24. मुहर्रम | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

24. मुहर्रम | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा 
24 Muharram | Sirf Paanch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

हजरत इस्माईल (अ.स)

हजरत इस्माईल (अ.स) हजरत इब्राहीम (अ.स) के बड़े फरजन्द थे। कुरआने करीम में उनका तजकर आठ जगहों पर आया है। हुजूर (ﷺ) और अरब के मशहूर और बाइज्ज़त खान्दान कुरैश का तअल्लक भी उन्हीं की नस्ल से है।

पैदाइश के बाद हजरत इब्राहीम अल्लाह तआला के हुक्म के मुताबिक उन्हें उनकी वालिदा के साथ बैतुल्लाह के करीब चटियल मैदान में छोड़कर चले गए थे। जब खाने पर का सामान खत्म हो गया, तो हज़रत इस्माईल की तरबियत व परवरिश के लिये अल्लाह ताला ने जमजम का चश्मा जारी कर दिया, जो आज तक मौजूद है। 

इत्तेफाक से बनू जुरहुम का एक काफिला उधर से गुजरा तो उस चश्मे को देख कर हजरत हाजरा (र.अ) से उस जगह बसने की इजाजत चाही। इजाजत मिलते ही बैतुल्लाह के आस पास एक बस्ती आबाद हो गई। जब अल्लाह तआला ने हजरत इब्राहीम से हज़रत इस्माईल की कुर्बानी तलब फर्माई, तो दोनों बखुशी तय्यार हो गए और बाप बेटे को कुर्बान करने के लिये चल पड़े, जब छुरी गर्दन पर चलने लगी तो अल्लाह तआला ने खुश हो कर उसकी जगह जन्नत से दुंबा भेजा, फिर उस की कुर्बानी की, चुनान्चे इसी की याद में ईदुल अजहा के मौके पर जानवरों की कुर्बानी का सिलसिला हमेशा के लिये जारी किया गया, फिर कबील-ए-बनु जुरहुम में हज़रत इस्माईल की शादी हुई। 

हजरत इस्माईल ने १३७ साल की उम्र में वफात पाई और अपनी वालिदा माजिदा के पहेलू में हरम शरीफ में दफन हुए।

और भी पढ़े :
हजरत इस्माईल अलैहि सलाम | कसस उल अम्बिया

📕 इस्लामी तारीख


2. हुजूर (ﷺ) का मुअजिजा

अहद नामे को कीड़े के खाने की खबर देना

जिस वक़्त कुफ्फारे कुरैश ने आप (ﷺ) और आपके असहाब का बाइकाट कर दिया था, तो आपने इस अहदनामे के मुतअल्लिक़ जिस में बाइकाट की दफ़्आत थीं,यह खबर दी के उसे कीड़ों ने खा लिया है और उसमें सिर्फ अल्लाह के नाम को बाकी छोड़ा है, लिहाजा यह सुन कर अबू तालिब ने कुफ्फारे कुरैश को बतौर चैलेंज कर के कहा: अगर मेरे भतीजे की यह बात ग़लत है, तो मैं उन को तुम्हारे हवाले कर दूँगा। चुनान्चे जब उन लोगों ने इस अहदनामे को देखा तो वैसे ही पाया जैसा के खबर दी गई।`

बाइकाट के बारे तफ्सील में पढ़े : सीरतून नबी सीरीज पार्ट १३

📕 बैहकी फी दलाइलिन्नुबुव्वह: ६०६


3. एक फर्ज के बारे में

गुस्ल के लिए तयम्मुम करना

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:

“अगर तुम बीमार हो जाओ, या सफर में हो या तुम में से कोई शख्स अपनी तबई जरुरत (यानी पेशाब पाखाना कर के) आया हो या अपनी बीवी से मिला हो और तुम पानी (के इस्तेमाल पर) ताकत न रखते हों, तो ऐसी हालत में तुम पाक मिट्टी का इरादा करो (यानी तय्यमुम कर लो)।”

📕 सूरह माइदा: ६

खुलासा: अगर किसी पर गुस्ल फर्ज हो जाए और पानी इस्तेमाल करने की ताकत न हो, तो ऐसी सूरत में गुस्ल के लिए तयम्मुम कर के नमाज़ पढ़ना फर्ज है और तयम्मुम का तरीका यह है के पहले निय्यत करे, फिर एक मर्तबा दोनों हाथों को मिट्टी पर मार कर अपने मुंह पर फेरे और दूसरी मर्तबा दोनों हाथों को मिट्टी पर मार कर कोहनियों तक फेर ले।


4. एक सुन्नत के बारे में

खुशखबरी सुन कर दुआ पढ़ना

रसुलल्लाह (ﷺ) जब कोई खुशी की बात देखते तो यह दुआ पढ़ते: 

तर्जमा : तमाम तारीफें अल्लाह के लिये हैं जिस की नेअमतों से तमाम अच्छाइयां मुकम्मल होती हैं।

मुस्तदरक: १८४०, इब्ने माजा: ३८०३, अन आयशा (र.अ)

📕 मुस्तदरक: १८४०, इब्ने माजा: ३८०३, अन आयशा (र.अ)


5. एक अहेम अमल की फजीलत

जुमा के दिन सूरह कहफ पढ़ना

रसलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“जो शख्स जुमा के दिन सूरह कहफ पढ़ेगा, उस के लिये एक जुमा से दूसरे जुमा के दर्मियान एक नूर चमकता होगा।”

📕 मुस्तदरक : ३३९२, अन अबी सईद (र.अ)


6. एक गुनाह के बारे में

अल्लाह की आयतों को न मानने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“हर उस झूटे गुनहगार के लिये बड़ी तबाही होगी, जो अल्लाह की आयतों को सुनता है, जब वह उसके सामने पढ़ी जाती है, फिर भी वह तकब्बुर करता हुआ (अपने कुफ्र पर इसी तरह) अड़ा रहता है, गोया उस ने उन आयतों को सुना ही नहीं, तो आप ऐसे शख्स को दर्दनाक अज़ाब की खबर सुना दीजिये।”

📕 सूरह जासिया : ७ ता ८


7. दुनिया के बारे में

जो कुछ खर्च करना है दुनिया ही में कर लो

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:

“हम ने तुम को जो कुछ दिया है, उस में से खर्च करो, इस से पहले के तूम में से किसी को मौत आ जाए और फिर (मौत को देख कर) कहने लगे के ऐ मेरे रब! तूने मुझ को और थोड़े दिनों की मोहलत क्यों न दी? ताके खूब खर्च कर के नेक लोगों में शामिल हो जाता।”

📕 सूरह मुनाफिकून : १०


8. आख़िरत के बारे में

जहन्नम को कैद कर के पेश किया जाएगा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: 

“जहन्नम को क़यामत के रोज़ सत्तर हजार लगामों के साथ पेश किया जाएगा और हर लगाम के साथ सत्तर हजार फरिश्ते होंगे, जो जहन्नम को घसीट कर लाएंगे।”

📕 मुस्लिम : ७९६४, अन इब्ने मसऊद (र.अ)


9. तिब्बे नबवी से इलाज

गाय के दूध का फायदा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“गाय का दूध इस्तेमाल किया करो, क्योंकि वह हर किस्म के पौदों को चरती है (इस लिए) उस के दूध में हर बीमारी से शिफा है।”

📕 मुस्तदरक: ८२२४, अन अब्दुल्ला बिन मसऊद (र.अ)


10. नबी (ﷺ) की नसीहत

अपने मेहमान के साथ खाओ

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“अपने मेहमान के साथ खाओ क्योंकि वह तन्हा खाने में शर्म महसूस करता है।”

📕 बैहकी की शुअबिलईमान : ९३०५, अन आयशा (र.अ)

Leave a Reply