कर्ज़ और मज्लिस की दुआएँ

Karz aur Majlis ki Duaayein

कर्ज की अदाएगी के लिए दुआ:

اللَّهُمُ اكْفِنِي بِحَلَالِكَ عَنْ حَرَامِكَ، وَأَغْنِي بِفَضْلِكَ عَمَّنْ سِوَاكَ 

अल्लाहुम्मक-फिनी बिहलालि-क, अन् हरामि-क, व अग्निनी बिफज़ लिक, अम्मन् सिवाक 1 (हसन)

तर्जुमा : ऐ अल्लाह ! मेरी किफायत (काफी) फरमा अपनी हलाल चीज़ों के ज़रीए, अपनी हराम चीज़ों से, और मुझे अपने फज़्ल से तेरे सिवा दूसरों से बेनियाज़ कर दे।

फाइदा : रसूलुल्लाह ﷺ ने हज़रत अली (रजि) को यह दुआ सिखाई और फरमाया अगर तुम पर सीर (पहाड़ का नाम है) पहाड़ बराबर कर्ज़ हो तब भी अल्लाह तुम्हारी तरफ से अदा करेगा।


कर्ज अदा करने वाले को दुआ:

أَوْفَيْتَنِي، أَوْفَى اللَّهُ بِكَ

अव् फय्-तनी अव् – फल्लाहु बिक 2

तर्जुमा: आप ने मेरा हक पूरा दिया, अल्लाह आप को भी पूरा दे। 

वजाहत : एक आदमी ने आप ﷺ को यह दुआ दी, और आप ﷺ ने उस को मना नहीं किया।


मज्लिस से उठते वक़्त की दुआ:

سُبْحَانَكَ اللَّهُمَّ وَبِحَمْدِكَ، أَشْهَدُ أَنْ لَّا إِلَهَ إِلَّا أَنْتَ، أَسْتَغْفِرُكَ

सुब्हानकल्लाहुम्म व बि हमदिक अश्हदुअल्ला इला-ह-इल्ला अन्त-अस्तग्फिरू-क, व अतूबु-इलैक 3 (सहीह) 

तर्जुमा : ऐं अल्लाह ! तू पाक है और तेरी ही तारीफ है, मैं गवाही देता हूँ तेरे सिवा कोई माबूद नहीं, मैं तुझ से मग्फिरत चाहता हूँ और तेरी तरफ लौटता हूँ।

फाइदा : रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया जिस ने मज्लिस से उठते वक़्त यह दुआ पढ़ी तो मज्लिस की बेकार (फालतू) बातें माफ कर दी जाती हैं।

  1. सहीह सुनन त्तिर्मिज़ी लिलअल्बानी किताबुद दवात (3 / 3563) ↩︎
  2. सहीह बुख़ारी किताबुल वकालह ( 1/906) ↩︎
  3. सहीह सुननुत्तिर्मिज़ी लिल अल्बानी : किताबुददभ्वात ( 3 / 3433) ↩︎