दोज़ख़ में बिच्छू के डसने का असर

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“दोजख में खच्चरों की तरह बिच्छू हैं, एक बार जब उनमें से एक बिच्छू डसेगा, तो दोजखी चालीस साल तक उस की जलन महसूस करेगा।”

📕 मुस्नदे अहमद : १७२६०

दिल की कमज़ोरी का इलाज

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

“तुम लोग सन्तरे का इस्तेमाल किया करो, क्योंकि यह दिल को मज़बूत बनाता है।”

📕 कंजुल उम्माल : २८२५३

फायदा : मुहद्दिसीन तहरीर फ़रमाते हैं के सन्तरे का जूस पेट की गन्दगी को दूर करता है, क़े और मतली को खत्म करता है और भूक बढ़ाता है।

बारिश होने और रोके के लिए दुआ

बारिश के लिए यह दुआ मांगे

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने बारिश के लिये हाथ उठा कर यह दुआ माँगी

❝ Allaahumma aghithnaa, Allaahumma aghithnaa, Allaahumma aghithnaa. ❞

(ऐ अल्लाह! हमें बारिश दे। ऐ अल्लाह! हमें बारिश दे। ऐ अल्लाह! हमें बारिश दे।)

📕 सहीह बुखारी १०१४


सैलाबी बारिश रोकने की दुआ

हज़रत अनस (र.अ) बयान करते हैं के,
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने बारिश रोकने के लिये यह दुआ की :

तर्जमा : ऐ अल्लाह ! हमारे अतराफ में बारिश बरसा, हम पर बारिश न बरसा।

📕 बुखारी : १०१३

माल के मुताल्लिक़ फ़रिश्तों का एलान

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : 

“हर रोज़ जब अल्लाह के बन्दे सुबह को उठते हैं, दो फरिश्ते नाज़िल होते हैं उनमें से एक कहता है।
ऐ अल्लाह! (अच्छे कामों में) खर्च करने वाले को मज़ीद अता फ़रमा और दूसरा कहता है ऐ अल्लाह ! माल को (अच्छे कामों में खर्च करने के बजाए) रोक कर रखने वाले का माल ज़ाये फ़रमा।”

📕 बुखारी : १४४२, अन अबी हुरैरह (र.अ)

जन्नत के दरख्तों की सुरीली आवाज़

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

“जन्नत में एक दरख्त है, जिसकी जड़ें सोने की और उनकी शाखें हीरे के जवाहरात की हैं, उस दरख्त से एक हवा चलती है, तो ऐसी सुरीली आवाज़ निकलती है, जिस से अच्छी आवाज़ सुनने वालों ने आज तक नहीं सुनी।”

📕 तरगिब : ५३२२, अन अबी हुरैरा (र.अ)

मस्जिद में दाखिल होने के लिए पाक होना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“किसी हाइजा औरत और किसी जनबी : यानी नापाक आदमी के लिए मस्जिद में दाखिल होने की बिल्कुल इजाजत नहीं है।”

📕 अबू दाऊद : २३२, अन आयशा (र.अ)

वजाहत: मस्जिद में दाखिल होने के लिये हैज व निफ़ास और जनाबत से पाक होना जरुरी है।

जमीन में फसाद फैलाने का गुनाह

क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है:

“बिलाशुबाह लोग जो अल्लाह से पक्का अहद करने के बाद तोड़ डालते हैं
और उन रिश्ते नातों को भी तोड़ डालते हैं जिन को अल्लाह ने जोड़े रखने का हुक़्म दिया है
और ज़मीन में फसाद फैलाते फिरते हैं,
तो ऐसे लोग बड़े ख़सारे (नुकसान उठाने) वाले हैं।”

📕 सूरह बकरह 2:27

कम दर्जे वाले जन्नती का इनाम

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया –

अदना दर्जे का जन्नती वह होगा, जिस के एक हज़ार महल होंगे, हर दो महलों के दर्मियान एक साल के बराबर चलने का फासला होगा, यह जन्नती दूर के महलों को इसी तरह देखेगा जिस तरह करीब के महलों को देखेगा, हर एक महल में खूबसूरत गहरी सियाह आँखों वाली हूर होंगी और उमदा बागात और (खिदमत के लिये) लड़के होंगे, जिस चीज़ की भी वह तलब करेगा, उसको पेश कर दी जाएगी।”

📕 तरगीब : ५२८०, अन इब्ने उमर (र.अ)

मेहमान का इकराम करने की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : 

“जब कभी भी कोई मुसलमान अपने मुसलमान भाई से मुलाकात के लिये जाए और मेजबान मेहमान का एजाज व इकराम करने की गर्ज से मेहमान को तकिया पेश करे तो अल्लाह तआला उस मेजबान की मग़फिरत फरमा देगा।” 

📕 तबरानी सगीर :७६२

क्या ईमान वालों के लिये अभी तक ऐसा वक़्त नहीं आया?

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“क्या ईमान वालों के लिये अभी तक ऐसा वक़्त नहीं आया, के उनके दिल अल्लाह की नसीहत और जो दीने हक़ नाज़िल हुआ है, उसके सामने झुक जाएँ। और वह उन लोगों की तरह न हो जाएँ जिन को उन से पहले किताब दी गई थी।”

यानी वह वक़्त आ चुका है के मुसलमानों के दिल कुरआन और अल्लाह की याद और उसके सच्चे दीन के सामने झुक जाएँ।”

📕 सूरह हदीद: १६

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अल्लाह से मदद चाहो और हिम्मत मत हारो

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“अपने नफे की चीज को कोशिश से हासिल करो और अल्लाह से मदद चाहो और हिम्मत मत हारो और अगर तुम्हें कोई हादसा पेश आजाए तो यू मत कहो के अगर मैं यू करता तो एसा हो जाता बल्के यू कहो के अल्लाह तआला ने यही मुकद्दर फर्माया था और जो उसको मंजूर था उसने वही किया।”

📕 मुस्लिम ६७७४

दो चीज़ों की ख्वाहिश

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“बूढ़े आदमी का दिल दो चीजों के बारे में हमेशा जवान रहता है, एक दुनिया की मुहब्बत और दूसरी लम्बी लम्बी उम्मीदें।”

📕 बुख़ारी: ६४२०

बीमार की नमाज़

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“नमाज़ खड़े होकर अदा करो: अगर ताक़त न हो तो बैठ कर अदा करो, और अगर उस पर भी कदरत नहो तो पहलू के बल लेट कर अदा करो।”

📕 बुखारी : १९१७

फायदा : अगर कोई बीमार हो और खड़े होकर नमाज़ पढ़ने पर क़ादिर न हो तो रुकू व सज्दा के साथ बैठ कर पढ़े, अगर रुकू व सज्दे पर भी कादिर न हो, तो बैठ कर इशारे से पढ़े और अगर बैठ कर पढ़ने की ताकत न रखता हो तो लेट कर पढ़े।

लोगों से अपनी जरूरत छुपाए रखने की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“जो शख्स भूका हो, या उस को कोई और खास हाजत हो और वह अपनी उस भूक और हाजत को लोगों से छुपाए रखे (यानी उन के सामने जाहिर कर के उनसे सवाल न करे) तो अल्लाह तआला के जिम्मे है के उस को हलाल तरीके से एक साल का रिज्क अता फ़रमाए।”

📕 शोअबुल ईमान लिलबहकी : ९६९८

ज़िना की कसरत और नाप तौल में कमी करने का वबाल

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जिस कौम में ज़िना आम होता है, उस में ताऊन और ऐसी बीमारियां फ़ैल जाती हैं जो पहले नहीं थीं और जो लोग नाप तौल में कमी करते हैं, तो वह लोग कहत साली, परेशानियों और बादशाह (हुकुमरानों) के जुल्म के शिकार हो जाते हैं।”

📕 इब्ने माजा: ४०१९

तीन काम में देर ना करो (नमाज़, जनाज़ा और निकाह)

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“ऐ अली! तीन काम वह है जिनमें ताखीर न करो।

(१) नमाज़, जब उस का वक्त आ जाए।
(२) जनाज़ा, जब तैयार हो जाए।
(३) बेशोहर वाली औरत का निकाह,
जब उसके लिए कोई मुनासिब जोडा (रिश्ता) मिल जाए।

📕 तिर्मिजी: १७१. अली बिन अबी तालिब (र.अ)

तहज्जुद की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

”जब कोई आदमी रात को अपनी बीवी को बेदार करता है और अगर उस पर नींद का ग़लबा हो, तो उसके चेहरे पर पानी छिडक कर उठाता है और फिर दोनों अपने घर में खड़े होकर रात का कुछ हिस्सा अल्लाह की याद में गुज़रते हैं तो उन दोनों की मग़फिरत कर दी जाती है।”

📕 तबरानी कबीर:3370, अन अबी मालिक (र.अ)

गुस्ल करने का सुन्नत तरीका

रसूलुल्लाह (ﷺ) जब गुस्ले जनाबत फ़र्माते,
तो सबसे पहले हाथ धोते, फिर सीधे हाथ से बाएँ हाथ पर पानी डालते,
फिर इस्तिन्जे की जगह धोते, फिर जिस तरह नमाज के लिये वुजू किया जाता है उसी तरह वुजू करते,
फिर पानी लेकर अपनी उंगलियों के जरिये सर के बालों की जड़ों में दाखिल करते,
फिर तीन दफा दोनों हाथ भर कर यके बाद दीगर सर पर पानी डालते,
फिर सारे बदन पर पानी बहाते और सबसे अखीर में दोनों पाँव धोते।

📕 मुस्लिमः १८

बुरे आमाल की नहूसत

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“खुश्की और तरी (यानी पूरी दुनिया) में लोगों के बुरे आमाल की वजह से हलाकत व तबाही फैल गई है, ताके अल्लाह तआला उन्हें उन के बाज़ आमाल (की सज़ा) का मजा चखा दे, ताके वह अपने बुरे आमाल से बाज आ जाएँ।”

📕 सूरह रूम: ४१

कब्र में नमाज की तमन्ना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जब मय्यित को क़ब्र में रख दिया जाता है, तो उस को सूरज गुरूब होता हुआ दिखाई देता है, तो वह बैठ कर आँखें मलने लगता है और कहता है, मुझे नमाज पढ़ने दो।”

📕 इब्ने माजा : ४२७२, अन जाबिर (र.अ)

बोहतान / झूठा इलज़ाम लगाने का गुनाह और अज़ाब

झूठी तोहमत लगाने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“जो लोग मुसलमान मर्दो और मुसलमान औरतों को बगैर किसी जुर्म के तोहमत लगा कर तकलीफ पहुँचाते हैं, तो यक़ीनन वह लोग बड़े बोहतान और खुले गुनाह का बोझ उठाते हैं।”

📕 सूरह अहज़ाब : ५८


झूठा इलज़ाम लगाने का अज़ाब

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“जिस ने किसी मोमिन के बारे में ऐसी बात कही जो उस में नहीं है, तो अल्लाह तआला उस को दोज़खियों के पीप में डाल देगा, यहाँ तक के उस की सजा पा कर उस से निकल जाए।”

📕 अबू दाऊद: ३५९७

दुनियावी ख्वाहिशों को पूरा करने का अंजाम

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जो शख्स दुनिया में अपनी ख्वाहिशों को पूरा करता है, वह आखिरत में अपनी ख्वाहिशात के पूरा करने से महरूम होता है।”

📕 बैहाकि फी शोअबिल ईमान : ९३९०

नोट: अपनी तमाम चाहतों को इसी में पूरी करने की कोशिश नहीं करनी चाहिये वरना आखिरत में महरूम हो जाएगा।

कीसी की तकलीफ दूर करने का सवाब: हदीस

किसी की तकलीफ दूर करने का सवाब: हदीस

रसूलअल्लाह (ﷺ) फरमाते है:

“जिस शख्स ने किसी मुसलमान की दुनियावी मुश्किलात (तकलीफ) में से कोई मुश्किल दूर की तो अल्लाह तआला उस की क़यामत की मुश्किलात में से कोई मुश्किल दूर कर देगा”

📕 मुस्लिम, जिल्द 3, पेज 493

हमेशा की जन्नत व जहन्नम

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“अल्लाह तआला जन्नतियों को जन्नत में दाखिल कर देगा और जहन्नमियों को जहन्नम में दाखिल कर देगा, फिर उन के दर्मियान एक एलान करने वाला कहेगा के ऐ जन्नतियों! अब मौत नहीं आएगी, ऐ जहन्नमियों! अब मौत नहीं आएगी (तुम में का जो जहाँ है हमेशा उस में रहेगा)”

📕 मुस्लिम: ७१८३, अन इब्ने उमर (र.अ)

अपने मालों को ज़कात के जरिये महफूज़ बनाओ

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“अपने मालों को ज़कात के जरिये महफूज़ बनाओ और अपने बीमारों का सदके से इलाज करो और अल्लाह तआला सामने आजिजी से इस्तकबाल करो।”

📕 तबरानी कबीर : १००४४

कलोंजी में हर बीमारी का इलाज है

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“तुम इस कलोंजी को इस्तेमाल करो, क्यों कि इस में मौत के अलावा हर बीमारी की शिफ़ा मौजूद है।”

📕 बुखारी: ५६८७,अन आयशा (र.अ)

फायदा: अल्लामा इब्ने कय्यिम फर्माते हैं : इस के इस्तेमाल से उफारा (पेट फूलना) खत्म हो जाता है, बलगमी बुखार के लिए नफ़ा बख्श है, अगर इस को पीस कर शहद के साथ माजून बना लिया जाए और गर्म पानी के साथ इस्तेमाल किया जाए, तो गुर्दे और मसाने की पथरी को गला कर निकाल देती है।

दुनिया की चीजें चंद रोजा हैं

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : 

“जो कुछ भी तुम को दिया गया है, वह सिर्फ चंद रोज़ा ज़िन्दगी के लिये है और वह उस की रौनक है और जो कुछ अल्लाह तआला के पास है, वह इस से कहीं बेहतर और बाकी रहने वाला है। क्या तुम लोग इतनी बात भी नहीं समझते?”

📕 सूरह कसस : ६०

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सामान ऐब बताए बगैर फरोख्त करने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“मुसलमान मुसलमान का भाई है और किसी मुसलमान के लिये अपने भाई से ऐब वाले सामान को ऐब बयान किए बगैर फरोख्त करना जाइज नहीं।”

📕 इब्ने माजा : २२४६, अन उकबा बिन आमिर (र.अ)

शिर्क और कत्ल करने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

“अल्लाह तआला हर गुनाह को माफ कर सकता है, मगर उस आदमी को माफ नहीं करेगा,
जो शिर्क की हालत में मर जाए, दूसरा वह आदमी जो किसी (बेगुनाह) मुसलमान भाई को जानबूझ कर क़त्ल कर दे।”

📕 अबू दाऊद: ४२७०

क़यामत के दिन काफिर की तमन्ना

क़ुरआन में अल्लाह तआला ने फ़रमाया है –

“हमने तुमको एक करीब आने वाले अज़ाब से डरा दिया है (जो उस दिन आएगा) जिस दिन आदमी अपने उन आमाल को देख लेगा, जो उस ने अपने हाथों से किये होंगे और उस दिन काफिर कहेगा, काश! मैं मिट्टी हो जाता।”

📕 सूर-ए-नबा: ४०

मुसाफा करने की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“जब दो मुसलमान मिलते हैं और एक दूसरे से मुसाफह करते हैं (यानी हाथ मिलाते हैं) तो उनके जुदा होने से पहले पहले दोनो की मगफिरत कर दी जाती है।”

📕 तिरमिजी : २७२७, अन बरा बिन आजिब (र.अ)

हराम माल से सदक़ा करने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

“जब तू माल की ज़कात अदा कर दे, तो जो (वाजिब) हक़ तुझ पर था, वह तो अदा हो गया (आगे सिर्फ नवाफिल का दर्जा है)

और जो शख्स हराम तरीके (सूद रिश्वत वगैरह) से माल जमा कर के सदका करे, उस को उस सदके का कोई सवाब नहीं मिलेगा, बल्के उस हराम कमाई का वबाल उस पर होगा।”

📕 इब्ने हिब्बान : ३२८५

मौत को कसरत से याद करने की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

दिलों में भी ज़ंग लगता है, जैसे के लोहे में जब पानी लग जाता है” तो पूछा गया (दिलों का ज़ंग) कैसे दूर होगा? रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया “मौत को खूब याद करने और क़ुरआन पाक की तिलावत से।”

📕 बैहेकी फी शोअबिलईमान: १९५८,अन इब्ने उमर रज़ि०

नमाज़ में भूल चूक हो जाए तो सज्दा-ए-सहव करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जब तुम में से किसी को (नमाज़ में) भूल चूक हो जाए, तो सज्दा-ए-सहव कर ले।”

📕 मुस्लिम १२८३

फायदा : अगर नमाज़ में कोई वाजिब से छूट जाए या वाजिबात और फराइज़ में से किसी को अदा करने में देर हो जाए तो सज्द-ए-सब करना वाजिब है, इस के बगैर नमाज़ नहीं होती।

औरतों का खुशबु लगाकर बाहर निकलने का गुनाह

रसुलअल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“जो औरत इत्र लगा कर लोगों के पास से गुजरे, ताके लोग उस की खुश्बू महसूस करें, तो वह ज़ानिया है और हर (देखने वाली) आँख जिनाकार होगी।”

📕 तिर्मिज़ी : २७८६, अबी मूसा (र.अ)

ज़ानिया: जीना करने वाली खातून

सना के फायदे

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“मौत से अगर किसी चीज में शिफा होती तो सना में होती।”

📕 तिर्मिज़ी : २०८१

फायदा: सना एक दरख्त का नाम है, जिस की पत्ती तक़रीबन दो इंच लम्बी और एक इंच चौड़ी होती है, उस में छोटे छोटे पीले रंग के फूल होते हैं, उसकी पत्ती क़ब्ज़ के मरीज़ के लिये मुफीद है।

वजू के दरमियान की दुआ

रसूलुल्लाह (ﷺ) वुजू के दौरान यह दुआ पढ़ते थे:

तर्जमा : ऐ अल्लाह ! मेरे गुनाहों को माफ़ फ़र्मा और मेरे घर में वुसअत और रिज्क में बरकत अता फ़र्मा।

📕 सुनन ऐ कुबरा नसाई: ९९०८, अन अबी मूसा (र.अ)

अज़ान के बाद दुआ पढ़ना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: “जो बन्दा अजान सुनते वक़्त अल्लाह से यूँ दुआ करे:

Allahumma Rabba Hadhihi-D-Dawatit-Tammaa Was-Salatil Qaimah, Aati Muhammadan Al-Wasilata Wal-Fazilah, Wabaathhu Maqaman Mahmudan-Il-Ladhi Waadtah

तो वह बन्दा क़यामत के दिन मेरी शफाअत का हकदार हो गया।”

📕 बुखारी : ६१४

कयामत से हर एक डरता है

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

“कोई मुकर्रब फरिश्ता, कोई आसमान, कोई ज़मीन, कोई हवा, कोई पहाड़. कोई समुन्दर ऐसा नहीं जो जुमा के दिन से न डरता हो (इस लिये के जुमा के दिन ही क़यामत कायम होगी)”

📕 इब्ने माजा: १०८४

काफ़िरों की हालत

रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:

“काफ़िर अपनी ज़बान को एक या दो फरसख (यानी तकरीबन बारा किलोमीटर) तक जमीन पर घसीटते हुए चलेगा, और लोग उस को रौंदते हुए उस पर चलेंगे।”

📕 तिर्मिज़ी : २५८०, अन इब्ने उमर (र.अ)

अल्लाह ही रोजी तकसीम करता हैं

क़ुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : 

“दुनियवी जिंदगी में उन की रोज़ी हम ने ही तकसीम कर रखी है और एक को दूसरे पर मर्तबा के एतबार से फज़ीलत दे रखी है ताकि एक दूसरे से काम लेता रहे।”

📕 सूर-ए-जुखरुफ़ :३२

दुनिया की ज़िन्दगी खेल तमाशा है

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“दुनिया की ज़िन्दगी खेलकूद के सिवा कुछ भी नहीं है और आखिरत की जिन्दगी ही हकीकी जिन्दगी है, काश यह लोग इतनी सी बात समझ लेते।”

📕 सूरह अनकबूत : ६४


कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता:

यह दुनिया की जिंदगी तो सिर्फ़ खेल तमाशा है, अगर तुम अल्लाह पर ईमान लाओ और तक़वा इख्तियार करो तो वह तूम को तूम्हारा अज्र व सवाब अता फरमाएगा और तुम से तुम्हारा माल तलब नहीं करेगा (और) अगर वह तुम से तुम्हारा माल तलब करने लगे और आखरी हद तक तलब करता रहे तो तुम कंजूसी करने लगो और तुम्हारी नागवारी को ज़ाहिर कर दे।”

[ सूरह हूदः १५ ता १६ ]

हूर की खूबसूरती

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

“अगर जन्नत की कोई औरत ज़मीन वालों की तरफ झाँक ले तो ज़मीन व आसमान के दर्मियान की तमाम चीज़ों को रौशन कर दे और उस को खुश्बू से भर दे और उसकी ओढ़नी दुनिया और तमाम चीज़ो से बेहतर है।”

📕 बुखारी: २७९६, अन अनस बिन मालिक रज़ि०

मोतदिल गिज़ा का इस्तेमाल

खीरा (ककड़ी) के फवाइद

रसूलुल्लाह (ﷺ) खजूर के साथ खीरे खाते थे।

📕 बुखारी : ५४४७

फायदा : मुहद्विसी ने किराम फ़र्माते हैं के खजूर चूँकि गर्म होती है इस लिये आप (ﷺ) उस के साथ ठंडी चीज खीरा (ककड़ी) इस्तेमाल फर्माते थे ताके दोनों मिलकर मोतदिल हो जाएं।

खाना खिलाया करो और सलाम को आम करो

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“रहमान (अल्लाह) की इबादत करो और खाना खिलाया करो और सलाम को आम करो (चाहे उस से जान पहचान हो या न हो) तुम जन्नत में सलामती के साथ दाखिल हो जाओगे।”

📕 तिर्मिज़ी : १८५५

तकब्बुर का अंजाम: दिल पर मुहर लग जाती है

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“जो लोग बगैर किसी दलील के अल्लाह तआला की आयात में झगड़े निकाला करते है, अल्लाह तआला और अहले ईमान के नज़दीक यह बात बड़ी काबिले नफरत है, इसी तरह अल्लाह तआला हर मुतकब्बिर सरकश के दिल पर मुहर लगा देता है।”

📕 सूरह मोमिन : ३५

दुनिया से बेहतर आख़िरत का घर है

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“दुनिया की जिन्दगी सिवाए खेल कूद के कुछ भी नहीं और आखिरत का घर मुत्तकियों (यानी अल्लाह तआला से डरने वालों) के लिये बेहतर है।”

📕 सूरह अन्आम : ३२

इंसाफ करने की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“थोड़ी देर का इन्साफ साठ साल की शब बेदारी और रोजा रखने की इबादत से बेहतर है।
ऐ अबू हुरैरा (र.अ) ! किसी मामले में थोड़ी सी देर का जुल्म, अल्लाह के नजदीक साठ साल की नाफ़रमानी से जियादा सख्त और बड़ा गुनाह है।”

📕 तरघिब वा तरहीब: ३१२८

आखिरत दुनिया से बेहतर है

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“तुम दुनियावी जिंदगी को मुकद्दम रखते हो, हालांके ! आखिरत दुनिया से बेहतर है और बाकी रहने वाली है (इसलिए आखिरत ही की तय्यारी करो)।”

📕 सूरह आला : १६ ता १७

परहेज़गारों की नेअमत

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:

“(क़यामत के दिन) परहेज़गार लोग (जन्नत) के सायों में और चशमों में और पसन्दीदा मेवों में होंगे (उन से कहा जाएगा) अपने (नेक) आमाल के बदले में खूब मजे से खाओ पियो, हम नेक लोगों को ऐसा ही बदला दिया करते हैं। (और) उस दिन झुटलाने वालों के लिये बड़ी ख़राबी होगी।”

📕 सूरह मुरसलात: ४१ ता ४५

इत्र लगाना

हजरते आयशा (र.अ) से मालूम किया गया के
रसूलुल्लाह इत्र लगाया करते थे? उन्होंने फ़रमाया :

“हाँ मुश्क वगैरह की उम्दा खुशबु लगाया करते थे।”

📕 निसाई: ५११९

बगैर किसी उज्र के नमाज़ क़ज़ा करने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“जो शख्स दो नमाज़ों को बगैर किसी उज्र के एक वक्त में पढ़े वह कबीरा गुनाहों के दरवाजों में से एक दरवाजे पर पहुँच गया।”

📕 मुस्तदरक : १०२०, अन इब्ने अब्बास (र.अ)

माँगी हुई चीज़ का लौटाना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“(वापसी की शर्त पर) माँगी हुई चीज़ को वापस किया जाएगा।”

📕 इब्ने माजा : २३९८

खुलासा : अगर किसी शख्स ने कोई सामान यह कह कर माँगा के वापस कर दूंगा, तो उस का मुक़र्रर वक्त पर लौटाना वाजिब है, उसको अपने पास रख लेना और बहाना बनाना जाइज नही है।

कुरआन का मजाक उड़ाने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“जब इन्सान के सामने हमारी आयतें पढ़ी जाती हैं, तो कहता है के यह पहले लोगों के किस्से कहानियां हैं। हरगिज़ नहीं! बल्के उन के बुरे कामों के सबब उन के दिलों पर जंग लग गया है।”

📕 सूरह मुतफ्फिफीन: १३ ता १४

कयामत के दिन पूरा पूरा बदला दिया जाएगा

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“जब हम उन लोगों को उस दिन जमा करेंगे, जिस के आने में कोई शक नहीं और हर एक आदमी को उस के आमाल का पूरा पूरा बदला दिया जाएगा और उन पर कोई जुल्म नहीं किया जाएगा।”

📕 सूर:आले इमरान : २५

दुनिया चाहने वालों का अन्जाम

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“जो कोई दुनिया ही चाहता है, तो हम उस को दुनिया में जितना चाहते हैं, जल्द देते हैं फिर हम उस के लिए दोजख मुकर्रर कर देते हैं, जिस में (ऐसे लोग कयामत के दिन) जिल्लत व रुसवाई के साथ ढकेल दिए जाएंगे।”

📕 सूर-ए-बनी इसराईलः १८ 

मगफिरत की क़ुरानी दुआ: 01

अपने परवरदिगार से इस तरह मगफिरत तलब करनी चाहिये:

قَالَا رَبَّنَا ظَلَمْنَا أَنفُسَنَا وَإِن لَّمْ تَغْفِرْ لَنَا وَتَرْحَمْنَا لَنَكُونَنَّ مِنَ الْخَاسِرِينَ

Rabbana zalamna anfusina wa il lam taghfir lana wa tarhamna lana kunan minal-khasireen

तर्जमा : ऐ हमारे पालने वाले हमने अपना आप नुकसान किया और अगर तू हमें माफ न फरमाएगा और हम पर रहम न करेगा तो हम बिल्कुल घाटे में ही रहेगें।

📕 सुरह अल-आराफ़ 7:23

माल आरियत (उधार) है

हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद (अ.स) फ़रमाते हैं –

“तुम में से हर एक मेहमान है और उस का माल आरियत (उधार) है और मेहमान यानी (इन्सान इस दुनिया से) जाने वाला है और आरियत की चीज़ उसके मालिक को लौटानी पड़ेगी।”

📕 शोअबुल ईमान: १०२४१

इस्लाम की दावत को ठुकराना एक बड़ा जुल्म

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“उस शख्स से बड़ा ज़ालिम कौन होगा, जो अल्लाह पर झूट बाँधे, जब के उसे इस्लाम की दावत दी जा रही हो और अल्लाह ऐसे जालिमों को हिदायत नहीं दिया करता।”

📕 सूरह सफ्फ ७

कब्र में ही ठिकाने का फैसला

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: 

“जब तुम में से कोई वफात पा जाता है, तो उस को सुबह व शाम उस का ठिकाना दिखाया जाता है, अगर जन्नती हो, तो जन्नत वालों का और अगर जहन्नमी है, तो जहन्नम वालों का ठिकाना दिखाया जाता है, फिर कहा जाता है: यह तेरा ठिकाना है यहाँ तक के अल्लाह तआला क़यामत के दिन तुझे दोबारा उठाए।”

📕 बुखारी : १३७९ , अन अब्दुल्लाह बिन उमर (र.अ)

मुसीबत या खतरे को टालने की दुआ

जब किसी मुसीबत या बला का अंदेशा हो, तो इस दुआ को कसरत से पढ़े:

“हमारे लिए अल्लाह काफ़ी है और वह बेहतरीन काम बनाने वाला है, हम उसी पर भरोसा करते हैं।”

📕 तिर्मिज़ी : २४३१, अन अबी सईद खुदरी (र.अ)

जो रहम नहीं करता उस पर भी रहम नहीं किया जाता

हज़रत अकरअ बिन हाबिस (र.अ) की मौजूदगी में रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हज़रत हुसैन बिन अली का बोसा लिया।

यह देख कर हज़रत अकरअ विन हाबिस (र.अ) ने कहा: मेरे दसं बेटे हैं, मैंने कभी किसी का नहीं लिया। रसूलुल्लाह (ﷺ) ने यह सुनकर फ़र्माया : “जो रहम नहीं करता उस पर रहम भी नहीं किया जाता।”

📕 अबू दाऊद: ५२१८

अपने अख़्लाक़ दुरूस्त करने की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“कामयाब हो गया वह आदमी जिस ने अपने दिल को ईमान के लिये सफारिश कर दिया और उसे सही सालिम रखा और अपनी जबान को सच्चा बनाया, अपने नफ़्स को नफ्से मुतमइन्ना और अख़्लाक़ को दुरूस्त बनाया और कानों को हक़ बात सुनने का और आँखों को अच्छी चीजों को देखने का आदी बनाया।”

📕 मुस्नदे अहमद: २०८०३, अन अबी जर (र.अ)

अगर कोई फासिक खबर लाये तो तहक़ीक़ किया करो

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :

“ऐ ईमान वालो! अगर कोई फासिक तुम्हारे पास कोई खबर, लेकर आए, तो उस की तहक़ीक़ कर लिया करो, कहीं ऐसा न हो, के तुम किसी कौम को अपनी ला इल्मी से कोई नुकसान पहुँचादो, फिर तुम को अपने किये पर पछताना पड़े।”

📕 सूरह हुजरात: ६

मोमिन के साथ क़ब्र का सुलूक

रसलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जब मोमिन बन्दे को दफन किया जाता है, तो कब्र उस से कहती है: तुम्हारा आना मुबारक हो, मेरी पुश्त पर चलने वालों में तुम मुझे सब से जियादा महबूब थे, जब तुम मेरे हवाले कर दिए गए और मेरे पास आ गए, तो तुम आज मेरा हुस्ने सुलूक देखोगे, तो जहाँ तक नजर जाती है क़ब्र कुशादा हो जाती है और उसके लिये जन्नत का दरवाजा खोल दिया जाता है।”

📕 तिरमिजी : २४६०, अन अबी सईद खुदरी (र.अ)

मौत की आरज़ू कभी मत करो

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया –
तकलीफ़ और बीमारी की वजह से मौत की आरज़ू मत करो अगर तुम यही चाहते हो तो इस तरह दुआ करो:

( اللهم أحيني ما كانت المميزة خيزاتی وتولي إذا كانت الوفاة خيراتي )

तर्जमा: ऐ अल्लाह! तू मुझे ज़िन्दा रख जब तक मेरा ज़िन्दा रहना मेरे हक़ में बेहतर हो और मुझे मौत दे अगर मरना मेरे हक़ में बेहतर हो।

📕 बुखारी: ५६७१, अन अनस बिन मालिक रज़ि०

रुकू व सज्दा अच्छी तरह न करने पर वईद

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

बदतरीन चोरी करने वाला शख्स वह है जो नमाज़ में से भी चोरी कर ले,
सहाबा ने अर्ज किया : या रसूलल्लाह (ﷺ) ! नमाज़ में से कोई किस तरह चोरी करेगा ?
फर्माया : वह रुकू और सज्दा अच्छी तरह से नहीं करता है।”

📕 इब्ने खुजैमा : ६४३

कुरआन पढ़ना और उस पर अमल करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जिसने कुरआन पढ़ा और उसके हुक्मों पर अमल किया, तो उसके माँ बाप को कयामत के दिन ऐसा ताज पहनाया जाएगा, जिस की रोशनी आफताब की रोशनी सभा ज्यादा होगी, अगर वह आफताब तुम्हारे घरों में मौजूद हो।”

📕 अबू दाऊद : १४५३

तबीअत के मुवाफिक ग़िज़ा से इलाज

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“जब मरीज़ कोई चीज खाना चाहे, तो उसे खिलाओ।”

📕 कन्जुल उम्माल : २८१३७

फायदा: जो गिजा चाहत और तबी अत के तकाजे से खाई जाती है, वह बदन में जल्द असर करती है, लिहाजा मरीज़ किसी चीज़ के खाने का तकाज़ा करे, तो उसे खिलाना चाहिये। हाँ अगर गिजा ऐसी है के जिस से मर्ज बढ़ने का कवी इमकान है, तो जरूर परहेज करना चाहिये।

दुआए जिब्रईल से इलाज

हजरत आयशा (र.अ) बयान करती है के जब रसूलुल्लाह (ﷺ) बीमार हुए,
तो जिब्रईल ने इस दुआ को पढ़ कर दम किया:

[ ” اللہ کے نام سے ، وہ آپ کو بچائے اور ہر بیماری سے شفا دے اور حسد کرنے والے کے شر سے جب وہ حسد کرے اورنظر لگانے والی ہر آنکھ کے شرسے ( آپ کومحفوظ رکھے ۔ ) ” ]

तर्जुमा: “अल्लाह के नाम पर, वह आपको बचाये और आपको हर बीमारी और हसद की बुराई से, जब वह हसद करता है और हर आंख की बुराई से (जो आपको महफूज़ रखे)।”

📕 मुस्लिम: ५६९९

ज़ियादा अमल की तमन्ना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“अगर कोई बन्दा पैदाइश के दिन से मौत आने तक अल्लाह की इताअत में चेहरे के बल गिरा पड़ा रहे तो वह भी क़यामत के दिन अपने सारे अमल को हक़ीर समझेगा और यह तमन्ना करेगा के उस को दुनिया की तरफ वापस कर दिया जाए ताके और ज़ियादा नेक अमल कर ले।”

📕 मुस्नदे अहमद: १७१९८

पड़ोसी को तकलीफ देने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“जिसने अपने पड़ोसी को तकलीफ दी, उस ने मुझे तकलीफ दी
और जिस ने मुझे तकलीफ दी उस ने अल्लाह को तकलीफ दी
और जिसने अपने पड़ोसी से झगड़ा किया, उसने मुझ से झगड़ा किया
और जिसने मुझ से झगड़ा किया तो उसने अल्लाह से झगड़ा किया।”

📕 तरगीब व तरहीब : ३६४५

मौत और माल की कमी से घबराना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“आदमी दो चीज़ों को नापसंद करता है, (हालांकि दोनों उस के लिए खैर है) एक मौत को, हालांकि मौत फ़ितनों से बचाव है, दूसरे माल की कमी को, हालांकि जितना माल कम होगा उतना ही हिसाब कम होगा।”

📕 मुस्नदे अहमदः २३११३

सिला रहमी करना

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है: 

“जो लोग अल्लाह के अहद को तोड़ते हैं, उस को मजबूत कर लेने के बाद और उन तअल्लुक़ात को तोड़ते हैं, जिन के जोड़ने का अल्लाह तआला ने हुक्म दिया है और जमीन में फसाद मचाते हैं, यही लोग नुकसान उठाने वाले हैं।”

📕 सूरह बकरा : २७

फायदा: रिश्ते, नाते और तअल्लुक़ात को बरकरार (सिला रहमी करना) रखना और उस को खत्म न करना बहुत जरूरी है।

नमाजे अस्र की अहमियत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“जिस शख्स ने अस्र की नमाज़ छोड़ दी, तो उस का अमल जाया हो गया।”

📕 बुखारी : ५५३. अन बुरैया (र.अ)

वजाहत: दिन और रात में तमाम मुसलमानों पर पाँचों नमाजों को अदा करना तो फर्ज है ही, लेकिन ख़ास तौर से अस्त्र की नमाज़ छोड़ने वालों के हक में रसूलल्लाह (ﷺ) का वईद बयान फर्माना इस की अहमियत को मजीद बढ़ा देता है,

चुनान्चे हमारे लिए जरूरी है के हम अस्र की नमाज वक्त पर अदा करें और कजा न करें। अल्लाहतआला हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे , अमीन।

अल्लाह और उस के रसूल का हुक्म मानो

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“तुम अल्लाह तआला और उस के रसूल का हुक्म मानो
और हुक्म की खिलाफ वरजी से बचते रहो,
फिर अगर तुम मुँह मोड़ोगे (और नहीं मानोगे) तो
यकीन जानो के हमारे रसूल के जिम्मे तो
सिर्फ अहकाम को साफ साफ पहुँचा देना है।”

📕 सूरह मायदा ९२

लोगों की कंजूसी

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“सुन लो! तुम ऐसे हो के जब तुम को अल्लाह की राह में खर्च करने के लिये बुलाया जाता है,
तो तुम में से बाज लोग बुख्ल करते हैं
और जो कंजूसी करता है, तो हकीकत में अपने ही लिये कंजूसी करता है
और अल्लाह तआला ग़नी है (किसी का मोहताज नहीं)

और तुम सब उस के मोहताज हो।”

📕 सूरह मुहम्मद : ३८

सजद-ए-तिलावत अदा करना

हज़रत इब्ने उमर (र.अ) फ़र्माते हैं :

“हुजूर (ﷺ) हमारे दर्मियान सजदे वाली सूरह की तिलावत फ़र्माते, तो सजदा करते और हम लोग भी सजदा करते, हत्ता के हम में से बाज़ आदमी को अपनी पेशानी रखने की जगह नहीं मिलती।”

📕 बुखारी: १७५, अन इब्ने उमर (र.अ)

वजाहत: सजदे वाली आयत तिलावत करने के बाद, तिलावत करने वाले और सुनने वाले दोनों पर सजदा करना वाजिब है।

यतीमों का माल खाने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“यतीमों के माल उन को देते रहा करो और पाक माल को नापाक माल से न बदलो और उन का माल अपने मालों के साथ मिला कर मत खाओ ऐसा करना यकीनन बहुत बड़ा गुनाह है।”

📕 सूरह निसा : २

खजूर से इलाज

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़ारमाया :

“जचगी की हालत में तुम अपनी औरतों को तर खजूर खिलाओ और अगर वह न मिलें तो सूखी खजूर खिलाओ।”

📕 मुस्नदे अबी याला; ४३४

खुलासा : बच्चे की पैदाइश के बाद खजूर खाने से औरत के जिस्म का फासिद खून निकल जाता है। और बदन की कमजोरी खत्म हो जाती है।

आप (ﷺ) की आखरी वसिय्यत

रसूलल्लाह (ﷺ) ने आखरी वसिय्यत यह इरशाद फ़रमाई :

“नमाजों और अपने ग़ुलामों के बारे में अल्लाह तआला से डरो।”
( यानी नमाज को पाबन्दी से पढ़ते रहा करो और गुलामों (नौकरों) के हुकूक अदा करो।)

📕 अबू दाऊद: ५१५६

अहले जन्नत का हाल

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“जो लोग अपने रब से डरते रहे, वह गिरोह के गिरोह हो कर जन्नत की तरफ रवाना किए जाएंगे, यहाँ तक के जब उस (जन्नत) के पास पहुंचेंगे और उस के दरवाजे (पहले से) खुले हुए होंगे और जन्नत के मुहाफ़िज़ (फरिश्ते) उन से कहेंगे, तुम पर सलामती हो, अच्छी तरह (मजे में) रहो, जाओ जन्नत में हमेशा हमेशा के लिये दाखिल हो जाओ।”

📕 सूरह जुमर : ७३

ज़कात अदा करना

हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद (र.अ) इर्शाद फ़र्माते हैं के,

“हमें नमाज़ कायम करने का और जकात अदा करने का हुक्म है और जो शख्स जकात अदा न करे उसकी नमाज़ भी (क़बूल) नहीं।”

📕 तबरानी फिल कबीर : ९९५०

हज़रत मुहम्मद (ﷺ) को आखरी नबी मानना

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :

“( हज़रत मुहम्मद ﷺ ) अल्लाह के रसूल और खातमुन नबिय्यीन हैं।”

📕 सूरह अहज़ाब : ४०

वजाहत: रसूलुल्लाह (ﷺ) अल्लाह के आखरी नबी और रसूल हैं, लिहाजा आप (ﷺ) को आख़री नबी और रसूल मानना और अब क़यामत तक किसी दूसरे नए नबी के न आने का यकीन रखना फर्ज है।