Masjid al Aqsa: मस्जिद अल अक्सा की तारीख | जानिए क्यों है मुसलमानों के लिए इतनी अजीज़

मस्जिद अल अक्सा की तारीख | जानिए क्यों है मुसलमानों के लिए इतनी अजीज़

Masjid al Aqsa | मस्जिद अल अक्सा की तामीर:

Masjid al Aqsa and Dome of Rock
Masjid al Aqsa and Dome of Rock

मस्जिद अल अक्सा की तारिख 5,000 साल पुरानी है। ये ज़मीन पर बनने वाली दूसरी मस्जिद थी और मुसलमानों के लिए ये तीसरी अहम तरीन मस्जिद है।

मस्जिद अल अक्सा को खाना काबा की तामीर के तकरीबन 40 साल बाद तामीर किया गया। इस मस्जिद की बुनियाद हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम या हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम ने रखी थी, जब की तामीर और तकमील हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम ने अपने दो दिनों में करवायी।


अक्सर अम्बियायों की इबादतगाह रही मस्जिद अल अक्सा:

ये मस्जिद फ़लस्तीन के येरुशलम में मौजूद है और इस मस्जिद की निस्बत से पुरे शहर को बैत-उल-मकदिस के नाम से पुकारा जाता है। इस शहर का ज़र्रा-ज़र्रा मुक़द्दस है, अक्सर अंबिया इसी शहर में माबूस हुए और इस मस्जिद के साथ उनका गहरा ताल्क़ुक रहा। ये मस्जिद मुसलमानों का “किबला-ए-अव्वल” भी रही है और मुसलमानों ने 17 महीने तक इसी मस्जिद की ओर रुख करके नमाज अदा की है।

जब आप (स.) मेराज पर तशरीफ ले कर गये तो यही मस्जिद आपकी पहली मंजिल बनी और यही वह मस्जिद है जिसमें एक ही वक्त में तमाम अंबिया किराम ने क़याम किया और आप (स.) ने तमाम अंबिया किराम की इमामत फरमायी।

इसी मस्जिद में हज़रत मरियम अलैहिस्सलाम को जन्नती फल मिला और हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम की पैदाइश भी इसी मस्जिद के अंदर हुई।


हैकले सुलेमानी से मशहूर है मस्जिदे अक्सा :

The Dome of Rock dan masjid Al Aqsa. honestreposrting
The Dome of Rock dan masjid Al Aqsa. honestreposrting

ये मस्जिद “हैकले सुलेमान” के नाम से भी मशहूर हुई। इसकी लंबाई 90 फीट, छोड़ाई 30 फीट और ऊंचाई 45 फीट थी। इसके अंदर “ताबूते सकीना” भी रखा गया।

हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम की वफ़ात के बाद बादशाह बख्त नसर ने इस मस्जिद पर हमला कर इसे ज़मी दोज़ कर दिया।


मस्जिदे अक्सा पर मुसलमानों की फ़तेह :

Masjid al Aqsa Back view
Masjid al Aqsa Back view

ये मस्जिद कुछ ऐसी ही मिस्मार रही, फिर हज़रत उमर (र) ने 636 ईस्वी में फ़लस्तीन को ईसाईयों से फ़तेह करके इस मस्जिद को दोबारा तामीर करवाया।

कुछ अर्से बाद खलीफा अब्दुल मलिक बिन मारवान ने मस्जिद की तामीर को फिर शुरू करवाया जैसे उनके बेटे अल वालिद बिन अब्दुल मलिक ने 705 इसवी में मुकम्मल किया।

इसके बाद 746 इसवी में ये मस्जिद ज़लज़ले से शहीद हो गई तो अब्बासी खलीफा ने 754 इसवी में इसकी दोबारा तामीर का काम शुरू किया।

इसके बाद 1033 इसवी में मस्जिद ज़लज़ले से फिर शहीद हो गई, फिर 2 साल बाद फातिमी दौर में इसकी तामीर की गई। इसके बाद 1186 इसवी में सुल्तान सलाउद्दीन अय्यूबी ने मस्जिद की तामीर का काम अपने दौर की हुकूमत में करवाया।

आखिरी बार मस्जिद की सबसे बड़ी तामीर 1546 इसवी में सुल्तान सलमान क़ानूनी ने करवाई।


मस्जिद अल अक्सा की शक्ल:

Source: Al Jazeera

मस्जिद अल अक्सा का रकबा तकरीबन 1,46,000 वर्ग मीटर है जिसमें तकरीबन 5,00,000 लोग नमाज अदा कर सकते हैं।

मस्जिद में 2 बड़े गुंबद और 10 छोटे गुंबद और 4 मीनार मौजूद हैं। हर एक मीनार की लंबाई 37 मीटर यानी 121 फीट है। मस्जिद अल अक्सा के 10 दरवाज़े हैं जिसका फ़िलहाल का दरवाज़े बंद हैं।

आज जो इस मस्जिद की मौजूदा शक्ल है उसका नक्शा हजरत उमर रजि. ने अपने दौर में बनवाया था।

मस्जिद अल अक्सा बहुत ही फजीलतों और बरकतों की मालिक है और ये शहर दुनिया की शुरुआत से लेकर इसके इक़्तिताम तक बहुत ही फैसलाकुन और अहम है।

अल्लाह ताला मस्जिद अल अक्सा को हमेशा कायम रखे और दुश्मनाने इस्लाम से महफ़ूज़ रखे। आमीन।

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