1 रजब | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

1 Rajab | Sirf Panch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

हज़रत अबू बक्र सिद्दीक (र.अ)

हजरत अबू बक्र सिद्दीक़ (र.अ) कुरैश के खानदान में पैदा हुए, अबू बक्र आप की कुन्नियत है, नाम अब्दुल्ला, वालिद का नाम उस्मान और वालिदा का नाम सलमा था, आप बचपन ही से नेक तबीअत और सादा मिजाज इन्सान थे। जमान-ए-जहालत में आपने न कभी शराब पी और न कभी बूतों को पूजा।

उम्र में हुजूर (ﷺ) से ढाई साल छोटे थे, मगर आपसे बड़ी गहरी दोस्ती और सच्ची मुहब्बत थी, आपने हुजूर (ﷺ) के अख्लाक व आदात को बहुत करीब से देखा था,जब हुजूर (ﷺ) ने उनको इस्लाम की दावत दी और अपनी नुबुव्वत का एलान किया, तो मर्दो में सबसे पहले ईमान लाने की सआदत उन को नसीब हुई। और हुजूर (ﷺ) की नुबुव्वत की तस्दीक और जिन्दगी भर जान व माल से साथ देते हुए इस्लाम की तब्लीग में मशाल रहे।

मक्का की तेरह साला जिन्दगी में मुशरिको की तरफ़ से पहुँचाई जाने वाली हर किस्म की तकलीफ़ को बरदाश्त करते रहे, अहम मश्वरे और राज की बातें हुजूर (ﷺ) उन्हीं से करते थे। चुनान्चे हिजरत के मौके पर अबू बक्र सिद्दीकी (र.अ) ने आपके साथ गारे सौर में तीन दिन कयाम फरमाया, फिर वहाँ से मदीना मुनव्वरा तशरीफ़ ले गए, इस्लाम की हिफाजत के लिये हर मौके पर अपना माल खर्च करते रहे और दीन की सरबुलन्दी के लिये पूरी बहादुरी के साथ तमाम ग़ज़वात में शिरकत फरमाते रहे।


2. अल्लाह की कुदरत

मुश्क अल्लाह के खजाने से आता है

मुश्क एक बहुत ही कीमती खुशबू है, इस की पैदाइश का मामला बहुत ही अजीब व गरीब है। अल्लाह तआला ने एक जानवर बनाया है, जिसे हिरन कहते है; उस की नाफ़ में खुन जमा होता रहता है।

जो धीरे धीरे एक डले की शक्ल इख्तियार कर लेता है, उसी खून के डले में अल्लाह तआला ऐसी खुशबू पैदा कर देता है, जिस को हम मुश्क कहते हैं; हिरन की नाफ़ में मुश्क पैदा होने के बाद उसे तकलीफ़ होनी शुरू हो जाती है, तो वह दरख्तों से अपने आप को रगड़ने लगता है, जिससे वह डला जंगल में गिर जाता है और शिकारी उसे लेकर बाजारों में बेचते हैं।

यह अल्लाह ही की कुदरत है, जो एक जानवर के खूनसे मुश्क जैसी खुशबू पैदा कर देता है।


3. अल्लाह की कुदरत

इस्लाम की बुनियाद

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

इस्लाम की बुनियाद पांच चीज़ों पर है :
(१) इस बात की गवाही देना के अल्लाह के अलावा
कोई माबूद नहीं और मुहम्मद (ﷺ) अल्लाह के रसूल हैं।
(२) नमाज़ अदा करना। (३) ज़कात देना।
(४) हज करना। (५) रमज़ान के रोज़े रखना।”

[ बुखारी: ८ ]


4. एक सुन्नत के बारे में

सुन्नत ज़िन्दा करने की फजीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

जिस ने मेरी किसी ऐसी सुन्नत को जिन्दा किया जो मेरे बाद मिट चुकी थीं (यानी खत्म हो चुकी थी) तो उस को उतना ही सवाब मिलेगा जितना के उस सुन्नत पर अमल करने वालों को मिलेगा और उन अमल करने वाले लोगों के सवाब में से कोई कमी नहीं होगी।

और जिसने ऐसा तरीका जारी किया, जो अल्लाह और उसके नबी को ना पसंद है, तो जितने लोग उस गलत तरीके पर चलेंगे उन तमाम लोगों का गुनाह उस को मिलेगा और उनके गुनाह में से कोई कमी नही होगी।

[ इब्ने माजाह: २१० ]


5. एक अहेम अमल की फजीलत

नमाज़े इश्राक की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जो शख्स नमाज़े फज्र से फारिग हो कर मुसल्ले पर बैठा रहे (और मकरुह वक्त गुजर जाने) फिर दो रकात इशराक की नमाज़ पढ़े और इन दोनों नमाज़ों के दर्मियान की बातों के अलावा कुछ न बोले, तो उसके गुनाह माफ कर दिए जाएँगे, अगरचे समुन्दर के झाग से जियादा ही क्यों न हो।”

[ अबू दाऊद : १२८७ ]


6. एक गुनाह के बारे में

सूद खाने और खिलाने पर लानत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने सूद खाने वाले, खिलाने वाले, उस के लिखने वाले और उस की गवाही देने वाले पर लानत फ़र्माई; और फ़र्माया के गुनाह में सब बराबर हैं।

[ मुस्लिम : ४०५३ ]


7. दुनिया के बारे में

दुनिया दार का घर और माल

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“दुनिया उस शख्स का घर है जिस का (आखिरत में ) कोई घर नहीं। और (दुनिया) उस शख्स का माल है जिस का आखिरत में कोई माल नहीं और दुनिया के लिए वह शख्स(माल) जमा करता है जो ना समझ है।”

[ मुसनदे अहमद : २३८९८ ]


8. आरिवरत के बारे में

जन्नत के जेवरात

कुरआन अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“जो लोग ईमान लाए और नेक आमाल किए, अल्लाह तआला उन को (जन्नत के) ऐसे बागों में दाखिल करेगा जिन के नीचे नहरें जारी होंगी और उन बागों में उन को सोने के कंगन और मोती (के हार) पहनाए जाएंगे और उन का लिबास खालिस रेशम का होगा।”

[ सूरह हज : २३ ]


9. तिब्बे नबवी से इलाज

इलाज तकदीर के खिलाफ़ नहीं

हजरत अबू खिज़ामा (र.अ) बयान करते हैं के:
एक शख्स ने रसूलुल्लाह (ﷺ) से अर्ज किया:

“ऐ अल्लाह के रसूल ! हम लोग जो झाड़ फूंक (रुकया) और दवाओं का इस्तेमाल करते हैं और परहेज करते हैं, तो इस से तकदीरे इलाही की मुखालफत नहीं होती?

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : यह भी तक़दीरे इलाही है।

[ तिर्मिजी : २१४८ ]

वजाहत : जिस तरह मर्ज अल्लाह की तरफ़ से होता है इसी तरह मर्ज से बचने की तदबीरें भी अल्लाह ही की तरफ़ से वारिद हुई हैं, लिहाजा उन तदबीरों को इख्तियार करना तकदीर के खिलाफ़ नहीं है।


10. कुरआन की नसीहत

कुरआन दिलों की बीमारियों के लिए शिफा है

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“ऐ इन्सानो! तुम्हारे पास तुम्हारे रब की तरफ से एक ऐसा (कुरआन आ चुका है, जो बुरे कामों से रोकने के लिए) नसीहत है, और दिलों की बीमारियों के लिए शिफा है, और ईमान वालों के लिए हिदायत व रहमत है।”

[ सूरह यूनुस : ५७ ]


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