30. रबी उल आखिर | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

30 Rabi-ul-Akhir | Sirf Panch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

मदीना में हुजूर (ﷺ) का इस्तिकबाल

कुबा में चौदा दिन कयाम फ़र्मा कर रसूलुल्लाह (ﷺ) मदीना तय्यिबा के लिये रवाना हो गए, जब लोगों को आप के तशरीफ लाने का इल्म हुआ, तो खुशी में सब के सब बाहर निकल आए और सड़क के किनारे खड़े हो गए, सारा मदीना “अल्लाहु अक्बर” के नारों से गूंज उठा, अंसार की बच्चियाँ खुशी के आलम में यह अश्आर पढ़ने लगीं:

“तर्जुमा: “रसूलुल्लाह (ﷺ) की आमद ऐसी है के गोया के वदअ पहाड़ की घाटियों से चौदहवीं का चाँद निकल आया हो, लिहाज़ा जब तक दुनिया में अल्लाह का नाम लेने वाला बाकी रहेगा, उन का शुक्र हम पर वाजिब रहेगा, ऐहम में मबऊस होने वाले! आपमाने वाले अहकामात लाए हैं।”

और बनू नज्जार की लड़कियाँ दफ बजा बजाकर गा रही थीं:
“तर्जुमा: “हम खानदाने नज्जार की लड़कियाँ हैं, मुहम्मद (ﷺ) क्या ही अच्छे पड़ोसी हैं।”

हज़रत अनस बिन मालिक (र.अ) फ़र्माते हैं के मैं ने कोई दिन उस से ज़ियादा हसीन और रौशन नहीं देखा, जिस दिन रसूलुल्लाह (ﷺ) हमारे यहाँ (मदीना) तशरीफ लाए।

📕 इस्लामी तारीख


2. हुजूर (ﷺ) का मुअजीजा

किला फतह होना

जंगे खैबर के दिन चन्द आदमी रसूलुल्लाह (ﷺ) के पास आ कर भूक की शिकायत करने लगे और रसूलुल्लाह (ﷺ) से सवाल करने लगे, लेकिन हुजूर (ﷺ) के पास कोई चीज़ न थी, तो आप ने अल्लाह तआला से दुआ की :

या अल्लाह ! तू इन की हालत से वाकिफ है, इन के पास खाने के लिये ही कुछ भी नहीं और न ही मेरे पास है के मैं इन को दूँ, या अल्लाह ! तू इन के लिये खैबर का ऐसा किला फतह करदे जो सब किलों में माल व दौलत के एतेबार से जियादा फरावानी रखता हो,

चुनान्चे अल्लाह तालाने सअब बिन मुआज का किला फतह कर दिया जो खैबर के सब किलों में मालदार था।

📕 बैहक़ी फी दलाइलिन्नुबुबह : १५६७


3. एक फर्ज के बारे में

वालिदैन के साथ एहसान का मामला करो

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“तुम्हारे रब (अल्लाह) ने फैसला कर दिया है उसके के अलावा किसी और की इबादत न करो और वालिदैन के साथ एहसान का मामला करो।”

📕 सूरह बनी इस्राईल : २३

खुलासा: माँ बाप की खिदमत करना और उनके साथ अच्छा बरताव करना फर्ज है।


4. एक सुन्नत के बारे में

खाना खाते वक्त टेक न लगाना

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“मैं टेक लगा कर नहीं खाता हूँ।”

📕 बुखारी: ५३९८

फायदा: बिला उज्र टेक लगा कर खाना सुन्नत के खिलाफ है।


5. एक अहेम अमल की फजीलत

नमाज के लिये मस्जिद जाना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“जो शख्स सुबह व शाम मस्जिद जाता है अल्लाह तआला उस के लिये जन्नत में मेहमान नवाज़ी का इंतिज़ाम फ़रमाता हैं, जितनी मर्तबा जाता है उतनी मर्तबा अल्लाह तआला उस के लिये मेहमान नवाज़ी का इंतिज़ाम फ़रमाता हैं।”

📕 बुखारी:662, अन अबी हुरैरह (र.अ)


6. एक गुनाह के बारे में

कुरआन का मजाक उड़ाने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“जब इन्सान के सामने हमारी आयतें पढ़ी जाती हैं, तो कहता है के यह पहले लोगों के किस्से कहानियां हैं। हरगिज़ नहीं! बल्के उन के बुरे कामों के सबब उन के दिलों पर जंग लग गया है।”

📕 सूरह मुतफ्फिफीन: १३ ता १४


7. दुनिया के बारे में

माल की मुहब्बत खुदा की नाशुक्री का सबब है

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“इन्सान अपने रब का बड़ा ही नाशुक्रा है, हालाँ के उसको भी इस की खबर है (और वह ऐसा मामला इस लिये करता है) के उस को माल की मुहब्बत ज़ियादा है।”

📕 सूरह आदियात: ६ ता ८


8. आख़िरत के बारे में

हर शख्स मौत के बाद अफसोस करेगा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

हर शख्स मौत के बाद अफसोस करेगा, सहाबा ने अर्ज किया: या रसूलअल्लाह (ﷺ) ! किस बात का अफसोस करेगा? आप (ﷺ) ने फ़र्माया : अगर नेक है, तो जियादा नेकी न करने का अफसोस करेगा और अगर गुनहगार है तो गुनाह से न रूकने पर अफसोस करेगा।

📕 तिर्मिज़ी : २४०३


9. तिब्बे नबवी से इलाज

तलबीना से इलाज

हजरत आयशा (र.अ) बीमार के लिये तलबीना तय्यार करने का हुकम देती थीं
और फर्माती थीं के मैंने हुजूर (ﷺ) को फ़र्माते हुए सुना के:

“तलबीना बीमार के दिल को सुकून पहुँचाता है और रंज व ग़म को दूर करता है।”

📕 बुखारी: ५६८९

फायदा: जौ (बरली) को कट कर दूध में पकाने के बाद मिठास के लिए इस में शहद डाला जाता है; इस को तलबीना कहते हैं।


10. नबी की नसीहत

औरतो से उनकी दिनदारी की वजह से निकाह करो

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

“औरत से चार चीजों की वजह से निकाह किया जाता है। उसके माल, हसब नसब, खूबसूरती और दीनदारी की वजह से। तुम्हारा भला हो! तुम दीनदार औरत को पसन्द कर के कामयाब हो जाओ।”

📕 बुखारी : ५०९०, अन अबी हुरैरह (र.अ)

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