शिर्क और कत्ल करने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“अल्लाह तआला हर गुनाह को माफ कर सकता है, मगर उस आदमी को माफ नहीं करेगा,
जो शिर्क की हालत में मर जाए, दूसरा वह आदमी जो किसी (बेगुनाह) मुसलमान भाई को जानबूझ कर क़त्ल कर दे।”
तबीअत के मुवाफिक ग़िज़ा से इलाज
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“जब मरीज़ कोई चीज खाना चाहे, तो उसे खिलाओ।”
फायदा: जो गिजा चाहत और तबी अत के तकाजे से खाई जाती है, वह बदन में जल्द असर करती है, लिहाजा मरीज़ किसी चीज़ के खाने का तकाज़ा करे, तो उसे खिलाना चाहिये। हाँ अगर गिजा ऐसी है के जिस से मर्ज बढ़ने का कवी इमकान है, तो जरूर परहेज करना चाहिये।
तकब्बुर का अंजाम: दिल पर मुहर लग जाती है
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“जो लोग बगैर किसी दलील के अल्लाह तआला की आयात में झगड़े निकाला करते है, अल्लाह तआला और अहले ईमान के नज़दीक यह बात बड़ी काबिले नफरत है, इसी तरह अल्लाह तआला हर मुतकब्बिर सरकश के दिल पर मुहर लगा देता है।”
अल्लाह का ज़िक्र करने वाला जिन्दा है, और न करने वाला मुर्दा
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो शख्स अपने रब का जिक्र करे और जो अल्लाह का जिक्र न करे। उसकी मिसाल जिन्दा और मुर्दे की तरह है (यानी जिक्र करने वाला जिन्दा है और जिक्र न करने वाला मुर्दे की तरह है)।”
नमाज़ में इमाम की पैरवी करना
हज़रत अबू हुरैरह (र.अ) फ़र्माते हैं के
रसूलुल्लाह (ﷺ) हमें सिखाते थे के
“(नमाज़ में) इमाम से पहले रुक्न अदा न किया करो।”
फायदा : अगर इमाम के पीछे नमाज पढ़ रहा हो, तो तमाम अरकान को इमाम के पीछे अदा करना चाहिये, इमाम से आगे बढ़ना जाइज नहीं है।
ज़ियादा अमल की तमन्ना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“अगर कोई बन्दा पैदाइश के दिन से मौत आने तक अल्लाह की इताअत में चेहरे के बल गिरा पड़ा रहे तो वह भी क़यामत के दिन अपने सारे अमल को हक़ीर समझेगा और यह तमन्ना करेगा के उस को दुनिया की तरफ वापस कर दिया जाए ताके और ज़ियादा नेक अमल कर ले।”
अपने भाइयों के दर्मियान सुलह किया करो
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“मुसलमान आपस में एक दूसरे के भाई है (अगर उनके दरमियान लड़ाई हो जाए) तो अपने दो भाइयों के दर्मियान सुलह करा दिया करो, और अल्लाह से डरते रहा करो, ताके तुम पर रहम किया जाए।”
हलाल रोज़ी हासिल करना
रसुलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“जिस ने हलाल रोज़ी खाई और सुन्नत के मुताबिक अमल किया और लोग उस के जुल्म से महफूज रहे, तो वह जन्नत में दाखिल होगा।”
सब से बेहतरीन दवा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“सबसे बेहतरीन दवा कुरआन है।”
फायदा : उलमाए किराम फर्माते हैं के क़ुरआनी आयात के मफ़हूम के मुताबिक जिस बीमारी के लिए जो आयत मुनासिब हो, उस आयत को पढ़ने से इन्शा अल्लाह शिफा होगी और यह सहाब-ए-किराम का मामूल था।
अहले जन्नत का लिबास
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है:
“(अहले जन्नत) को सोने के कंगन पहनाए जाएंगे और सब्ज रंग के बारीक और मोटे रेशमी लिबास पहनेंगे।”
हिजाब क्या है?
हिजाब क्या है?
हिजाब” को लेकर आजकल एक गलतफहमी पाई जा रही है। लोग इसे एक कपड़ा समझ रहे हैं जो बुर्के के अलावा सिर पर बांधा जाता है। हालांकि ये ईजाद कपड़ा बेचने वालों ने की है।
“हिजाब के असल मायने रुकावट और आड़ के हैं।”
औरत अपने जिस्म और हम की नुमाइश को गैर मर्दो से छिपाने, रोकने के लिए जो तदबीर भी करती है इस्तेलाही(पारिभाषिक) तौर पर वो हिजाब है फिर चाहे वो चादर हो, बुर्का और नकाब हो, दरो दीवार हो, नज़रों का फेरना हो वगैराह।
मर्द भी औरत को देखकर अपनी नज़रें फेर लेता है तो यह हिजाब है! बुरी चीजो को देखना सुनना और बोलने से परहेज़ भी हिजाब है! अक्सर बोलचाल में बुरी बातों से बचने के लिए कहा जाता है “कुछ तो हिजाब करो।”
📕 idkbhopal (9617628145)
गुनाह और जुल्म व ज्यादती की बातें न करो
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“ऐ ईमान वालो! जब तुम आपस में खुफिया बातें करो, तो गुनाह और जुल्म व ज्यादती और रसुल की नाफ़रमानी की बातें न किया करो, बलके भलाई और परहेजगारी की बातें किया करो और अल्लाह से डरते रहो, जिसके पास तुम सब जमा किये जाओगे।”
अपनी औलाद को कत्ल न करो
कुरआन अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“तुम फक्र व फाका की वजह से अपनी औलाद को कत्ल न करो, हम उन को भी रोजी देते हैं और तुम को भी।”
अल्लाह की राह में अपनी जवानी लगाने की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
“जिसने अपनी जवानी अल्लाह के रास्ते में गुजार दी, तो कयामत के दिन उस के लिये एक नूर होगा।”
अहले जन्नत की नेअमतें: परहेज़गारों के लिये अच्छा ठिकाना है
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“परहेज़गारों के लिये (आखिरत में) अच्छा ठिकाना है, हमेशा रहने वाले बागात हैं, जिन के दरवाजे उन के लिये खुले हुए होंगे, वह उन बागों में तकिये लगाए बैठे होंगे, वह वहाँ (जन्नत के खादिमों से) बहुत से मेवे और पीने की चीजें मंगाएँगे और उन लोगों के पास नीची नजरों वाली हम उम्र हुरे होंगी।”
जमात के लिये मस्जिद जाने की फ़ज़ीलत
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“जो शख्स बाजमात नमाज के लिये मस्जिद में जाए तो आते जाते हर कदम पर एक गुनाह मिटता है (हर कदम पर) और उसके लिये एक नेकी लिखी जाती है।”
अल्लाह के रास्ते में मौत की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“जो अल्लाह के रास्ते में कत्ल किया जाए, या उसको मौत आजाए, तो वह (सीधा) जन्नत में जाता है।”
अल्लाह से मुहब्बत
रसूल अल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“अल्लाह तआला से मुहब्बत रखो, इस वजह से के वह तूमको खाने के लिये अपनी नेअमतें देता है और मुझ से मुहब्बत रखो, इस वजह से के अल्लाह तआला को मुझ से मुहब्बत है।”
अस्र की नमाज़ की फज़ीलत
एक मर्तबा रसूलुल्लाह (ﷺ) ने अस्र की नमाज़ पढ़ाई और फिर लोगों की तरफ मुतवज्जेह हो कर फ़रमाया –
“यह नमाज़ तुमसे पहले वाले लोगों पर भी फ़र्ज़ की गई थी, मगर उन्होंने इस को ज़ाय कर दिया, लिहाज़ा सुनो! जो इसको पाबन्दी से पढ़ता रहेगा उसको दोहरा सवाब मिलेगा।”
मुसलमानों को तकलीफ देने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जिस शख्स ने किसी मुसलमान को तकलीफ दी, उस ने मुझे तकलीफ पहुँचाई और जिसने मुझे तकलीफ पहुँचाई उसने अल्लाह को तकलीफ पहुँचाई।”
कलोंजी में हर बीमारी का इलाज है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“तुम इस कलोंजी को इस्तेमाल करो, क्यों कि इस में मौत के अलावा हर बीमारी की शिफ़ा मौजूद है।”
फायदा: अल्लामा इब्ने कय्यिम फर्माते हैं : इस के इस्तेमाल से उफारा (पेट फूलना) खत्म हो जाता है, बलगमी बुखार के लिए नफ़ा बख्श है, अगर इस को पीस कर शहद के साथ माजून बना लिया जाए और गर्म पानी के साथ इस्तेमाल किया जाए, तो गुर्दे और मसाने की पथरी को गला कर निकाल देती है।
अल्लाह और उसके बन्दों के हुकूक अदा करो
क़ुरान में अल्लाह तआला फर्माता है:
“अल्लाह के सिवा किसी की इबादत न करो, वालिदेन के साथ अच्छा सुलूक करो, रिश्तेदारों, यतीमों और मिसकीनों के साथ भी अच्छा बर्ताव करो, लोगों से ख़ुश अख्लाक़ी से बात करो, नमाज़ क़ायम करो और ज़कात अदा करो।”
सिर्फ दुनिया मांगने वाले को आख़िरत में कुछ नहीं मिलेगा
क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है:
“लोगों में से बाज़ ऐसे भी हैं जो कहते हैं, के ऐ हमारे परवरदिगार ! हम को (जो कुछ देना हो) दुनिया में ही दे दीजिये (तो उन को जो कुछ मिलना होगा वह दुनिया ही में मिल जाएगा) और ऐसे शख़्स को आख़िरत में कुछ न मिलेगा।”
सुन्नत पर अमल करने पर शहीद का सवाब
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो मेरी उम्मत में बिगाड़ के वक्त मेरी सुन्नत को मजबूती से थामे रहेगा, उसके लिये एक शहीद का सवाब है।”
बेवा या तलाकशुदा बेटी की कफालत की फजीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एक मर्तबा फ़रमाया –
“क्या मैं तुम्हें बेहतरीन सदक़ा न बताऊं?
तेरी वह लड़की जो लौट कर तेरे ही पास आ गई हो और उसके लिये तेरे सिवा कोई कमाने वाला न हो (तो ऐसी लड़की पर जो भी खर्च किया जाएगा वह बेहतरीन सदक़ा है।)”
कब्र का अज़ाब बरहक है
रसूलुल्लाह (ﷺ) दो कब्रों के करीब से गुजरे, आप ने फ़र्माया :
“इन दो कब्र वालों को अज़ाब हो रहा है, इन्हें किसी बड़े गुनाह की वजह से अज़ाब नहीं दिया जा रहा है, इन में से एक तो पेशाब (के छींटों) से नहीं बचता था और दूसरा चुगलखोरी किया करता था।”
📕 बुखारी: २१८. अन इब्ने अब्बास (र.अ)
वजाहत: इस हदीस से मालूम हुआ के कब्र का अज़ाब बरहक है और इन्सानों को अपने गुनाहों की सजा कब्र से ही मिलनी शुरू हो जाती है।
बैतुलखला जाने का तरीका
रसूलल्लाह (ﷺ) जब इस्तंजा के लिये तशरीफ ले जाते,
तो चप्पल पहन लेते और सर को ढांप लेते।
अल्लाह की राह में खर्च करे
۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“तुम को क्या हो गया के तुम अल्लाह के रास्ते में खर्च नहीं करते, हालां के आसमान और जमीन की सब मीरास अल्लाह ही की है।”
तिजारत में झूट बोलने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“ताजिर लोग बड़े गुनहगार होते हैं।
लोगों ने कहा : या रसूलल्लाह (ﷺ) ! क्या अल्लाह तआला ने तिजारत को हलाल नहीं किया?
आप (ﷺ) ने फ़रमाया :
“हाँ बेशक, लेकिन वह कसम खा कर गुनहगार होते हैं और बात करते हुए झूट बोलते हैं।”
अमानत वालों को अमानतें वापस कर दिया करो
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“अल्लाह तआला तुमको हुक्म देता है के
अमानत वालों को उनकी अमानतें वापस कर दिया करो।”
अल्लाह से सच्ची पक्की तौबा कर लो
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“ऐ ईमान वालो ! अल्लाह से सच्ची पक्की तौबा कर लो, उम्मीद है के तुम्हारा रब तुम्हारी खताओं को माफ कर देगा और जन्नत में दाखिल कर देगा।”
बीमार की नमाज़
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“नमाज़ खड़े होकर अदा करो: अगर ताक़त न हो तो बैठ कर अदा करो, और अगर उस पर भी कदरत नहो तो पहलू के बल लेट कर अदा करो।”
फायदा : अगर कोई बीमार हो और खड़े होकर नमाज़ पढ़ने पर क़ादिर न हो तो रुकू व सज्दा के साथ बैठ कर पढ़े, अगर रुकू व सज्दे पर भी कादिर न हो, तो बैठ कर इशारे से पढ़े और अगर बैठ कर पढ़ने की ताकत न रखता हो तो लेट कर पढ़े।
दुनिया के लालची अल्लाह की रहमत से दूर होंगे
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“क़यामत करीब आ चुकी है और लोग दुनिया की हिर्स व लालच और अल्लाह तआला की रहमत से दूरी में बढ़ते ही जा रहे हैं।”
खुलासा : कयामत के करीब आने की वजह से लोगों को नेकी कमाने की जियादा से जियादा फ़िक्र करनी चाहिये, लेकिन ऐसा करने के बजाए वह दुनिया की लालच में पड़ कर अल्लाह की रहमत से दूर होते जा रहे है।
दुनिया की चीजें खत्म होने वाली हैं
दुनिया की चीजें खत्म होने वाली हैं
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“जो कुछ तुम्हारे पास (दुनिया में) है वह (एक दिन) खत्म हो जाएगा और जो अल्लाह तआला के पास है वह हमेशा बाकी रहने वाली चीज़ है।”
अल्लाह से रेहम तलब करने की दुआ
अल्लाह तआला से रहम तलब करने के लिये दुआ
( Anta waliyyuna fagh-fir lana war-hamna, wa anta Khayrul- ghafirin )
तर्जुमा: (ऐ अल्लाह) तू ही हमारी खबर रखने वाला हैं, इस लिये हमारी मगफिरत और हमपर रहम फर्मा और तू सब से जियादा बेहतर माफ करने वाला हैं।
📕 सूरह आराफ: १५५
( Rabbana amanna faghfir lana warhamna wa anta khayrur Rahimiin )
तर्जमा : ऐ हमारे पालने वाले हम ईमान लाए तो तू हमको बख्श दे और हम पर रहम कर तू तो तमाम रहम करने वालों से बेहतर है।
📕 सूरह मोमिनून : १09
कब्र की पुकार
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“कब्र रोज़ाना पुकार कर कहती है, मैं तन्हाई का घर हूँ, मैं मिट्टी का घर हूँ, मैं कीड़े मकोड़े का घर हूँ।”
इल्म की फजीलत
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“इल्म की फजीलत इबादत की फजीलत से बेहतर है
और दीन में बेहतरीन चीज़ तक़वा व परहेजगारी है।”
मेहमान की दावत व मेहमान नवाजी तीन दिन है
मेहमान की दावत व मेहमान नवाजी तीन दिन है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“जो आदमी अल्लाह और यौमे आखिरत पर ईमान रखता हो, उसे अपने मेहमान का इकराम करना चाहिये, एक दिन व रात की खिदमत उस का जाइज हक़ है और उस की दावत व मेहमान नवाजी तीन दिन है, उस के बाद की मेजबानी उस के लिये सदक़ा है और मेहमान के लिये जियादा दिन ठहर कर मेजबान को तंगी में मुब्तला करना जाइज नहीं है।”
नमाज़ के लिये पैदल आना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“सब से जियादा नमाज का सवाब उस आदमी को मिलेगा जो सबसे जियादा पैदल चल कर आए फिर उससे जियादा सवाब उस आदमी को मिलेगा जो उस से ज़ियादा दूर से चल कर आए।”
इस्तिगफार की बेशुमार बरकतें
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जो शख्स पाबंदी के साथ इस्तिगफ़ार करेगा, अल्लाह तआला हर तंगी में उस के लिए आसानी पैदा करेगा, उसे हर गम से नजात दिलाएगा और उसे ऐसी जगह से रिज्क अता करेगा, जहां से उस को वहम व गुमान भी नहीं होगा।”
जन्नत वालों का इनाम व इकराम
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“(जन्नती लोग) जन्नत में सलाम के अलावा कोई बेकार व बेहूदा बात नहीं सुनेंगे और जन्नत में सुबह व शाम उनको खाना (वगैरह) मिलेगा। यही वह जन्नत है, जिसका मालिक हम अपने बन्दों में से उस शख्स को बनाएँगे, जो अल्लाह से डरने वाला होगा।”
मुसाफा मगफिरत का जरिया है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“जब दो मुसलमान आपस में मिलते हैं और मुसाफा करते हैं, तो जुदा होने से पहले उन दोनों की मगफिरत कर दी जाती है।”
सदका-ए-जारिया, नफ़ाबख्श इल्म और नेक औलाद की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जब आदम की औलाद का इंतकाल होता है, तो तीन कामों के अलावा उस के अमल का सिलसिला खत्म हो जाता है : (१) सदका-ए-जारिया (२) वह इल्म जिस से लोग फायदा उठाएँ (३) ऐसी नेक औलाद जो उस के लिये दुआ करती रहे।”
सखावत इख़्तियार करना
रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“अल्लाह तआला सखी है और सखावत को पसन्द करता है।
अच्छे अख्लाक़ को पसन्द करता है
और बुरे अख्लाक को नापसन्द करता है।”
लोगों की जरूरतें पूरी करने वालो की फ़ज़ीलत
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“अल्लाह तआला ने कुछ बन्दों को लोगों की जरूरत पूरी करने के लिये पैदा किया है, लोग उन के पास अपनी ज़रूरत ले कर जाते हैं, लोगों की जरूरत पूरी करने वाले यह लोग अल्लाह के अज़ाब से महफूज रहेंगे।”
मूंछों को तराशना
रसूलुल्लाह (ﷺ) मूंछों को तराश्ते थे और फ़रमाया करते थे के –
“हजरत इब्राहीम (र.अ) भी ऐसा ही किया करते थे।”
जैतून के तेल के फवायद
۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जैतून का तेल खाओ और उसे लगाओ, क्यों कि उस में सत्तर बीमारियों से शिफा है, जिनमें से एक कोढ़ भी है।”
कर्ज ना लौटाने की निय्यत से लेने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जो शख्स लोगों का माल (बतौर क़र्ज़) लेता है और उसे अदा करना चाहता हो तो उसकी तरफ से अल्लाह अदा फरमा देता है, लेकिन जो शख्स लोगों का माल वापस ना करने के इरादा से लेता है तो अल्लाह भी उसे तबाह कर देता है।
एक और रिवायत में आप ﷺ ने फ़र्माया :
“जो शख्स किसी से क़र्ज़ ले और दिल में यह पक्का इरादा कर रखे के कर्ज पूरा पूरा नहीं लौटाएगा, तो वह (क़यामत के दिन) अल्लाह से एक चोर की हालत में मुलाकात करेगा।”
अल्लाह इस बुरी सिफ़त से सबकी हिफाज़त फरमाए। अमीन
पड़ोसी के साथ अच्छा सुलूक करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“अल्लाह के नज़दीक बेहतरीन साथी (दोस्त) वह है, जो अपने साथी के लिये बेहतर हो और अल्लाह के नज़दीक बेहतरीन पड़ोसी वह है जो अपने पड़ोसी के हक़ में अच्छा हो।”
कुआं खुदवाने का सवाब
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जिस ने पानी का कुंवा खुदवाया और उस से किसी प्यासे परिन्दे, जिन या इन्सान ने पानी पिया, तो कयामत के दिन अल्लाह तआला उसको अज्र अता फ़रमाएगा।”
मुसलमान को कपड़ा पहनाने की फ़ज़ीलत
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जिसने किसी मुसलमान को कपड़ा पहनाया, जब तक उस के बदन में एक धागा भी रहेगा, वह उस वक्त तक अल्लाह की हिफाजत रहेगा।”
ईमान की बरकत से जहन्नम से छुटकारा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
जब जन्नती जन्नत में चले जाएंगे और जहन्नमी जहन्नम में चले जाएंगे, तो अल्लाह तआला फरमाएगा:
“जिस के दिल में राई के दाने के बराबर भी ईमान हो उसे भी जहन्नम से निकाल लो, चुनान्चे उन लोगों को भी निकाल लिया जाएगा, जिनकी यह हालत होगी के वह जल कर काले सियाह हो गए होंगे। उसके बाद उन को “नहरे हयात” में डाला जाएगा, तो इस तरह निकल आएंगे जैसे दाना सैलाब के कड़े में (खाद और पानी मिलने की वजह से) उग आता है।”
अपने बीवी बच्चों से होशियार रहो
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“ऐ ईमान वालो ! तुम्हारी बाज़ बीवियाँ और बाज़ औलाद तुम्हारे हक़ में दुश्मन हैं, तो तुम उन से होशियार रहो।”
वजाहत: बीवी बच्चे बाज़ मर्तबा दुनियावी नफे के लिये शरीअत के खिलाफ कामों का हुक्म देते हैं, उन्हीं लोगों को अल्लाह तआला ने दीन का दुश्मन बताया है और उन के हुक्म को पूरा न करने की हिदायत दी है।
नमाज के लिये मस्जिद जाना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जो शख्स सुबह व शाम मस्जिद जाता है अल्लाह तआला उस के लिये जन्नत में मेहमान नवाज़ी का इंतिज़ाम फ़रमाता हैं, जितनी मर्तबा जाता है उतनी मर्तबा अल्लाह तआला उस के लिये मेहमान नवाज़ी का इंतिज़ाम फ़रमाता हैं।”
गुनहगारों के लिये जहन्नम की आग है
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“(अल्लाह का अज़ाब उस दिन होगा) जिस दिन आसमान थर थर काँपने लगेगा और पहाड़ अपनी जगह से चल पड़ेंगे। उस दिन झुटलाने वालों के लिये बड़ी खराबी होगी, जो बेहूदा मशगले में लगे रहते हैं, उस दिन उन को जहन्नम की आग की तरफ धक्के मार कर धकेला जाएगा (और कहा जाएगा) यही वह आग है जिस को तुम झुटलाया करते थे।”
कयामत के दिन पूरा पूरा बदला दिया जाएगा
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“जब हम उन लोगों को उस दिन जमा करेंगे, जिस के आने में कोई शक नहीं और हर एक आदमी को उस के आमाल का पूरा पूरा बदला दिया जाएगा और उन पर कोई जुल्म नहीं किया जाएगा।”
झूठे बादशाह का अंजाम: हदीस
झूठे बादशाह का अंजाम: हदीस
अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने फ़रमाया:
“अल्लाह तआला रोज़े क़यामत 3 तरह के लोगो से न कलाम करेगा और न ही उनकी तरफ नज़रे रेहमत से देखेगा, और उनको दर्दनाक अजाब में मुब्तेला करेगा, और वो 3 ये लोग होंगे:
“बुढा जानी, झूठा बादशाह और मुतक्कबिर फ़क़ीर।”
वजू के दरमियान की दुआ
रसूलुल्लाह (ﷺ) वुजू के दौरान यह दुआ पढ़ते थे:
तर्जमा : ऐ अल्लाह ! मेरे गुनाहों को माफ़ फ़र्मा और मेरे घर में वुसअत और रिज्क में बरकत अता फ़र्मा।
इजार या पैन्ट टखने से नीचे पहनने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जो शख्स तकब्बुर के तौर पर अपने इज़ार को टखने से नीचे लटकाएगा, अल्लाह तआला क़यामत के दिन उसकी तरफ रहमत की नजर से नहीं देखेगा।”
सिर्फ दुनिया की नेअमतें मत मांगो
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“जो शख्स (अपने आमाल के बदले में) सिर्फ दुनिया के इनाम की ख्वाहिश रखता है (तो यह उस की नादानी है के उसे मालूम नहीं) के अल्लाह तआला के यहाँ दुनिया और आखिरत दोनों का इनाम मौजूद है (लिहाजा अल्लाह से दुनिया और आखिरत दोनों की नेअमतें मांगो) अल्लाह तुम्हारी दुआओं को सुनता और तुम्हारी निय्यतों को देखता है।”
क़यामत के दिन लोगों की हालत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“क़यामत के रोज़ सूरज एक मील के फासले पर होगा और उसकी गर्मी में भी इज़ाफा कर दिया जाएगा, जिस की वजह से लोगों की खोपड़ियों में दिमाग़ इस तरह उबल रहा होगा जिस तरह हाँड़ियाँ जोश मारती हैं, लोग अपने गुनाहों के बक़द्र पसीने में डूबे हुए होंगे, बाज टखनों तक, बाज़ पिंडलियों तक, बाज कमर तक और बाज़ के मुंह में लगाम की तरह होगा।”
नफा बख्श इल्म के लिए दुआ
हज़रत अबू हुरैरह (र.अ) फर्माते हैं के रसूलुल्लाह (ﷺ) यह दुआ फरमाते थेः
”ऐ अल्लाह ! जो इल्म तूने मुझे दिया है इस से नफ़ा अता फर्मा और मुझे नफ़ा बख्श इल्म अता फ़र्मा और मेरे इल्म में ज़ियादती अता फ़र्मा।”
हर मामले में इंसाफ करो
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
” ऐ ईमान वालो ! अल्लाह तआला के लिये सच्चाई पर कायम रहने वाले और इन्साफ के साथ शहादत (गवाही) देने वाले बन जाओ और किसी कौम की दुश्मनी तुम्हें इस बात पर आमादा न कर दे, के तुम इन्साफ न करो (बल्कि हर मामले में) इंसाफ करो, यह परहेजगारी के ज्यादा करीब है और अल्लाह तआला से डरते रहो बेशक जो कुछ तुम करते हो अल्लाह तआला उसे बाखबर है।”
एक दिन के नफ़ली रोजे का सवाब
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“अगर कोई शख्स अल्लाह के वास्ते एक दिन का नफ़ली रोजा रखे और उसके बदले में उस को सारी जमीन भरकर सोना (रोजाना) दिया जाए, तो कयामत के दिन तक भी इस रोजे के सवाब का बदला अदा नहीं हो सकता।”
क़ज़ा नमाजों की अदायगी
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जो कोई नमाज पढ़ना भूल गया या नमाज के वक्त सोता रह गया, तो (उसका कफ्फारा यह है के) जब याद आए उसी वक्त पढ़ ले।”
फायदा: अगर किसी शख्स की नमाज किसी उज्र की वजह से छूट जाए
या सोने की हालत में नमाज़ का वक़्त गुज़र जाए, तो बाद में उसको पढ़ना फर्ज है।
मोहताजगी व जिल्लत से पनाह माँगना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
फक्र व मोहताजगी और जिल्लत से इस तरह पनाह माँगा करो :
“हम अल्लाह की पनाह चाहते हैं, फक्र व फाका और जिल्लत से और इससे के हम किसी पर जुल्म करें, या हम पर कोई जुल्म करे।“
झूठी कसम खाने का वबाल
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जो शख्स झूटी कसम खाए, ताके उस के ज़रिए किसी मुसलमान का माल हासिल कर ले, तो वह अल्लाह तआला से इस हाल में मुलाकात करेगा के अल्लाह तआला उस पर सख्त नाराज़ होगा।”
सोने के आदाब (सुन्नत)
रसूलुल्लाह (ﷺ) जब सोने का इरादा करते
तो अपने दाहने हाथ को दाहने गाल के नीचे रख कर सोते फिर तीन बार यह दुआ पढ़ते :
(Allahumma qinee ‘adhabaka yawma tab’athu ‘ibadaka)
तर्जुमा: (ऐ अल्लाह! मुझे (उस दिन) अपने अ़ज़ाब से बचा, जिस दिन तू अपने बन्दों को उठायेगा।
अहले जन्नत की उम्र
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:
“जन्नती लोग जन्नत में बगैर दाढ़ी के सुरमा लगाए हुए
तीस या तैंतीस साला नौजवान की शकल में
दाखिल होंगे।”
रसूलल्लाह (ﷺ) की नाफ़रमानी करने का गुनाह
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“मेरे सब उम्मती जन्नत में जाएंगे मगर जिसने इन्कार कर दिया (वह जन्नत में दाखिल न होगा। ) अर्ज़ किया गया : या रसूलल्लाह (ﷺ) इन्कार कौन करेगा? फ़रमाया : जिसने मेरी इताअत की जन्नत में दाखिल हो गया और जिसने मेरी फ़रमानी की तो उसने इन्कार किया।“
दोज़ख़ (जहन्नुम) की दीवार की चौड़ाई
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“दोजख की आग की कनातों को चार दीवारों ने घेर रखा है
और हर एक दीवार की चौड़ाई चालीस साल चलने के बराबर है।”
बीमार को परहेज़ का हुक्म
एक मर्तबा उम्मे मुन्जिर (र.अ) के घर पर रसूलुल्लाह (ﷺ) के साथ साथ हजरत अली (र.अ) भी खजूर खा रहे थे, तो आप (ﷺ) ने फ़रमाया: “ऐ अली! बस करो, क्योंकि तुम अभी कमजोर हो।”
फायदाः बीमारी की वजह से चूंकि सारे ही आज़ा कमज़ोर हो जाते हैं, जिन में मेअदा भी है, इस लिए ऐसे मौके पर खाने पीने में एहतियात करना चाहिए और मेअदे में हल्की और कम ग़िज़ा पहुँचनी चाहिए ताके सही तरीके से हज़्म हो सके।
कुरआन का मजाक उड़ाने का गुनाह
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“जब इन्सान के सामने हमारी आयतें पढ़ी जाती हैं, तो कहता है के यह पहले लोगों के किस्से कहानियां हैं। हरगिज़ नहीं! बल्के उन के बुरे कामों के सबब उन के दिलों पर जंग लग गया है।”
वुजू में चमड़े के मोज़े पर मसह करना
हज़रत अली (र.अ) फ़र्माते हैं :
“मैं ने हुजूर (ﷺ) को मोज़े के ऊपर के हिस्से पर मसह करते देखा।”
नोट: जब किसी ने बावुजू चमड़े का मोज़ा पहेना हो, फिर वुजू टूट जाए,
तो वुजू करते वक्त उन मोजों के ऊपरी हिस्से पर मसह करना जरूरी है।
कुरआन सुनने से रोकने का गुनाह
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“यह काफिर लोग (एक दूसरे से) कहते हैं के इस कुरआन को मत सुना करो और उस के दौरान शोर मचाया करो, उम्मीद है के इस तरह तुम ग़ालिब आ जाओगे। उन काफिरों को हम सख्त अज़ाब का मज़ा चखाएँगे और यकीनन हम उनको बुरे आमाल का बदला देंगे, जो वह किया करते थे।”
कम दर्जे वाले जन्नती का इनाम
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया –
“अदना दर्जे का जन्नती वह होगा, जिस के एक हज़ार महल होंगे, हर दो महलों के दर्मियान एक साल के बराबर चलने का फासला होगा, यह जन्नती दूर के महलों को इसी तरह देखेगा जिस तरह करीब के महलों को देखेगा, हर एक महल में खूबसूरत गहरी सियाह आँखों वाली हूर होंगी और उमदा बागात और (खिदमत के लिये) लड़के होंगे, जिस चीज़ की भी वह तलब करेगा, उसको पेश कर दी जाएगी।”
वसिय्यत के लिए दो इंसाफ पसंद लोग गवाह हो
कूरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“ऐ ईमान वालो ! जब तुम में से किसी को मौत आने लगे वसीय्यत के वक्त शहादत के लिये तूम (मुसलमानों) में से दो इन्साफ पसन्द आदमी गवाह होने चाहिये या फिर तुम्हारे अलावा दूसरी कौम के लोग गवाह होने चाहिये। जैसे तुम सफर में गए हो, फिर तुम्हें मौत का हादसा आ जाए।”
जमीन में फसाद फैलाने का गुनाह
क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है:
“बिलाशुबाह लोग जो अल्लाह से पक्का अहद करने के बाद तोड़ डालते हैं
और उन रिश्ते नातों को भी तोड़ डालते हैं जिन को अल्लाह ने जोड़े रखने का हुक़्म दिया है
और ज़मीन में फसाद फैलाते फिरते हैं,
तो ऐसे लोग बड़े ख़सारे (नुकसान उठाने) वाले हैं।”
अल्लाह की चाहत दुनिया नहीं
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“तुम तो दुनिया का माल व असबाब चाहते हो और अल्लाह तआला तुमसे आखिरत को चाहता हैं।”
फायदा: इंसान हर वक़्त दुनियावी फायदे में मुन्हमिक रहता है और उसी को हासिल करने की फिक्र में लगा रहता है, हालांकि अल्लाह तआला चाहते हैं के दुनिया के मुकाबले में आखिरत की फिक्र ज्यादा की जाए, क्योंकि आखिरत में हमेशा रहना है।
वालिदैन की नाफरमानी और जुल्म करने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“तुम जुल्म व सितम करने से बचो ! क्योंकि जुल्म व सितम की सज़ा दूसरी सजाओं के मुकाबले में सबसे जल्दी मिलती है। और वालिदैन की नाफर्मानी से बचो! अल्लाह की कसम वालिदैन का नाफ़र्मान जन्नत की खुश्बू भी नहीं पाएगा। जब के जन्नत की खुश्बू एक हजार साल की दूरी से महसूस होती है।”
हर नबी का हौज होगा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“हर नबी के लिये एक हौज़ होगा और अम्बिया आपस में फख्र करेंगे के किस के हौज़ पर ज़ियादा उम्मती पानी पीने के लिये आते हैं।
मुझे उम्मीद है के मेरे हौज पर आने वालों की तादाद सबसे ज़ियादा होगी।”
जन्नत की सिफात
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“वह घर हमेशा रहने के बाग़ हैं, जिन में परहेजगार लोग दाखिल होंगे। उन बागों के नीचे दूध, शहद और पाकीज़ा शराब की नहरें बह रही होंगी, जिस चीज़ को उनका जी चाहेगा वह उन को वहाँ मिलेगी। अल्लाह तआला परहेजगारों को ऐसा ही बदला दिया करता है।”
इल्म हासिल करना फ़र्ज़ है …
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“इल्म हासिल करना हर मुसलमान पर फर्ज है।”
फायदा : हर मुसलमान पर इल्मे दीन का इतना हासिल करना फर्ज है के जिस से हलाल व हराम में तमीज़ कर ले और दीन की सही समझ बूझ, इबादात के तरीके और सही मसाइल की मालमात हो जाए।
अहले जन्नत का इनाम : उस दिन बहुत से चेहरे तर व ताजा होंगे
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता :
“उस दिन बहुत से चेहरे तर व ताजा होंगे, अपने (नेक) आमाल की वजह से खुश होंगे, ऊँचे ऊँचे बागों में होंगे। वह उन बागों में कोई बेहूदा बात नहीं सुनेंगे। उनमें चश्मे बह रहे होंगे।”
छह चीजों की जमानत: जब बात करो तो सच बोलो
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“तुम अपनी तरफ से मुझे छह चीजों की जमानत दे दो मैं तुम्हें जन्नत की जमानत देता हूँ। जब तुम बात करो तो सच बोलो, जब वादा करो तो पूरा करो, जब तुम्हारे पास अमानत रखी जाए तो अमानत अदा करो, अपनी शर्मगाहों की हिफाजत करो, अपनी आँखों को नीचे रखो और अपने हाथों को (जुल्म व सितम से) रोके रखो।”
कयामत के हालात
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है
“जब सूरज बेनूर हो जाएगा और सितारे टूट कर गिर पड़ेंगे और जब पहाड़ चला दिए जाएँगे और जब दस माह की गाभिन ऊँटनियाँ (कीमती होने के बावजूद आजाद) छोड़ दी जाएँगी और जब जंगली जानवर जमा हो जाएँगे और जब दर्या भड़का दिए जाएंगे।”
शिर्क करने वाले की मिसाल
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“तुम सिर्फ अल्लाह की तरफ मुतवज्जेह रहो, उस के साथ किसी को शरीक मत ठहराओ और जो शख्स अल्लाह के साथ शिर्क करता है, तो उसकी मिसाल ऐसी है जैसा के वह आसमान से गिर पड़ा हो, फिर परिन्दों ने उस की बोटियाँ नोच ली हों या हवा ने किसी दूर दराज मक़ाम पर ले जाकर उसे डाल दिया हो।”
यतीमों का माल खाने का गुनाह
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“यतीमों के माल उन को देते रहा करो और पाक माल को नापाक माल से न बदलो और उन का माल अपने मालों के साथ मिला कर मत खाओ ऐसा करना यकीनन बहुत बड़ा गुनाह है।”
जहन्नमियों का खाना
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“जहन्नम वालों का आज न कोई दोस्त होगा और न कोई खाने की चीज़ नसीब होगी, सिवाए जख्मों के धोवन के जिस को बड़े गुनहगारों के सिवा कोई न खाएगा।
“दोज़खियों को खौलते हुए चश्मे का पानी पिलाया जाएगा, उन को कांटेदार दरख्त के अलावा कोई खाना नसीब न होगा, जो न मोटा करेगा और न भूक को दूर करेगा।”
घरवालों पर सवाब की नियत से खर्च करना भी सदक़ा है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जब आदमी अपने अहले खाना पर सवाब की निय्यत से खर्च करता है, तो यह खर्च करना उस के हक में सद्का है।”
आखिरत के मुकाबले में दुनिया से राज़ी होने का वबाल
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“क्या तुम लोग आख़िरत की जिन्दगी के मुकाबले में दुनिया की ज़िन्दगी पर राजी हो गए? दुनिया का माल व मताअ तो आखिरत के मुकाबले में कुछ भी नहीं।”
यानी मुसलमान के लिये मुनासिब नहीं है के वह दुनिया ही की जिन्दगी पर राजी हो जाए या दुनिया के थोड़ेसे साज़ व सामान की खातिर अपनी आखिरत को बरबाद कर दे।
मिस्वाक के फायदे
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने इर्शाद फ़रमाया :
“मिस्वाक मुंह की सफाई और अल्लाह की रज़ामंदी का ज़रिया है।”
फायदा : अल्लामा इब्ने कय्यिम मिस्वाक के फवाइद में लिखते हैं, यह दाँतों में चमक पैदा करती है, मसूड़ों में मज़बूती और मुँह की बदबू ख़त्म करती है, जिससे दिमाग़ पाक व साफ हो जाता है। यह बलग़म को काटती है, निगाह को तेज़ और आवाज़ को साफ करती है और भी इस के बहुत से फवाइद हैं।
अल्लाह के हुक्म पर चलो ताकि तुम टेढ़े रास्ते से बच सको
कुरान में अल्लाह तआला फरमाता है:
“ये बताये हुए अहकाम ही मेरा सीधा रास्ता है, तुम इसी पर चलो और दूसरे गलत रास्तों पर मत चलो वरना वो रास्ते तुमको राहे खुदा से हटा देंगे, अल्लाह तआला इस बात का तुमको ताकीद के साथ हुक्म देता है ताकि तुम टेढ़े रास्ते से बच सको।”
वारिसीन के दर्मियान विरासत तकसीम करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“माल (विरासत) को किताबुल्लाह के मुताबिक हक़ वालों के दर्मियान तकसीम करो।”
फायदा : अगर किसी का इन्तेकाल हो जाए और उस ने माल छोड़ा हो, तो उस को तमाम हक वालों के दर्मियान तकसीम करना वाजिब है, बगैर किसी शरई वजह के किसी वारिस को महरूम करना या अल्लाह तआला के बनाए हुए हिस्से से कम देना जाइज नहीं है ।
बोहतान / झूठा इलज़ाम लगाने का गुनाह और अज़ाब
झूठी तोहमत लगाने का गुनाह
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“जो लोग मुसलमान मर्दो और मुसलमान औरतों को बगैर किसी जुर्म के तोहमत लगा कर तकलीफ पहुँचाते हैं, तो यक़ीनन वह लोग बड़े बोहतान और खुले गुनाह का बोझ उठाते हैं।”
झूठा इलज़ाम लगाने का अज़ाब
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“जिस ने किसी मोमिन के बारे में ऐसी बात कही जो उस में नहीं है, तो अल्लाह तआला उस को दोज़खियों के पीप में डाल देगा, यहाँ तक के उस की सजा पा कर उस से निकल जाए।”
दुनिया की मुहब्बत बीमारी है
हज़रत अबू दर्दा (र.अ) फ़र्माते थे के
क्या मैं तुम को तुम्हारी बीमारी और दवा न बताऊं ?
तुम्हारी बीमारी दुनिया की मुहब्बत है और
तुम्हारी दवा अल्लाह तआला का जिक्र है।
कुफ्र व नाफर्मानी की सजा
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“जो शख्स मुंह मोड़ेगा और कुफ्र करेगा, तो अल्लाह तआला उस को बड़ा अज़ाब देगा फिर उन को हमारे पास आना है। फिर हमारे ज़िम्मे उन का हिसाब लेना है।”
दुनिया की रगबत का खौफ
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“मैं तुम से पहले जाने वाला हूँ और मैं तुम पर गवाह हूँ, तुमसे मिलने की जगह हौज़ होगी और अब मैं यहाँ खड़े हो कर उसे देख रहा हूँ, मुझे इस बात का अन्देशा नहीं के तुम मेरे बाद शिर्क करोगे, मगर इस बात का डर है के तुम कहीं दुनिया में रगबत न करने लगो।”
माँ बाप पर लानत भेजने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“(शिर्क के बाद) सब से बड़ा गुनाह यह है के आदमी अपने माँ बाप पर लानत करे।”
अर्ज किया गया: ऐ अल्लाह के रसूल ! कोई अपने माँ बाप पर लानत कैसे भेज सकता है?
फर्माया : इस तरह के जब किसी के माँ बाप को बुरा भला कहेगा तो वह भी उसके माँ बाप को बुरा भला कहेगा।”
हर बीमारी का इलाज तिब्बे नबवी से
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“अल्लाह तआला ने हर बीमारी के लिए दवा उतारी है, जब बीमारी को सही दवा पहुँच जाती है, तो अल्लाह तआला के हुक्म से बीमारी ठीक हो जाती है।”