अगर ईमान के मुकाबले में कुफ्र पसंद करते हों तो!
अगर ईमान के मुकाबले में कुफ्र पसंद करते हों तो!
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“ऐ इमान वालो ! तुम्हारे बाप और भाई अगर ईमान के मुकाबले में कुफ्र पसंद करते हों, तो तुम उनको अपना दोस्त न बनाओ और तुम में से जो शख्स उनसे दोस्ती करेगा, तो वही जुल्म करने वाले होंगे।”
मुसलमानों को तकलीफ देने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जिस शख्स ने किसी मुसलमान को तकलीफ दी, उस ने मुझे तकलीफ पहुँचाई और जिसने मुझे तकलीफ पहुँचाई उसने अल्लाह को तकलीफ पहुँचाई।”
अल्लाह और उस के रसूल की इताअत करो
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
” ऐ ईमान वालो! तुम अल्लाह और उस के रसूल की इताअत करो
और (शरीअत के मुताबिक फैसला करने वाले) हाकिमों की भी इताअत करो।”
नमाज़ में खामोश रहना (एक फर्ज अमल)
हज़रत जैद बिन अरकम (र.अ) फर्माते हैं :
(शुरू इस्लाम में) हम में से बाज़ अपने बाज़ में खड़े शख्स से नमाज की हालत में बात कर लिया करता था,
फिर यह आयत नाजिल हुई:
तर्जमाः अल्लाह के लिये खामोशी के साथ खड़े रहो (यानी बातें न करो)।
फिर हमें खामोश रहने का हुक्म दे दिया गया और बात करने से रोक दिया गया।
फायदा: नमाज़ में बातचीत न करना और खामोश रहना जरूरी है।
सलाम करने के आदाब
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“छोटों को चाहिए के बड़ों को सलाम करें और चलने वालों को चाहिए के बैठे हुए को सलाम करें और कम लोगों को चाहिए के ज़ियादा लोगों को सलाम करें।”
दुनिया को मक़सद बनाने का अंजाम
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जो शख्स अल्लाह का हो जाता है, तो अल्लाह तआला उस की जरूरियात का कफील बन जाता है और उस को ऐसी जगह से रोज़ी पहुंचाता है जहाँ से उस का वहम व गुमान भी नहीं होता।
और जो शख्स मुकम्मल तौर पर दुनिया की तरफ झुक जाता है, तो अल्लाह तआला उसे दुनिया के हवाले कर देता है।”
बुरे लोगों का अंजाम
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“जो शख्स झुटलाने वाले गुमराहों में से होगा, तो खौलते हुए गरम पानी से उसकी मेहमानवाजी होगी और उसे दोजख में दाखिल किया जाएगा।”
कलोंजी में हर बीमारी का इलाज है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“तुम इस कलोंजी को इस्तेमाल करो, क्यों कि इस में मौत के अलावा हर बीमारी की शिफ़ा मौजूद है।”
फायदा: अल्लामा इब्ने कय्यिम फर्माते हैं : इस के इस्तेमाल से उफारा (पेट फूलना) खत्म हो जाता है, बलगमी बुखार के लिए नफ़ा बख्श है, अगर इस को पीस कर शहद के साथ माजून बना लिया जाए और गर्म पानी के साथ इस्तेमाल किया जाए, तो गुर्दे और मसाने की पथरी को गला कर निकाल देती है।
इल्म सीखते हुए वफात पा जाने की फ़ज़ीलत
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जिस को इल्म सीखते हुए मौत आजाए, वह इस हाल में अल्लाह तआला से मुलाकात करेगा के उसके और नबियों के दर्मियान सिर्फ नुबुब्बत के दर्जे का फर्क होगा।”
मगफिरत की क़ुरानी दुआ: 01
अपने परवरदिगार से इस तरह मगफिरत तलब करनी चाहिये:
قَالَا رَبَّنَا ظَلَمْنَا أَنفُسَنَا وَإِن لَّمْ تَغْفِرْ لَنَا وَتَرْحَمْنَا لَنَكُونَنَّ مِنَ الْخَاسِرِينَ
Rabbana zalamna anfusina wa il lam taghfir lana wa tarhamna lana kunan minal-khasireen
तर्जमा : ऐ हमारे पालने वाले हमने अपना आप नुकसान किया और अगर तू हमें माफ न फरमाएगा और हम पर रहम न करेगा तो हम बिल्कुल घाटे में ही रहेगें।
जिन लोगों ने नेक आमाल किये, उनके लिये दुनिया और आखिरत में भलाई है
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“जो लोग परहेजगार हैं, जब उनसे पूछा जाता है के तुम्हारे रब ने क्या चीज़ नाजिल की है?
तो जवाब में कहते हैं : बड़ी खैर व बरकत की चीज नाजिल फ़रमाई है।
जिन लोगों ने नेक आमाल किये, उनके लिये इस दुनिया में भी भलाई है और बिला शुबा आखिरत का घर तो दुनिया के मुकाबले में बहुत ही बेहतर है और वाक़ई वह परहेजगार लोगों का बहुत ही अच्छा घर है।”
जन्नती अल्लाह तआला का दीदार करेंगे
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने लैलतुबद्र में चाँद को देखा और फर्माया :
“तुम लोग अपने रब को इसी तरह देखोगे जिस तरह इस चाँद को देख रहे हो, तुम उस को देखने में किसी किस्म की परेशानी महसूस नहीं करोगे।”
बीमार को परहेज़ का हुक्म
एक मर्तबा उम्मे मुन्जिर (र.अ) के घर पर रसूलुल्लाह (ﷺ) के साथ साथ हजरत अली (र.अ) भी खजूर खा रहे थे, तो आप (ﷺ) ने फ़रमाया: “ऐ अली! बस करो, क्योंकि तुम अभी कमजोर हो।”
फायदाः बीमारी की वजह से चूंकि सारे ही आज़ा कमज़ोर हो जाते हैं, जिन में मेअदा भी है, इस लिए ऐसे मौके पर खाने पीने में एहतियात करना चाहिए और मेअदे में हल्की और कम ग़िज़ा पहुँचनी चाहिए ताके सही तरीके से हज़्म हो सके।
माफ़ करने की सुन्नत
हज़रत आयशा (र.अ) बयान करती हैं के :
“रसूलुल्लाह (ﷺ) ने अपनी जात के लिए कभी किसी से कोई बदला नहीं लिया।”
दाढ़ के दर्द का इलाज
एक मर्तबा हजरत अब्दुल्लाह बिन रवाहा (र.अ) ने हुजूर (ﷺ) से दाढ में शदीद दर्द की शिकायत की, तो आप (ﷺ) ने उन्हें करीब बुला कर दर्द की जगह अपना मुबारक हाथ रखा और सात मर्तबा यह दुआ फ़रमाई :
اللّهُمَّ أَذْهِبْ عَنْهُ سُوءَ مَا يَجِدُ، وَاشْفِهِ بِدَوَاءِ نَبِيِّكَ الْمُبَارَكِ الْمَكِينِ عِنْدَكَ
“Allahumma adhhib ‘anhu su’a ma yajidu, wa shfihi bidawaa’i Nabiyyika al-Mubarak al-Makki ‘indak.” चुनान्चे फ़ौरन आराम हो गया।
खुशू व खुजू से नमाज़ अदा करना
۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“जो कोई खूब अच्छी तरह वुजू करे और दो रकात नमाज खुशू खुजू के साथ पड़े तो उस के लिये जन्नत वाजिब हो गई।”
दुनिया के लालची अल्लाह की रहमत से दूर होंगे
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“क़यामत करीब आ चुकी है और लोग दुनिया की हिर्स व लालच और अल्लाह तआला की रहमत से दूरी में बढ़ते ही जा रहे हैं।”
खुलासा : कयामत के करीब आने की वजह से लोगों को नेकी कमाने की जियादा से जियादा फ़िक्र करनी चाहिये, लेकिन ऐसा करने के बजाए वह दुनिया की लालच में पड़ कर अल्लाह की रहमत से दूर होते जा रहे है।
बुरे लोगों की सोहबत से बचने की दुआ
अपने आप को और अपनी औलाद को बुरे लोगों की सोहबत से बचाने के लिये यह दुआ पढ़े:
“Rabbi najjinee waahlee mimma yaAAmaloon”
तर्जमा: ऐ मेरे रब! मुझे और मेरे अहल व अयाल को उनके (बुरे) काम से नजात अता फ़र्मा।
सामान ऐब बताए बगैर फरोख्त करने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“मुसलमान मुसलमान का भाई है और किसी मुसलमान के लिये अपने भाई से ऐब वाले सामान को ऐब बयान किए बगैर फरोख्त करना जाइज नहीं।”
तोहफा देने वाले के साथ सुलूक
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“जिस शख्स को हदिया (तोहफा) दिया जाए, अगर उस के पास भी देने के लिए हो, तो उसको बदले में हदिया देने वाले को दे देना चाहिए और अगर कुछ न हो तो (बतौर शुक्रिया) देने वाले की तारीफ़ करनी चाहिए। क्यों कि जिस ने तारीफ़ की उसने शुक्रिया अदा कर दिया और जिस ने छुपाया उसने नाशुक्री की।”
बड़ी बीमारियों से हिफ़ाज़त
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो शख्स हर महीने तीन दिन सुबह के वक्त शहद को चाटेगा तो उसे कोई बड़ी बीमारी नहीं होगी।”
अल्लाह के रास्ते में खर्च किया करो
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:
“तुम लोग अल्लाह के रास्ते में खर्च किया करो,
अपने आप को अपने हाथों से हलाकत में न डालो
और खुलूस से काम किया करो,
क्योंकि अल्लाह तआला!
अच्छी तरह अमल करने वालों को पसन्द करता है।”
दिल की कमज़ोरी का इलाज
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“तुम लोग सन्तरे का इस्तेमाल किया करो, क्योंकि यह दिल को मज़बूत बनाता है।”
फायदा : मुहद्दिसीन तहरीर फ़रमाते हैं के सन्तरे का जूस पेट की गन्दगी को दूर करता है, क़े और मतली को खत्म करता है और भूक बढ़ाता है।
हँसाने के लिये झूट बोलने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:
“उस शख्स के लिये हलाकत है, जो लोगों को हँसाने के लिये कोई बात कहे और उसमें झूट बोले, उसके लिये हलाकत है, हलाकत है।”
अपने पडोसी को तकलीफ न दे
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़ारमाया :
“जो शख्स अल्लाह और आखिरत के दिन पर ईमान रखता हो
उसे चाहिये के अपने पड़ोसी को तकलीफ न दे।”
मोमिन के साथ क़ब्र का सुलूक
रसलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जब मोमिन बन्दे को दफन किया जाता है, तो कब्र उस से कहती है: तुम्हारा आना मुबारक हो, मेरी पुश्त पर चलने वालों में तुम मुझे सब से जियादा महबूब थे, जब तुम मेरे हवाले कर दिए गए और मेरे पास आ गए, तो तुम आज मेरा हुस्ने सुलूक देखोगे, तो जहाँ तक नजर जाती है क़ब्र कुशादा हो जाती है और उसके लिये जन्नत का दरवाजा खोल दिया जाता है।”
इस्लाम की दावत को ठुकराना एक बड़ा जुल्म
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“उस शख्स से बड़ा ज़ालिम कौन होगा, जो अल्लाह पर झूट बाँधे, जब के उसे इस्लाम की दावत दी जा रही हो और अल्लाह ऐसे जालिमों को हिदायत नहीं दिया करता।”
माँ बाप पर लानत भेजने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“(शिर्क के बाद) सब से बड़ा गुनाह यह है के आदमी अपने माँ बाप पर लानत करे।”
अर्ज किया गया: ऐ अल्लाह के रसूल ! कोई अपने माँ बाप पर लानत कैसे भेज सकता है?
फर्माया : इस तरह के जब किसी के माँ बाप को बुरा भला कहेगा तो वह भी उसके माँ बाप को बुरा भला कहेगा।”
दुआए जिब्रईल से इलाज
हजरत आयशा (र.अ) बयान करती है के जब रसूलुल्लाह (ﷺ) बीमार हुए,
तो जिब्रईल ने इस दुआ को पढ़ कर दम किया:
[ ” اللہ کے نام سے ، وہ آپ کو بچائے اور ہر بیماری سے شفا دے اور حسد کرنے والے کے شر سے جب وہ حسد کرے اورنظر لگانے والی ہر آنکھ کے شرسے ( آپ کومحفوظ رکھے ۔ ) ” ]
तर्जुमा: “अल्लाह के नाम पर, वह आपको बचाये और आपको हर बीमारी और हसद की बुराई से, जब वह हसद करता है और हर आंख की बुराई से (जो आपको महफूज़ रखे)।”
किसी के सतर को देखने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“अल्लाह तआला लानत करता हैं, उस शख्स पर जो जान बूझ कर किसी के सतर को देखता हो और उस पर भी लानत है जो बिला उज्र सतर दिखलाता हो।”
सतर : इंसान के ढका रहने वाला बदन का हिस्सा, गुप्त अंग
अल्लाह ही रोजी तकसीम करता हैं
क़ुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“दुनियवी जिंदगी में उन की रोज़ी हम ने ही तकसीम कर रखी है और एक को दूसरे पर मर्तबा के एतबार से फज़ीलत दे रखी है ताकि एक दूसरे से काम लेता रहे।”
इस्तिगफार की बेशुमार बरकतें
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जो शख्स पाबंदी के साथ इस्तिगफ़ार करेगा, अल्लाह तआला हर तंगी में उस के लिए आसानी पैदा करेगा, उसे हर गम से नजात दिलाएगा और उसे ऐसी जगह से रिज्क अता करेगा, जहां से उस को वहम व गुमान भी नहीं होगा।”
तबीअत के मुवाफिक ग़िज़ा से इलाज
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“जब मरीज़ कोई चीज खाना चाहे, तो उसे खिलाओ।”
फायदा: जो गिजा चाहत और तबी अत के तकाजे से खाई जाती है, वह बदन में जल्द असर करती है, लिहाजा मरीज़ किसी चीज़ के खाने का तकाज़ा करे, तो उसे खिलाना चाहिये। हाँ अगर गिजा ऐसी है के जिस से मर्ज बढ़ने का कवी इमकान है, तो जरूर परहेज करना चाहिये।
पेट से ज्यादा बुरा कोई बर्तन नहीं
“आदमी (इंसान) ने पेट से ज्यादा बुरा कोई बर्तन नहीं भरा। इब्ने आदम को चंद लुक्मे काफी है जो उसकी पीठ को सीधा रखे। लेकिन अगर ज्यादा खाना ज़रूरी हो तो तिहाई पेट खाने के लिए, तिहाई पानी के लिए और तिहाई साँस के लिए रखे।”
जैतून के तेल के फवायद
۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जैतून का तेल खाओ और उसे लगाओ, क्यों कि उस में सत्तर बीमारियों से शिफा है, जिनमें से एक कोढ़ भी है।”
दुनिया में लगे रहने का वबाल
दुनिया में लगे रहने का वबाल
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“जो शख्स अल्लाह का हो जाता है तो अल्लाह तआला उस की हर जरूरत पूरी करता हैं
और उस को ऐसी जगह से रिज्क देता हैं के उस को गुमान भी नहीं होता।
और जो शख्स पूरे तौर पर दुनिया की तरफ लग जाता है,
तो अल्लाह तआला उस को दुनिया के हवाले कर देते हैं।”
खुशी के वक्त सज्द-ए-शुक्र अदा करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) को जब खुशी का मौक़ा आता या कोई खुशखबरी सुनाई जाती,
तो आप (ﷺ) सज्दा ए-शुक्र अदा करते।
लोगों से अपनी जरूरत छुपाए रखने की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“जो शख्स भूका हो, या उस को कोई और खास हाजत हो और वह अपनी उस भूक और हाजत को लोगों से छुपाए रखे (यानी उन के सामने जाहिर कर के उनसे सवाल न करे) तो अल्लाह तआला के जिम्मे है के उस को हलाल तरीके से एक साल का रिज्क अता फ़रमाए।”
अपने बीवी बच्चों से होशियार रहो
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“ऐ ईमान वालो ! तुम्हारी बाज़ बीवियाँ और बाज़ औलाद तुम्हारे हक़ में दुश्मन हैं, तो तुम उन से होशियार रहो।”
वजाहत: बीवी बच्चे बाज़ मर्तबा दुनियावी नफे के लिये शरीअत के खिलाफ कामों का हुक्म देते हैं, उन्हीं लोगों को अल्लाह तआला ने दीन का दुश्मन बताया है और उन के हुक्म को पूरा न करने की हिदायत दी है।
बगैर किसी उज्र के नमाज़ क़ज़ा करने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“जो शख्स दो नमाज़ों को बगैर किसी उज्र के एक वक्त में पढ़े वह कबीरा गुनाहों के दरवाजों में से एक दरवाजे पर पहुँच गया।”
बीमार को दुआ देना
रसूलुल्लाह (ﷺ) जब किसी मरीज की इयादत करते तो फ़र्माते:
لاَ بَأْسَ طَهُورٌ، إِنْ شَاءَ اللَّهُ
“La Basa Tahuran In Sha Allah”
तर्जमा: घबराओ नहीं इन्शाअल्लाह अच्छे हो जाओगे।
नेकियों का हुक्म देना और बुराइयों से रोकना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“कसम है उस जात की जिस के कब्जे में मेरी जान है तुम जरूर बिज जरूर भलाइयों का हुक्म करो और बुराइयों से रोको;
वरना करीब है के अल्लाह तआला गुनहगारों के साथ तुम सब पर अपना अजाब भेज दे,
और उस वक्त तुम अल्लाह तआला से दूआ मांगोगे तो वो भी कबूल ना होगी।”
वजाहत: नेकियों का हुक्म देना और बुराइयों से रोकना उम्मत के हर फर्द पर अपनी हैसियत और ताकत के मुताबिक़ लाज़िम और जरूरी है।
हलाल रोज़ी हासिल करना
रसुलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“जिस ने हलाल रोज़ी खाई और सुन्नत के मुताबिक अमल किया और लोग उस के जुल्म से महफूज रहे, तो वह जन्नत में दाखिल होगा।”
सब से बेहतरीन दवा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“सबसे बेहतरीन दवा कुरआन है।”
फायदा : उलमाए किराम फर्माते हैं के क़ुरआनी आयात के मफ़हूम के मुताबिक जिस बीमारी के लिए जो आयत मुनासिब हो, उस आयत को पढ़ने से इन्शा अल्लाह शिफा होगी और यह सहाब-ए-किराम का मामूल था।
दुआ के वक्त हाथों को उठाना
रसूलुल्लाह (ﷺ) दुआ के वक्त हाथों को इतना उठाते थे के आपकी बगल मुबारक जाहिर हो जाती थी।
जहन्नमियों का खाना
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“जहन्नम वालों का आज न कोई दोस्त होगा और न कोई खाने की चीज़ नसीब होगी, सिवाए जख्मों के धोवन के जिस को बड़े गुनहगारों के सिवा कोई न खाएगा।
“दोज़खियों को खौलते हुए चश्मे का पानी पिलाया जाएगा, उन को कांटेदार दरख्त के अलावा कोई खाना नसीब न होगा, जो न मोटा करेगा और न भूक को दूर करेगा।”
किसी इज्जत की हिफाज़त करने का सवाब
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“जिस ने पीठ पीछे अपने भाई की इज्जत की हिफाजत की। अल्लाह तआला अपनी जिम्मेदारी से उस को (जहन्नम की) आग से आज़ाद कर देगा।”
कयामत के दिन पहाड़ों का हाल
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है:
“लोग आपसे पहाड़ों के बारे में सवाल करते हैं। तो आप (ﷺ) फ़र्मा दीजिये के मेरा रब उन को बिल्कुल उड़ा देगा, फिर वह जमीन को हमवार मैदान कर देगा, तुम उस में कोई टेढ़ापन और बुलन्दी नहीं देखोगे।”
नाफ़र्मानों से नेअमतें छीन ली जाती हैं
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“वह नाफरमान लोग कितने ही बाग, चश्मे, खेतियाँ और उम्दा मकानात
और आराम के सामान जिन में वह मजे किया करते थे, (सब) छोड़ गए,
हम ने इसी तरह किया और उन सब चीज़ों का वारिस एक दूसरी कौम को बना दिया।
फिर उन लोगों पर न तो आसमान रोया और न ही जमीन
और नही उन को मोहलत दी गई।”
दुनिया में लगे रहने का अंजाम
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“जो शख्स (दुनिया की जेब व जीनत को देख कर और अपने अंजाम को सोचे बगैर) दुनिया में घुसता है, तो वह अपने आपको जहन्नम में डालता है।”
पछना के जरिये दर्द का इलाज
हजरत इब्ने अब्बास (र.अ) बयान करते हैं के :
“रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एहराम की हालत में दर्द की वजह से सर में पछना लगवाया।”
फायदा: पछना लगाने से बदन से फ़ासिद खून निकल जाता है जिस की वजह से दर्द वगैरह खत्म हो जाता है और आँख की रोशनी तेज़ हो जाती है।
दुनिया चाहने वालों का अन्जाम
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“जो कोई दुनिया ही चाहता है, तो हम उस को दुनिया में जितना चाहते हैं, जल्द देते हैं फिर हम उस के लिए दोजख मुकर्रर कर देते हैं, जिस में (ऐसे लोग कयामत के दिन) जिल्लत व रुसवाई के साथ ढकेल दिए जाएंगे।”
अच्छे और बुरे अख़्लाक़ की मिसाल
हदीस: रसूलल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“अच्छे अख्लाक बुराइयों को इस तरह खत्म कर देते हैं जिस तरह पानी बरफ को पिघला देता है और बुरे अख्लाक अच्छे कामों को इस तरह खत्म कर देते हैं जिस तरह सरका शहद को खराब कर देता है।”
शर्म व हया ईमान का जुज़ है
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“ईमान के साठ से ऊपर या सत्तर से कुछ जायद शोअबे हैं।
सब से अफज़ल (ला इलाहा इलल्लाहु) पढ़ना है
और सब से कम दर्जा रास्ते से तकलीफ़ देह चीज़ का हटा देना है
और शर्म व हया ईमान का हिस्सा है।”
हराम चीज़ों का बयान
क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है –
“तुम पर मरा हुआ जानवर, खून और खिंजीर का गोश्त हराम कर दिया गया है और वह जानवर भी जिस पर (ज़िब्हा करते वक्त) अल्लाह के अलावा किसी दूसरे का नाम लिया गया हो।”
दुनिया की नेअमतों का खुलासा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“तुम में से जिस शख्स को सेहत व तन्दुरुस्ती हासिल हो और अपने घर वालों की तरफ से उस का दिल मुतमइन हो और एक दिन का खाना उस के पास मौजूद हो, तो समझलो के दुनिया की तमाम नेअमत उसके पास मौजूद है।”
माल जमा करने का नुकसान
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“तुम माल व दौलत जमा न करो, क्योंकि उस की वजह से तुम दुनिया ही की तरफ माइल हो जाओगे।”
कोई चीज़ ऐब बताए बगैर बेचने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो शख्स कोई ऐबदार चीज़ उस का ऐब बताए बगैर बेचेगा, वह बराबर अल्लाह की नाराजगी में रहेगा और फरिश्ते उसपर लानत करते रहेंगे।”
सुबह शाम अपने रब को याद किया करो
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“तुम सुबह व शाम अपने रब को अपने दिल में गिड़गिड़ा कर, डरते हुए और दर्मियानी आवाज के साथ याद किया करो और गाफिलों में से मत हो जाओ।”
अपने अख़्लाक़ दुरूस्त करने की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“कामयाब हो गया वह आदमी जिस ने अपने दिल को ईमान के लिये सफारिश कर दिया और उसे सही सालिम रखा और अपनी जबान को सच्चा बनाया, अपने नफ़्स को नफ्से मुतमइन्ना और अख़्लाक़ को दुरूस्त बनाया और कानों को हक़ बात सुनने का और आँखों को अच्छी चीजों को देखने का आदी बनाया।”
माँगने वाले को नरमी से जवाब देना
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“माँगने वाले को नरमी से जवाब देना और उस को माफ कर देना उस सदके और ख़ैरात से बेहतर है, जिस के बाद तकलीफ पहुँचाई जाए, (याद रहे) अल्लाह तआला बड़ा बे नियाज और ग़ैरतमन्द है।”
मरीज़ के अयादत की फ़ज़ीलत
हज़रत अली (रज़ीअल्लाहु अन्हु) कहते है के ;
“जो शख्स किसी बीमार की दिन के आखिर हिस्से (शाम) में अयादत करता है तो इसके साथ सत्तर हज़ार फ़रिश्ते निकलते है और फज़र तक इस के लये मगफिरत की दुआ करते है, और इस के लिए जन्नत में एक बाग़ होता है, और जो शख्स दिन के इब्तेदाई (सुबह) में अयादत के लिए निकलता है इसके लिए सत्तर हज़ार फ़रिश्ते निकलते और शाम तक इस के लिए दुआ-ऐ-मग़फ़िरत करते है और इसके लिए जन्नत में एक बाग़ है।”
हूर की खूबसूरती
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“अगर जन्नत की कोई औरत ज़मीन वालों की तरफ झाँक ले तो ज़मीन व आसमान के दर्मियान की तमाम चीज़ों को रौशन कर दे और उस को खुश्बू से भर दे और उसकी ओढ़नी दुनिया और तमाम चीज़ो से बेहतर है।”
अहले जहन्नम पर दर्दनाक अजाब
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“बेशक जक्कूम का दरख्त बड़े मुजरिम का खाना होगा, जो तेल की तलछट जैसा होगा,
वह पेट में तेज़ गर्म पानी की तरह खौलता होगा (कहा जाएगा)
उस गुनहगार को पकड़ लो और घसीटते हुए दोजख के बीच में ले जाओ,
फिर उसके सर पर तकलीफ देने वाला खौलता हुआ पानी डालो,
(फिर कहा जाएगा) अज़ाब का मज़ा चख ! तू अपने आप को बड़ी इज्जत व शान वाला समझता था, यही वह अजाब है जिसके बारे में तुम शक किया करते थे।”
कसरत से इस्तिग़फार करने की सुन्नत
हज़रत अबू हुरैरा (र.अ) फर्माते हैं के मैं ने रसूलुल्लाह (ﷺ) को फर्माते हुए सुना के:
“ख़ुदा की कसम ! मैं दिन में सत्तर से जियादा मर्तबा अल्लाह तआला से तौबा व इस्तिगफार करता हूँ।”
दुनिया की रगबत का खौफ
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“मैं तुम से पहले जाने वाला हूँ और मैं तुम पर गवाह हूँ, तुमसे मिलने की जगह हौज़ होगी और अब मैं यहाँ खड़े हो कर उसे देख रहा हूँ, मुझे इस बात का अन्देशा नहीं के तुम मेरे बाद शिर्क करोगे, मगर इस बात का डर है के तुम कहीं दुनिया में रगबत न करने लगो।”
दरवाज़े पर सलाम करने की सुन्नत
रसूलुल्लाह (ﷺ) जब किसी के घर के दरवाज़े पर आते,
तो बिल्कुल सामने खड़े ना होते,
बल्क़ि दायीं तरफ या बायीं तरफ तशरीफ फ़रमा होते
और “अस्सलामु अलैकुम” फ़रमाते।
सूद से बचना
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“ऐ ईमान वालो! तुम कई गुना बढ़ा कर सूद मत खाया करो (क्योंकि सूद लेना मुतलकन हराम है) और अल्लाह तआला से डरते रहो ताके तुम कामयाब हो जाओ।”
नोट: कम या जियादा सुद लेना देना, खाना, खिलाना नाजाइज और हराम है,
कुरआन और हदीस में इस पर बडी सख्त सजा आई है,
लिहाजा हर मुसलमान पर सुदी लेन देन से बचना जरूरी है।’
अहले जन्नत का लिबास
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है:
“(अहले जन्नत) को सोने के कंगन पहनाए जाएंगे और सब्ज रंग के बारीक और मोटे रेशमी लिबास पहनेंगे।”
सच्चे लोगों के साथ रहो
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“ऐ ईमान वालो! अल्लाह तआला से डरते रहो और सच्चे लोगों के साथ रहो।”
नमाज़ों का सही होना जरूरी है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“कयामत के दिन सब से पहले नमाज़ का हिसाब होगा, अगर नमाज़ अच्छी हुई तो बाकी आमाल भी अच्छे होंगे और अगर नमाज खराब हुई तो बाकी आमाल भी खराब होंगे।”
बदअख़्लाक़ी से बचने की दुआ
۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) यह दुआ फरमाते थे :
اللَّهمَّ إِنِّي أَعُوذُ بِكَ مِن منْكَرَاتِ الأَخلاقِ، والأعْمَالِ، والأَهْواءِ
( Allahumma Inni A’udhu Bika Min Munkaratil-Akhlaqi Wal-Amali Wal-Ahwa )
तर्जुमा : ऐ अल्लाह ! मै बुरे अख्लाक और ख्वाहिशात से तेरी पनाह चाहता हु।
सदके से शैतान की शिकस्त
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जब कोई शख्स किसी चीज़ को सदके में निकाल देता है, तो सत्तर शैतानों के जबड़े टूट जाते हैं।”
जो रहम नहीं करता उस पर भी रहम नहीं किया जाता
हज़रत अकरअ बिन हाबिस (र.अ) की मौजूदगी में रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हज़रत हुसैन बिन अली का बोसा लिया।
यह देख कर हज़रत अकरअ विन हाबिस (र.अ) ने कहा: मेरे दसं बेटे हैं, मैंने कभी किसी का नहीं लिया। रसूलुल्लाह (ﷺ) ने यह सुनकर फ़र्माया : “जो रहम नहीं करता उस पर रहम भी नहीं किया जाता।”
जमात के लिये मस्जिद जाने की फ़ज़ीलत
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“जो शख्स बाजमात नमाज के लिये मस्जिद में जाए तो आते जाते हर कदम पर एक गुनाह मिटता है (हर कदम पर) और उसके लिये एक नेकी लिखी जाती है।”
किसी की मुसीबत पर खुशी का इजहार मत करो
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“तम अपने किसी भाई की मुसीबत पर खुशी का इजहार मत करो। (अगर एसा करोगे तो हो सकता है के) अल्लाह तआला उसको उस मुसीबत से नजात दे दे और तुम को उस मुसीबत में मुब्तला कर दे।”
सिफारिश पर बतौरे हदिया माल लेना एक गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“किसी ने अपने (मुसलमान) भाई की किसी चीज़ में सिफारिश की और सिफारिश करने पर सामने वाले ने उस को कोई चीज बतौरे हदिया पेश की और उस ने कुबूल कर ली, तो वह सूद के बहुत बड़े दरवाजे पर आ पहुँचा।”
शहीद कौन कौन लोग हैं
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“पाँच लोग शहीद हैं। ताऊन में मरने वाला, पेट की बीमारी में मरने वाला, डूब कर मरने वाला, दीवार वग़ैरा के गिरने से मरने वाला और राहे ख़ुदा में कत्ल होने वाला।”
इमाम से पहले सर उठाने का गुनाह
रसूलल्लाह ﷺ ने फ़र्माया:
“क्या वह शख्स जो (बाजमात नमाज़ में) इमाम से पहले अपने सर को उठाता है, इस बात से नहीं डरता, के अल्लाह तआला उसके सर को गधे का सर बना देगा, या उस की शक्ल गधे जैसी बना देगा।”
दो आदतें: दीनी मामले में अपने से बुलन्द शख्स को देखे …
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जो शख्स दीनी मामले में अपने से बुलन्द शख्स को देख कर उस की पैरवी करे और दुनियावी मामले में अपने से कमतर को देख कर अल्लाह तआला की अता करदा फजीलत पर उस की तारीफ करे, तो अल्लाह तआला उस को (इन दो आदतों की वजह से) सब्र करने वाला और शुक्र करने वाला लिख देता हैं।
और जो शख्स दीनी मामले में अपने से कमतर को देखे और दूनीयावी मामले में अपने से ऊपर वाले को देख कर अफसोस करे, तो अल्लाह तआला उसको साबिर व शाकिर नहीं लिखता।”
औरत पर सब से ज़्यादा हक़ उस के शौहर का है
۞ हदीस: हज़रत आयशा रज़ि० ने रसूलुल्लाह (ﷺ) से पूछा के
औरत पर तमाम लोगों में से किसका हक़ ज़्यादा है?
तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“औरत पर सब से ज़्यादा हक़ उस के शौहर का है।”
फिर हज़रत आयशा रज़ि० ने पूछा: मर्द पर सबसे ज़्यादा हक़ किसका है?
तो रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“मर्द पर सबसे ज़्यादा हक़ उस की माँ का है।“
हलाल रोज़ी कमाओ
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“रोज़ी को दूर न समझो, क्योंकि कोई आदमी उस वक्त तक नहीं मर सकता जब तक के जो रोजी उस के मुक़द्दर में लिख दी गई है, वह उस को न मिल जाए।
लिहाजा रोजी हासिल करने में बेहतर तरीका इख्तियार करो, हलाल रोजी कमाओ और हराम को छोड़ दो।”
शराब, मुरदार और खिन्ज़ीर हराम है
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“अल्लाह तआला ने शराब और उस की कीमत, मुरदार और उसकी कीमत, खिन्जीर और उसकी क़ीमत को हराम कर दिया है।”
खाना खाते वक्त टेक न लगाना
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“मैं टेक लगा कर नहीं खाता हूँ।”
फायदा: बिला उज्र टेक लगा कर खाना सुन्नत के खिलाफ है।
दीनी भाई की जियारत की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जिस ने किसी मरीज़ की इयादत की, या किसी दीनी भाई की जियारत की, तो एक पुकारने वाला (फरिश्ता) कहता है। तुम (दुनिया में) अच्छे रहो, तुम्हारा (अच्छे कामों की तरफ) चलना मुबारक हो और तुम ने (अपने इस अमल के जरिये) जन्नत का बुलंद दर्जा हासिल कर लिया है।”
नफ़्स की बुराई से पनाह माँगने की दुआ
रसूलल्लाह (ﷺ) ने हजरत इमरान बिन हुसैन (र.अ) के वालिद को यह दुआ सिखाई:
तर्जमा: ऐ अल्लाह! मेरे दिल में भलाई डाल दे और मेरे नफ़्स की बुराई से मुझे बचा दे।
मोहताजगी व जिल्लत से पनाह माँगना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
फक्र व मोहताजगी और जिल्लत से इस तरह पनाह माँगा करो :
“हम अल्लाह की पनाह चाहते हैं, फक्र व फाका और जिल्लत से और इससे के हम किसी पर जुल्म करें, या हम पर कोई जुल्म करे।“
मोमिन को नाहक़ क़त्ल करने की सज़ा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“हर गुनाह के बारे में अल्लाह से उम्मीद है के वह माफ कर देगा, सिवाए उस आदमी के जो अल्लाह तआला के साथ किसी को शरीक करने की हालत में मरा हो या उस ने किसी मोमिन को जान बूझ कर क़त्ल किया हो।”
माल व औलाद की मुहब्बत
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“(माल व औलाद की) कसरत और (दुनिया के सामान पर) फख्र ने तुम को (अल्लाह की याद से) ग़ाफिल कर दिया है, यहाँ तक के तुम कब्रिस्तान जा पहुँचते हो, हरगिज़ ऐसा न करो, तुमको बहुत जल्द मालूम हो जाएगा।”
कद्दू (दूधी) से इलाज
۞ हदीस: हज़रत अनस (र.अ) फर्माते हैं के,
“मैंने खाने के दौरान रसूलुल्लाह (ﷺ) को देखा के
प्याले के चारों तरफ से कद्दू तलाश कर के खा रहे थे,
उसी रोज़ से मेरे दिल में कद्दु की रग़बत पैदा हो गई।”
फायदा : अतिब्बा ने इस के बे शुमार फवायद लिखे हैं और अगर बही के साथ पका कर इस्तेमाल किया जाए तो
बदन को उम्दा ग़िज़ाइयत बख्शता है, गरम मिजाज और बुख़ार जदा लोगों के लिये यह गैर मामूली तौर पर नफा बख्श है।
आख़िरत में काफिर की बदहाली
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“क़यामत के दिन काफिर अपने पसीने में डूब जाएगा, यहाँ तक के वह पुकार उठेगा: ऐ मेरे परवरदिगार! जहन्नम में डालकर मुझे इस (अजाब) से नजात दे दीजिये।”
अज़ान देने की फ़ज़ीलत
रसुलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“जिस शख्स ने बारा साल तक अजान दी, उस के लिये जन्नत वाजिब हो गई और हर रोज अजान के बदले उसके लिये साठ नेकियाँ लिखी जाएँगी और हर तक्बीर पर तीस नेकियाँ मिलेंगी।”
कसरत से सज्दा करने की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“कसरत से सज्दा किया करो क्योंकि जब तुम सिर्फ और सिर्फ अल्लाह के लिये सज्दा करोगे तो अल्लाह तआला उस के बदले तुम्हें एक दर्जा बुलंद करेगा और तुम्हारा एक गुनाह माफ करेगा।”
नेक और अच्छे काम न करने की कसमें मत खाओ
۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞
“नेकी और परहेज़गारी इख्तियार करने और लोगों के दर्मियान सुलह कराने में अल्लाह को अपनी कस्मों में आड मत बनाया करो। (यानी नेक और अच्छे काम न करने की कसम मत खाओ) बेशक अल्लाह तआला सुनने वाला और जानने वाला है।”
घर वालों से नेक बरताव करना
हजरत आयशा (र.अ) फर्माती हैं के –
आप (ﷺ) ने ग़ज़वे के अलावा कभी भी किसी को अपने हाथ से नहीं मारा और न कभी किसी खादिम को मारा और न ही कभी किसी औरत को मारा।
जन्नत में दाखले के लिये ईमान शर्त है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जिस शख्स की मौत इस हाल में आए, के वह अल्लाह तआला पर और क़यामत के दिन पर ईमान रखता हो, तो उससे कहा जाएगा, के तूम जन्नत के आठों दरवाज़ों में से जिस से चाहो दाखिल हो जाओ।”
ज़रूरत से ज्यादा सामान शैतान के लिये
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हजरत जाबिर बिन अब्दुल्लाह (र.अ) से फ़र्माया :
“एक बिस्तर आदमी के लिये और एक उसकी बीवी के लिये और तीसरा मेहमान के लिये और चौथा शैतान के लिये होता है।”
मोहब्बत पाने का तरीका
एक शख्स ने रसूलुल्लाह (ﷺ) से अर्ज किया :
ऐ अल्लाह के रसूल ! मुझे कोई ऐसा अमल बंता दीजिये जिसको मैं करूं
ताके अल्लाह तआला और लोग मुझसे मुहब्बत करने लगें।
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“दुनिया से मुँह मोड़ लो, तो अल्लाह तुम से मुहब्बत करने लगेगा और जो लोगों के पास है। (यानी माल व दौलत) उससे बेरूखी इख्तियार कर लो, तो लोग तुमसे मुहब्बत करने लगेंगे।”
बाएँ हाथ से ना खाएं और ना पियें
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“तुम में से कोई अपने बाएँ हाथ से हरगिज़ न खाए और न बाएँ हाथ से पिये, क्योंकि शैतान अपने बाएँ हाथ से खाता पीता है।”
सलाम करने पर नेकियाँ
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जिस ने अस्सलामु अलैकुम कहा, उस के लिये दस नेकियाँ लिखी जाती हैं
और जिस ने अस्सलामु अलैकुम वरहमतुल्लाह कहा, उस के लिये बीस नेकियाँ लिखी जाती है,
और जिसने अस्सलामु अलैकुम वरहमतुल्लाह व बरकातुह कहा, उस के लिये तीस नेकियाँ लिखी जाती हैं।”