17 Safar | Sirf Panch Minute ka Madarsa
हजरत मूसा (अ.) के बाद बनी इस्राईल में अम्बियाए किराम का सिलसिला एक लम्बी मुद्दत तक चलता रहा, उन्हीं में से हज़रत हिज्कील (अ.) भी हैं। उन के वालिद का बचपन ही में इन्तेकाल हो गया था।
नुबुवत के बाद एक जमाने तक वह बनी इस्राईल की रहनुमाई करते रहे और हक़ की राह दिखाते रहे। हजरत इब्ने अब्बास (र.अ) और दीगर सहाब-ए-किराम से रिवायत है के बनी इस्राईल की एक बड़ी जमात से हजरत हिज्कील ने एक कौम से जंग करने का हुक्म दिया, तो पूरी जमात मौत के डर से भागकर एक वादी में आबाद हो गई और यह समझने लगी के अब हम मौत से महफूज हो गए हैं।
अल्लाह तआला ने उनके इस ग़लत अक़ीदे की इस्लाह के लिये उनपर मौत तारी कर दी। एक हफ्ते के बाद जब उधर से हजरत हिजकील (अ.) का गुज़र हुआ, तो उन की हालत पर अफसोस करते हुए अल्लाह तआला से दोबारा जिन्दगी अता करने की दुआ फर्माई।
अल्लाह तआला ने दुआ कबूल फ़रमाई और उनको दोबारा जिन्दा कर दिया, ताके उन की जिन्दगी दूसरों के लिये इबरत व नसीहत का बाइस बने। कुरआने करीम में भी इस वाकिए का तज़केरा किया गया है।
अल्लाह तआला ने एक खास किस्म की तितली पैदा फ़रमाई है, उस के अंडों से रेशम के कीड़े निकलते हैं। यह दरख्तों के हरे भरे पत्तों को खाते रहते हैं और उन के मुंह से रेशम का बारीक और कीमती तार निकलता रहता है जिसे वह अपने बदन पर लपेटते रहते हैं।
फिर उसके तार को गर्म पानी में डालते हैं और उसके रेशों से धागा तय्यार करके रेशम के कीमती कपड़े तय्यार करते हैं, जो बाजार में भारी कीमत में बिकते हैं।
आखिर इस नन्हे से कीड़े को उम्दा रेशम तय्यार करने की सलाहियत किसने अता फर्माई। यक़ीनन यह अल्लाह ही की कुदरत है।
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने सात चीजों का हुक्म दिया, जिसमें से एक जनाजे में शरीक होना भी है।
📕 बुखारी : १२३९
नोट: नमाज़े जनाजा फर्जे किफाया है, फ़र्ज़ किफाया ऐसे फ़र्ज़ को कहते हैं जो हर एक पर फर्ज हो, लेकिन उनमें से किसी ने भी अगर अदा कर दिया तो सबकी तरफ से काफी हो जाएगा।
हज़रत आयशा (र.अ) बयान करती हैं के रसूलुल्लाह (ﷺ) वुजू फर्माते, तो उंगलियों का खिलाल, फर्माते, एड़ियों को रगड़ते और फरमाते: “उंगलियों का खिलाल करो, अल्लाह तआला उनके दर्मियान जहन्नम की आग दाखिल न करेगा।”
📕 दारे कुतनी : ३२६
रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “दिलों को भी जंग लग जाता है, जैसे लोहे में पानी पहुँचने के बाद जंग लग जाता है।” अर्ज किया गया : या रसूलअल्लाह! वह कौन सी चीज़ है जिस से दिलों की सफाई हो जाए। आप (ﷺ) ने फर्माया: “मौत को कसरत से याद करना और कुरआन का पढ़ना।”
📕 बैहकी शोअबुल ईमान : १९५८
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया “बगैर वुजू के नमाज़ क़बूल नहीं होती, इसी तरह हराम माल से सद्का कबूल नहीं होता।”
📕 तिर्मिज़ी: १, अन इब्ने उमर (र.अ)
हज़रत अली (र.अ) फर्माते हैं के जो शख्स दुनिया से बे रगबती इख्तियार करेगा, उस पर मुसीबतें आसान हो जाएँगी और जो मौत को याद करता रहेगा वह भलाई में जल्दी करेगा।
📕 शोअबुल ईमान लिल बैहकी : १०२२२
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“बस कयामत के दिन एक सख्त ललकार होगी, तो यकायक सब देखने लगेंगे। यह मुन्किर कहेंगे : हाए हमारी बरबादी! यह तो वही बदले का दिन है। कहा जाएगा : (हाँ) यह वही फैसले का दिन है, जिसको तुम झुटलाया करते थे।”
रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“तुम में से किसी को जब बुखार आए, तो सहरी के वक़्त ठंडा पानी (उसके बदन पर) तीन रात तक छिड़का जाए।”
📕 मुस्तदरक: ८२२६, अन अनस बिन मालिक (र.अ)
फायदा: आज जदीद तरीक़-ए-इलाज के मुताबिक डॉक्टर हजरात भी बुखार के मरीज के सर पर ठंडे पानी की पट्टी रखने का मश्वरा देते हैं।
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“ऐ इन्सानो! बेशक तुम्हारे पास यह रसूल हक़ बात ले कर तुम्हारे रब की तरफ से आ चुका है, लिहाजा तुम ईमान ले आओ, यह ईमान लाना तुम्हारे लिये बेहतर होगा, अगर तुम इन्कार करते हो, तो खूब समझ लो के आस्मानों और जमीन का मालिक अल्लाह तआला ही है और अल्लाह तआला सब कुछ जानने वाला बड़ी हिकमत वाला है।”
[icon name=”info” prefix=”fas”] इंशा अल्लाहुल अजीज़ ! पांच मिनिट मदरसा सीरीज की अगली पोस्ट कल सुबह ८ बजे होगी।