25 अप्रैल 2024

आज का सबक

सिर्फ पांच मिनिट का मदरसा क़ुरआन व सुन्नत की रौशनी में
Image Not Found

1. इस्लामी तारीख

ग़ज़व-ए-दौमतुल जन्दल

२५. रबीउल अव्वल सन ५ हिजरी में रसूलुल्लाह (ﷺ) को इत्तेला मिली के शाम की सरहद से करीब दौमतुल जन्दल के मुरिक क़बाइल ने काफलों पर डाके डाल रखे हैं और गुजरने वालों से सामान लूट लेते हैं, नीज़ यह भी मालूम हुआ के उन्होंने मदीना पर हमला करने के लिये एक बड़ी फौज जमा कर ली है।

इन खबरों के पेशे नज़र रसूलुल्लाह (ﷺ) ने सिबाअ बिन उरफुता गिफारी (र.अ) को मदीने का अमीर बनाया और सख्त गरमी, रेगिस्तानी सफर और नासाज़गार हालात के बावजूद एक हजार सहाबा का लश्कर ले कर उन के मुकाबले के लिये रवाना हो गए, मुसलमान शदीद गरमी की वजह से रात में सफर और दिन में आराम करते थे।

दस मंजिल तै करने के बाद सहाबा ने दौमतुल जन्दल पहुँच कर कयाम फ़रमाया, तो कुफफार पर आप (ﷺ) का सेब तारी हो गया और घबराहट के आलम में दौमतुल जन्दल के गवरनर के साथ भाग खड़े हुए, आप (ﷺ) सहाब-ए-किराम के हमराह जंग किये बगैर मदीना मुनव्वरा है वापस तशरीफ ले आए।

📕 इस्लामी तारीख

2. अल्लाह की कुदरत/मोजज़ा

गिजा और साँस की नालियाँ

अल्लाह तआला ने हमारे साँस लेने और खाने पीने की दो मुख्तलिफ नालियाँ बनाई हैं। खाने की नाली का ताल्लुक मेदे से है और साँस की नाली का ताल्लुक फेफड़े से है। जब इन्सान खाता है या पीता है, तो कुदरती तौर पर साँस की नाली का मुँह ढक्कन की तरह परदे से बंद हो जाता है और खाने की नाली के जरिये खाना मेदे में पहुँच जाता है।

यही खाना अगर हवा की नाली में दाखिल होकर फेफड़ों में पहुँच जाता, तो इंसान का जिंदा रहना मुश्किल हो जाता।

मगर अल्लाह तआला की कुदरत पर कुर्बान जाइये के दोनों नालियों के करीब होने के बावजूद साँस लेने और खाने पीने का हैरान कुन इंतजाम फ़र्मा दिया है।

📕 अल्लाह की कुदरत

3. एक फर्ज के बारे में

जन्नत में दाखले के लिये ईमान शर्त है

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“जिस शख्स की मौत इस हाल में आए, के वह अल्लाह तआला पर और क़यामत के दिन पर ईमान रखता हो, तो उससे कहा जाएगा, के तूम जन्नत के आठों दरवाज़ों में से जिस से चाहो दाखिल हो जाओ।”

📕 मुसनदे अहमद : ९८

4. एक सुन्नत के बारे में

5. एक अहेम अमल की फजीलत

नमाज़े गुनाहों को मिटा देती हैं

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने सहाबा से पूछा:

“अगर किसी के दरवाजे पर एक नहर हो और उसमें वह हर रोज़ पाँच बार गुस्ल किया करे, तो क्या उसका कुछ मैल बाकी रह सकता है? सहाबा ने अर्ज किया  के कुछ भी मैल न रहेगा।”

आप (ﷺ) ने फर्माया के :

यही हालत है पाँचों वक्त की नमाज़ों की, के अल्लाह तआला उनके सब बगुनाों को मिटा देता है।”

📕 बुखारी: ५२८, अन अबी हुरैरह (र.अ)

6. एक गुनाह के बारे में

तकब्बुर का अंजाम: दिल पर मुहर लग जाती है

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“जो लोग बगैर किसी दलील के अल्लाह तआला की आयात में झगड़े निकाला करते है, अल्लाह तआला और अहले ईमान के नज़दीक यह बात बड़ी काबिले नफरत है, इसी तरह अल्लाह तआला हर मुतकब्बिर सरकश के दिल पर मुहर लगा देता है।”

📕 सूरह मोमिन : ३५

7. दुनिया के बारे में

8. आख़िरत के बारे में

क़यामत में झूटे खुदाओं की बेबसी

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :

जिसको तुम अल्लाह के सिवा पुकारते हो, वह खजूर की गुठली के एक छिलके का भी इख्तियार नहीं रखते, अगर तुम उनको पुकारो भी, तो वह तुम्हारी पुकार सुन भी नहीं सकते और अगर (बिलफर्ज़) सुन भी लें तो तुम्हारी ज़रूरत पूरी न कर सकेंगे और कयामत के दिन तुम्हारे शिर्क की मुखालफत व इन्कार करेंगे।”

📕 सूरह फातिर १३ ता १४

9. तिब्बे नबवी से इलाज

गुर्दे की बीमारियों का इलाज

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया –

“पहलू के दर्द का सबब गुर्दे की नस है, जब वह हरकत करती है, तो इन्सान को तकलीफ होती है लिहाज़ा उसका इलाज गर्म पानी और शहद से करो।”

📕 मुस्तदरक हाकिम : ८२३७, अन आयशा रज़ि०

फाएदा: गुर्दे में जब पथरी वगैरह हो जाती है, तो कूल्हों में दर्द होता है, अकसर इसी दर्द ही की वजह से बीमारी का पता चलता है, उसका इलाज आप ने यह बतलाया के गर्म पानी और शहद मिला कर पियो।

10. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत

कलोंजी में हर बीमारी का इलाज है

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“तुम इस कलोंजी को इस्तेमाल करो, क्यों कि इस में मौत के अलावा हर बीमारी की शिफ़ा मौजूद है।”

📕 बुखारी: ५६८७,अन आयशा (र.अ)

फायदा: अल्लामा इब्ने कय्यिम फर्माते हैं : इस के इस्तेमाल से उफारा (पेट फूलना) खत्म हो जाता है, बलगमी बुखार के लिए नफ़ा बख्श है, अगर इस को पीस कर शहद के साथ माजून बना लिया जाए और गर्म पानी के साथ इस्तेमाल किया जाए, तो गुर्दे और मसाने की पथरी को गला कर निकाल देती है।

और देखे :