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1
2
जिसने मुझ पर एक बार दुरूद भेजा, अल्लाह उस पर दस दफा रहमतें नाज़िल करेगा। उसके दस गुनाह माफ़ करेगा और दस दर्जे बुलन्द करेगा। (नसाई – 1300 – सही)
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1
अल्लाह के रसूल सल्ल. ने फ़रमाया:
जो शख़्स मुझे जितना ज़्यादा दुरूद भेजेगा। वह कयामत के दिन मुझसे उतना ही क़रीब होगा। (मिश्कात – 862-सही)
2
जिसने मुझ पर दुरूद भेजा या मेरे लिए अल्लाह से वसीला मांगा। उसके लिए मैं क़यामत के दिन ज़रूर सिफारिश करूंगा। (इस्माईल काजी सही)
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3
जिसने दस दफा सुबह और दस दफा शाम के वक्त मुझ पर दुरूद भेजा। क़यामत के दिन उसे मेरी सिफारिश हासिल होगी। (तबरानी – हसन)
4
“अल्लाहुम्मा सल्ली अला मुहम्मदिन व अला आलि मुहम्मददिन कमा सल्लयता अला इब्राहीमा व अला आलि इब्राहीमा इन्न का हमीदुम मजीद।”
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“अल्लाहुम्मा बारिक अला मुहम्मदिन व अला आलि मुहम्मदिन कमा बारकता अला इब्राहीमा व अला आलि इब्राहीमा इन्न का हमीदुम मजीद।”
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“अत्तय्यिहातु लिल्लाहि वस्सलावातु वततय्यिबातु अस्सलामु अलैका अय्युहन्नबीयु व रहमतुल्लाहि व बरकातुहु, अस्सलामु अलैना व अला इबादिल्ला हिस्सा लिहीन। अश्हदु अल्ला इलाहा इल्ललाहु व अशहदु अन्ना मुहम्मदन अबदुहु व रसूलुहू”
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