसलमान पर फर्ज है।”

[ इब्ने माजा : २२४, अन अनस बिन मालिक (र.अ) ]


4. एक सुन्नत के बारे में

रुखसत के वक्त मुसाफह करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) जब किसी को रुखसत फर्माते तो,
“उस का हाथ अपने हाथ में ले लेते और उस वक्त तक (उस का हाथ) न छोड़ते,जब तक के वह आपके हाथ को खूद न छोड़ दे।”

[ तिर्मिजी: ३४४२ ]


5. एक अहेम अमल की फजीलत

बेवा और मिस्कीन की मदद करने पर सवाब

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“बेवा और मिस्कीनों की जरुरत पूरी करने वाला, अल्लाह के रास्ते के मुजाहिद की तरह या तो दिन में रोजा रखने वाले और रात भर नमाज़ पढ़ने वाले की तरह है।”

[ बुखारी : ६००६ ]


6. एक गुनाह के बारे में

पड़ोसी को सताने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“वह आदमी जन्नत में दाखिल न होगा जिसके जुल्म व सितम से उस के पड़ोसी महफूज न हो। (क्योंकि पड़ोसी को सताना हराम है)”

[ मुस्लिम १७२ ]


7. दुनिया के बारे में

ऐश व इशरत से बचना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हज़रत मुआज़ (र.अ) को जब यमन भेजा तो फर्माया के

“नाज व नेअमत की जिंदगी से बचना इस लिए के अल्लाह के बंदे ऐश व इशरत करने वाले नहीं होते।”

[ मुसनदे अहम: २१६१३]


8. आखिरत के बारे में

मुजरिमों के खिलाफ आज़ाह की गवाही

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:

“यही वह जहन्नम है, जिस का तुमसे वादा किया जाता था, आज तुम अपने कुफ्र की वजह से इस में दाखिल हो जाओ, आज हम उनके मुंह पर मोहर लगा देंगे और जो कुछ यह करते थे, उन के हाथ हमसे बयान कर देंगे और उनके पाँव उसकी गवाही देंगे।”

[ सूरह यासीन ६३ ता ६५ ]


9. तिब्बे नब्वी से इलाज

मुनक्का (Black Currant) से पट्ठे वगैरह का इलाज

हज़रत अबू हिंददारी (र.अ) कहते हैं के रसूलुल्लाह (ﷺ) की खिदमत में मुनक्का का तोहफा एक बंद थाल में पेश किया गया, आप (ﷺ) ने उसे खोल कर इर्शाद फर्माया :

“बिस्मिल्लाह कह कर खाओ। मुनक्का बेहतरीन खाना है जो पठ्ठों को मजबूत करता है, पुराने दर्द को खत्म करता है, गुस्से को ठंडा करता है और मुँह की बदबू को ज़ाइल करता है, बलगम को निकालता है और रंग को निखारता है।”

[ तारीखे दिमश्क इब्ने असाकिर : २१:६०]


10. नबी की नसीहत

अदल व इंसाफ के साथ फैसला किया करो

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:

“जब तुम लोगों के दर्मियान फैसला करने लगो, तो अदल व इन्साफ के साथ फैसला किया करो, बेशक अल्लाह तआला जिस बात की तुम को नसीहत करता है यकीन जानो बहुत ही अच्छी है।”

[ सूरह निसा ४:५८ ]


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