11 जमादी-उल-अव्वल | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

11 Jumada-al-Awwal | Sirf Panch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

गजवा-ऐ-बद्र

मुसलमानों को सफह-ए-हस्ती से मिटाने के लिये मुश्रिकीने मक्का एक हज़ार का फौजी लश्कर लेकर मक्का से निकले, सब के सब हथियारों से लैस थे, जब हुजूर (ﷺ) को इत्तेला मिली, तो आप (ﷺ) उन के मुकाबले के लिये अपने जाँनिसार सहाबा को ले कर मदीना से निकले, जिन की तादाद तीन सौ तेरा या कुछ ज़ायद थी, जब के मुसलमानों के पास सत्तर ऊँट, दो घोड़े और आठ तलवारें थीं, यह मैदाने बद्र में हक व बातिल की पहली जंग थी, मुश्रिकीन ने पहले ही से पानी के चश्मों पर कब्जा कर लिया था।

जिस की वजह से मुसलमानों को खुश्क रेगिस्तान में पड़ाव डालना पड़ा, जहाँ वुजू और गुस्ल हत्ता के पीने के लिये भी पानी मौजूद नहीं था, चुनान्चे हुजूर (ﷺ) सहाबा की सफें दुरुस्त फ़रमा कर खेमे में तशरीफ ले गए और सज्दे की हालत में यह दुआ फर्माई: “ऐ अल्लाह! अगर आज तूने इस मुट्ठी भर जमात को हलाक कर दिया, तो रुए ज़मीन पर तेरी इबादत करने वाला कोई नहीं रहेगा।” अल्लाह तआला ने इस दुआ की बरकत से बारिश नाजिल फर्माई, जिस से तमाम ज़रूरतें पूरी हो गईं, मैदाने जंग भी साज़ गार हो गया: जिस की वजह से मुसलमानों को शानदार फतह नसीब हुई।

कुरैश के ७० अफराद मारे गए, ७० अफराद कैद किये गए, जब के मुसलमानों में से १४ सहाबा शहीद हुए।

📕 इस्लामी तारीख


2. अल्लाह की कुदरत

हवा में निज़ामे कुदरत

हवा में अल्लाह का निजामे कुदरत देखो के उस ने हवा पर बादलों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने की कैसी डयूटी लगा रखी है के वह बराबर बादलों को ऐसी जमीन पर ले जाकर बारिश बरसाती हैं, जहाँ की जमीन सूखी और पानी के लिये प्यासी हो।

अगर अल्लाह तआला बादलों पर यह ज़िम्मेदारी न लगाता तो बादल पानी के बोझ से बोझल हो कर एक ही जगह पर ठहरे रहते और हमारे बाग़ात और खेतियाँ सूखे रह कर जाया हो जाते।

यकीनन अल्लाह वह बड़ी अजीम जात है जिस का हुक्म बादलों पर भी से चलता है।

📕 अल्लाह की कुदरत


3. एक फर्ज के बारे में

अपने घर वालों को नमाज़ का हुक्म देना

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:

“आप अपने घर वालों को नमाज़ का हुक्म करते रहो और खुद भी नमाज़ के पाबन्द रहिये, हम आपसे रोजी तलब नहीं करते, रोजी तो आप को हम देंगे आर अच्छा अंजाम तो परहेजगारों का है।”

📕 सूरह ताहा: १३२


4. एक सुन्नत के बारे में

खुश्बू को रद्द नहीं करना चाहिये

रसूलल्लाह (ﷺ) को जब खुशबु का हदिया दिया जाता,
तो आप (ﷺ) उस को रद्द नहीं फ़रमाते थे।

📕 तिर्मिजी : २७८९


5. एक अहेम अमल की फजीलत

सलाम करने पर नेकियाँ

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जिस ने अस्सलामु अलैकुम कहा, उस के लिये दस नेकियाँ लिखी जाती हैं
और जिस ने अस्सलामु अलैकुम वरहमतुल्लाह कहा, उस के लिये बीस नेकियाँ लिखी जाती है,
और जिसने अस्सलामु अलैकुम वरहमतुल्लाह व बरकातुह कहा, उस के लिये तीस नेकियाँ लिखी जाती हैं।”

📕 तबरानी कबीर : ५४२९


6. एक गुनाह के बारे में

शराब, मुरदार और खिन्ज़ीर हराम है

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“अल्लाह तआला ने शराब और उस की कीमत, मुरदार और उसकी कीमत, खिन्जीर और उसकी क़ीमत को हराम कर दिया है।”

📕 अबू दाऊद: ३४८५


7. दुनिया के बारे में

दुनिया की चीज़ों में गौर व फिक्र करना

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :

“इसी (बारिश के पानी के जरिये अल्लाह तआला तुम्हारे लिये खेती, जैतून, खजूर और अंगूर और हर किस्म के फल उगाता है, यकीनन इन चीजों में गौर व फिक्र करने वालों के लिये बड़ी निशानियां है।”

📕 सूरह नहल ११


8. आख़िरत के बारे में

अहले जन्नत की नेअमतें

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“परहेज़गारों के लिये (आखिरत में) अच्छा ठिकाना है, हमेशा रहने वाले बागात हैं, जिन के दरवाजे उन के लिये खुले हुए होंगे, वह उन बागों में तकिये लगाए बैठे होंगे, वह वहाँ (जन्नत के खादिमों से) बहुत से मेवे और पीने की चीजें मंगाएँगे और उन लोगों के पास नीची नजरों वाली हम उम्र हुरे होंगी।”

📕 सूरह साद: ४९ ता ५२


9. तिब्बे नबवी से इलाज

आबे जमजम के फवाइद

हजरत जाबिर बिन अब्दुल्लाह (र.अ.) कहते के
मैंने रसूलअल्लाह (ﷺ) को फरमाते हुए सुना:

“जमजम का पानी जिस निय्यत से पिया जाए, उस से वही फायदा हासिल होता है।”

📕  इब्ने माजाह ३०६२


10. क़ुरान की नसीहत

ऐ ईमान वालो तुम शैतान के नक्शे कदम पर न चलो

कुरआन में अल्लाह तआला फर्रमाता है :

“ऐ ईमान वालो तुम शैतान के नक्शे कदम पर न चलो और जो शैतान के नक्शे कदम पर चलेगा तो शैतान तो बेहयाई और बुरी बातों का हुक्म करता है।”

📕 सूरह नूर: २१

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