22. मुहर्रम | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

22. मुहर्रम | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा 
22 Muharram | Sirf Paanch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

हजरत इब्राहीम (अ.स) की आज़माइश

हजरत इब्राहीम (अ.स) की पूरी जिन्दगी आजमाइशों से भरी हुई है, उन्हें बड़े बड़े इम्तेहान से गुजरना पड़ा। मगर हर मौके पर अल्लाह तआला ने उन्हें नजात दी। गौर कीजिये के जब उन के वालिद समेत पूरी कौम और बादशाहे वक़्त ने पैग़ामे हक सुनाने की वजह से दहेकती हुई आग में डालने का फैसला किया तो बातिल परस्तों का यह खतरनाक फैसला भी हजरत इब्राहीम (अ.स) के क़दमों को डगमगा न सका।

फिर जब बुढ़ापे की उम्र में दुआओं और हज़ार तमन्नाओं के बाद हजरत इस्माईल (अ.स) की पैदाइश हुई तो उन्हें बिल्कुल बचपन ही में, अपने से जुदा करने का अल्लाह तआला ने हुक्म दिया और जब वह कुछ बड़े हुए तो फिर अल्लाह तआला ने उन्हें अपने नाम पर कुर्बान करने का हुक्म दिया।

यह सब ऐसे सख्त मराहिल थे के जहाँ बड़े बड़े जवाँ मर्द के क़दम भी डगमगाने लगते है। मगर कुर्बान जाइये हज़रत इब्राहीम (अ.स) की कुर्बानी और जज्बए इताअत पर के हुक्म मिलते ही उस को पूरा करने के लिये तय्यार हो गए और एक वफादार इन्सान की तरह जो कुछ कर सकते थे कर गुजरे।

यकीनन उन की यह बेमिसाल इताअत व फर्माबरदारी पूरी उम्मत के लिये एक बेहतरीन नमूना और इबरत है।

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📕 इस्लामी तारीख


2. हुजूर (ﷺ) का मुअजिजा

एक प्याला दूध सब के लिये काफी हो गया

हज़रत अली (र.अ) रिवायत करते हैं के अब्दुल मुत्तलिब के खान्दान में चालीस आदमी थे।

एक मर्तबा आपने उन की दावत की, उन में कुछ लोग तो इतने मज़बूत थे के अकेले ही पूरी बकरी खा जाता और आठ सेर दूध पी जाता था। आप (ﷺ) ने एक साअ आटा और बकरी का एक पैर पकवाया, उसी में उन सब ने पेट भर कर खाया और रोटी बची रही, फिर आपने तीन चार आदमियों के पीने के लाएक एक बड़े प्याले में दूध मंगाया और सब को बुलाया, उन तमाम लोगों ने दूध सैर हो कर पिया, फिर भी पूरा दूध बच गया, ऐसा मालूम होता था के किसी ने पिया ही नहीं।

📕 बैहकी फी दलाइलिन्नुबुय्वह: ४८५


3. एक फर्ज के बारे में

दाढ़ी रखना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“मूंछों को कतरवाओ और दाढ़ी को बढ़ाओ।”

📕 बुखारी : ५८९३, अन इब्ने उमर (र.अ)

फायदा: दाढ़ी इस्लामी शिआर में से है और दाढ़ी रखना शरीअत में वाजिब है,
इस लिए मुसलमानों पर दाढ़ी रखना जरुरी है।


4. एक सुन्नत के बारे में

कपड़े पहनने की दुआ

❝ الحَمْدُ لِلهِ الَّذِي كَسَانِي هَذَا الثَّوْبَ وَرَزَقَنِيهِ مِنْ غَيْرِ حَوْلٍ مِنِّي وَلَا قُوَّةٍ ❞

अल्हम दुलिल लाहिल लज़ी कसानी हाज़ा व रज़क़निही मिन गैरी हव्लिम मिन्नी वला कुव्वह

तर्जुमा : तमाम तारीफ़ अल्लाह के लिए है जिस ने मुझे ये कपडा पहनाया और मेरी ताक़त कुव्वत के बगैर मुझ को ये अता फरमाया।

📕 अबू दावूद ४०२३


5. एक अहेम अमल की फजीलत

अल्लाह के वास्ते मुहब्बत करना

रसलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“अल्लाह तआला फर्माता है, जो लोग मेरी अजमत व जलाल की वजह से आपस में मुहब्बत रखते हैं (क़यामत के दिन) उन के लिये ऐसे नूर के मिम्बर होंगे, जिन पर अम्बिया और शोहदा भी रश्क करेंगे।”

📕 तिर्मिजी: २३९०, अन मआज बिन जबल (र.अ)


6. एक गुनाह के बारे में

अल्लाह और रसूल का हुक्म न मानने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“बिला शुबा जो लोग अल्लाह और उस के रसूल को (उन का हुक्म न मान कर) तकलीफ देते हैं, अल्लाह तआला उन पर दुनिया व आखिरत में लानत करता है। और उन के लिये जलील करने वाला अज़ाब तय्यार कर रखा है।”

📕 सूरह अहज़ाब : ५७


7. दुनिया के बारे में

अल्लाह ही रोजी तकसीम करता हैं

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:

“दुनियावी जिन्दगी में उन की रोज़ी हम ने ही तक़सीम कर रखी है और एक को दूसरे पर मर्तबे के एतेबार से फजीलत दे रखी है, ताके एक दूसरे से काम लेता रहे।”

📕 सूरह जुखरूफ : ३२


8. आख़िरत के बारे में

अदना दर्जे का जन्नती

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: 

“अदना दर्जे का जन्नती वह शख्स होगा जिस के लिए अस्सी हजार खिदमत गुज़ार होंगे और बहत्तर बीवियाँ होंगी और एक मोती ज़बर जद और याकूत से बना हुआ खेमा होगा, जिसकी लम्बाई मकामे जाबिया से मक़ामे सनआ के मानिन्द होगी।”

📕 तिर्मिजी: २५६२, अन अबी सईद खुदरी (र.अ)


9. तिब्बे नबवी से इलाज

दिल की कमज़ोरी का इलाज

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“तुम लोग सन्तरे का इस्तेमाल किया करो, क्योंकि यह दिल को मजबूत बनाता है।”

📕 कंजुल उम्माल : २८२५३

फायदा: मुहद्दिसीन तहरीर फर्माते हैं के इस का जूस पेट की गन्दगी को दूर करता है कय और मतली को खत्म करता है और भूक बढ़ाता है।


10. नबी (ﷺ) की नसीहत

दुनिया से बेरगबती रखने वाले मोमिन की दोस्ती इख़्तियार करो

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जब तुम किसी ऐसे मोमिन को देखो जिसे दुनिया से बेरगबती और कम बोलने की दौलत दी गई है तो तुम उस के पास रहा करो, इस लिये के वह हिकमत की बातें करता है।”

📕 तबरानी औसत : १९५६, अन अबी हुरैरह (र.अ)

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