18 अप्रैल 2024

आज का सबक

सिर्फ पांच मिनिट का मदरसा क़ुरआन व सुन्नत की रौशनी में
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1. इस्लामी तारीख

मस्जिदे कुबा की तामीर और पहला जुमा

मदीना मुनव्वरा से तक़रीबन तीन मील के फासले पर एक छोटी सी बस्ती कुबा है, यहाँ अन्सार के बुहत से खानदान आबाद थे और कुलसूम बिन हदम उन के सरदार थे, हिजरत (migration) के दौरान आपने पहले कुबा में कयाम फर्माया और कुलसूम बिन हदम के घर मेहमान हुए, रसूलुल्लाह (ﷺ) ने यहाँ अपने मुबारक हाथों से एक मस्जिद की बुनियाद डाली, जिस का नाम मस्जिदे कुबा है, मस्जिद की तामीर में सहाबा के साथ साथ आप (ﷺ) खुद भी काम करते थे और भारी भारी पत्थरों को उठाते थे।

यही वह मस्जिद है, जिस की शान में कुरआन मजीद में है, यानी इस मस्जिद की बुनियाद पहले ही दिन से परहेज़गारी पर रखी गई है, वह इस बात की ज़्यादा मुस्तहिक है के आप उस में नमाज़ के लिये खड़े हों, उस में ऐसे लोग हैं, जिन को सफाई बहुत पसंद है और आल्लाह पाक व साफ रहने वालों को दोस्त रखता है।

हुजूर (ﷺ) ने यहाँ चौदा दिन कयाम फ़र्मा कर १२ रबीउल अव्वल सन १ हिजरी को जुमा के दिन रवाना हुए। बनी सालिम के घरों तक पहुँचे थे के जुमा का वक़्त हो गया। आप (ﷺ) ने जुमा की नमाज अदा फ़रमाई और खुतबा दिया। यह इस्लाम में जुमा की पहली नमाज़ थी। आप के साथ तक़रीबन सौ आदमी नमाज में शरीक थे।

📕 इस्लामी तारीख

2. अल्लाह की कुदरत/मोजज़ा

इंसान की हड्डियों में अल्लाह की कुदरत

अल्लाह तआला ने इंसानी जिस्म को हड्डी के ढांचे पर खड़ा किया है।

यह हड्डियाँ इंसानी जिस्म से कई गुना ज़ियादा वजन उठाने की सलाहियत रखती हैं। जब इन्सान क़दम उठाता है, तो उस की हड्डी पर जिस्म से कई गुना ज़ियादा वजन पड़ता है और कूल्हे की हड्डी तीन हजार किलो वजन उठाने की सलाहियत रखती है वह स्टील से जियादा मजबूत और उस से दस गुना ज़ियादा लचकदार और हल्की होती है। अगर यह हड्डियाँ भी स्टील की तरह वज़नी होती, तो उन का वजन हमारे लिये नाकाबिले बर्दाश्त हो जाता।

बेशक उन हल्की फुल्की हड्डियों में स्टील से जियादा कुव्वत व ताक़त पैदा फ़र्माना अल्लाह की जबरदस्त कुदरत है।

📕 अल्लाह की कुदरत

3. एक फर्ज के बारे में

दाढ़ी रखने की अहमियत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“मूंछों को कतरवाओ और दाढ़ी को बढ़ाओ।”

📕 बुखारी: ५८९३

वजाहत: दाढी रखना शरीअते इस्लाम में वाजिब और इस्लामी शिआर में से है इस लिये तमाम मुसलमानों के लिये उस पर अमल करना इन्तेहाई जरूरी है।

4. एक सुन्नत के बारे में

कब्र में मिट्टी डालते वक़्त की दुआ

जब रसूलुल्लाह (ﷺ) ने उम्मे कुलसूम को कब्र में रखा तो पढ़ा:

“मिन्हा खलकना कुम, व फिहा नुईदुकुम, व मिन्हा नुखरिजुकुम तारतन ऊखरा”

तर्जमा: इस मिट्टी से हमने तुम को पैदा किया और इसी में हम तुम को लौटाएँगे और इसीसे हम तुमको दोबारा उठाएंगे।

📕 मुस्नदे अहमद: २१६८३, अन अबी उमामा (र.अ)

5. एक अहेम अमल की फजीलत

6. एक गुनाह के बारे में

इन्कार करने वालो का अजाब

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“जो लोग हमारी आयतों का इन्कार करते रहे हैं, तो वही बडबख्त हैं, (जिन को बाएँ हाथ में नाम-ए-आमाल दिया जाएगा) उन पर चारों तरफ से बंद की हुई आग को मुसल्लत कर दिया जाएगा।”

📕 सूरह बलद: १९ ता २०

7. दुनिया के बारे में

माल के मुताल्लिक़ फ़रिश्तों का एलान

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : 

“हर रोज़ जब अल्लाह के बन्दे सुबह को उठते हैं, दो फरिश्ते नाज़िल होते हैं उनमें से एक कहता है।
ऐ अल्लाह! (अच्छे कामों में) खर्च करने वाले को मज़ीद अता फ़रमा और दूसरा कहता है ऐ अल्लाह ! माल को (अच्छे कामों में खर्च करने के बजाए) रोक कर रखने वाले का माल ज़ाये फ़रमा।”

📕 बुखारी : १४४२, अन अबी हुरैरह (र.अ)

8. आख़िरत के बारे में

रोज़े आख़िरत (क़यामत के दिन) हर अमल का बदला मिल जायेगा

क़ुरआन में अल्लाह तआला फ़रमाता है :

“जो शख्स क़यामत के दिन नेकी लेकर हाज़िर होगा, तो उस को उस नेकी से बेहतर बदला मिलेगा और जो शख़्स बदी ले कर हाज़िर होगा, तो ऐसे बुरे आमाल वालों को सिर्फ उनके कामों की सज़ा दी जाएगी।” 

📕 सूरह क़सस: 84

9. तिब्बे नबवी से इलाज

सूरह फलक और सूरह नास (मुअव्वज़तैन) से बीमारी का इलाज

हजरत आयशा (र.अ) फ़र्माती हैं के :

“रसूलुल्लाह (ﷺ) जब बीमार होते तो मुअव्वजतैन सूरह फलक और सूरह नास पढ़ कर अपने ऊपर दम कर लिया करते थे।”

📕 मुस्लिम: ५७१५

10. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत

तलबीना से इलाज

हजरत आयशा (र.अ) बीमार के लिये तलबीना तय्यार करने का हुकम देती थीं
और फर्माती थीं के मैंने हुजूर (ﷺ) को फ़र्माते हुए सुना के:

“तलबीना बीमार के दिल को सुकून पहुँचाता है और रंज व ग़म को दूर करता है।”

📕 बुखारी: ५६८९

फायदा: जौ (बरली) को कट कर दूध में पकाने के बाद मिठास के लिए इस में शहद डाला जाता है; इस को तलबीना कहते हैं।

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