दोज़ख़ (जहन्नम) के मुस्तहिक
रसूलुल्लाह (ﷺ) फ़रमाते हैं के :
“क्या मैं तुम्हें जहन्नमी लोगों के बारे में न बताऊँ ?
हर सख्त मिजाज, बद अख्लाक और
तकब्बुर करने वाला ( जहन्नमी है )”
सिला रहमी करना
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:
“जो लोग अल्लाह के अहद को तोड़ते हैं, उस को मजबूत कर लेने के बाद और उन तअल्लुक़ात को तोड़ते हैं, जिन के जोड़ने का अल्लाह तआला ने हुक्म दिया है और जमीन में फसाद मचाते हैं, यही लोग नुकसान उठाने वाले हैं।”
फायदा: रिश्ते, नाते और तअल्लुक़ात को बरकरार (सिला रहमी करना) रखना और उस को खत्म न करना बहुत जरूरी है।
यतीमों का माल खाने का गुनाह
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“यतीमों के माल उन को देते रहा करो और पाक माल को नापाक माल से न बदलो और उन का माल अपने मालों के साथ मिला कर मत खाओ ऐसा करना यकीनन बहुत बड़ा गुनाह है।”
कब्र का अज़ाब बरहक है
रसूलुल्लाह (ﷺ) दो कब्रों के करीब से गुजरे, आप ने फ़र्माया :
“इन दो कब्र वालों को अज़ाब हो रहा है, इन्हें किसी बड़े गुनाह की वजह से अज़ाब नहीं दिया जा रहा है, इन में से एक तो पेशाब (के छींटों) से नहीं बचता था और दूसरा चुगलखोरी किया करता था।”
📕 बुखारी: २१८. अन इब्ने अब्बास (र.अ)
वजाहत: इस हदीस से मालूम हुआ के कब्र का अज़ाब बरहक है और इन्सानों को अपने गुनाहों की सजा कब्र से ही मिलनी शुरू हो जाती है।
दुनिया से बेरग़वती का इनाम
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
“जो शख्स जन्नत का ख्वाहिश मन्द होगा वह भलाई में जल्दी करेगा।
और जो शख्स जहन्नम से खौफ करेगा, वह ख्वाहिशात से गाफिल (बेपरवाह) हो जाएगा
और जो मौत का इंतज़ार करेगा उसपर लज्जतें बेकार हो जाएगी
और जो शख्स दुनिया में जुद (दुनिया से बेरगबती) इख्तियार करेगा,
उस पर मुसीबतें आसान हो जाएँगी।”
बेवा और मिस्कीन की मदद करने की फजीलत
रसलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“बेवा और मिस्कीन के कामों में जद्दो जहद करने वाला अल्लाह के रास्ते में जिहाद करने वाले के बराबर है।”
इंसान को उस के माँ बाप के बारे में ताकीद
अल्लाह तआला कुरआन में फरमाता है:
“हमने इन्सान को उस के माँ बाप के बारे में ताकीद की हे के –
माँ-बाप के साथ अच्छा बर्ताव करे, (क्योंकि) उस की माँ ने तकलीफ पर तकलीफ उठा कर उस को पेट मैं रखा और दो साल में उस का दूध छुड़ाया है, ऐ इन्सान ! तू मेरा और अपने माँ-बाप का हक मान (इस लिये के) तुम सब को मेरी ही तरफ लौट कर आना है।”
सजद-ए-तिलावत अदा करना
हज़रत इब्ने उमर (र.अ) फ़र्माते हैं :
“हुजूर (ﷺ) हमारे दर्मियान सजदे वाली सूरह की तिलावत फ़र्माते, तो सजदा करते और हम लोग भी सजदा करते, हत्ता के हम में से बाज़ आदमी को अपनी पेशानी रखने की जगह नहीं मिलती।”
📕 बुखारी: १७५, अन इब्ने उमर (र.अ)
वजाहत: सजदे वाली आयत तिलावत करने के बाद, तिलावत करने वाले और सुनने वाले दोनों पर सजदा करना वाजिब है।
नेक और अच्छे काम न करने की कसमें मत खाओ
۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞
“नेकी और परहेज़गारी इख्तियार करने और लोगों के दर्मियान सुलह कराने में अल्लाह को अपनी कस्मों में आड मत बनाया करो। (यानी नेक और अच्छे काम न करने की कसम मत खाओ) बेशक अल्लाह तआला सुनने वाला और जानने वाला है।”
जन्नत हासिल करने के लिये दुआ करना
जन्नत हासिल करने के लिये इस दुआ को कसरत से माँगे:
तर्जमा: (ऐ मेरे रब!) मुझ को जन्नत की नेअमतों का वारिस बना दे।
दुनिया में खाना पीना चंद रोज़ा है
क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है –
“तुम (दुनिया में) थोड़े दिन खा लो और (उससे) फायदा उठालो, बेशक तुम मुजरिम हो (यानी यह दुनियवी ज़िंदगी चंद रोज़ की है, अगर उसके पीछे पड़ कर अपनी आखिरत की ज़िंदगी को भुला दोगे, तो क़यामत के दिन तुम मुजरिम बन कर उठोगे)।”
घर वालों से नेक बरताव करना
हजरत आयशा (र.अ) फर्माती हैं के –
आप (ﷺ) ने ग़ज़वे के अलावा कभी भी किसी को अपने हाथ से नहीं मारा और न कभी किसी खादिम को मारा और न ही कभी किसी औरत को मारा।
दुनिया व आखिरत में आफियत की दुआ
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
बन्दे की अपने रब से माँगी जाने वाली दुआओं में सबसे अफजल यह है:
तर्जमा: ऐ अल्लाह! मैं दुनिया और आखिरत में तुझसे आफियत व भलाई का सवाल करता हूँ।
रुख्सत के वक़्त मुसाफा करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) जब किसी को रुख्सत फर्माते, तो उस का हाथ अपने हाथ में ले लेते और उस वक़्त तक (उसका हाथ) न छोड़ते, जब तक के वह आप के हाथ को खुद न छोड़ दे।
मुस्कुराते हुए मुलाकात करना
हजरत जरीर (र.अ) के फर्माते हैं के मेरे इस्लाम लाने के बाद रसूलुल्लाह (ﷺ) ने मुझे कभी भी किसी भी वक्त अपने पास हाजिर होने से नहीं रोका और जब भी मुझे देखते तो आप मुस्कुराते थे।
मुसीबत के वक्त की दुआ
जब कोई मुसीबत पहुँचे या उसकी खबर आए, तो यह दुआ पढ़ेः
“इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलाही राजिऊन”
तर्जमा : हम सब (मअ माल व औलाद हकीक़त में) अल्लाह तआला ही की मिल्कियत में है और मरने के बाद) हम सब को उसी के पास लौट कर जाना है।
इताअत ऐ रसूल (ﷺ) की अहमियत
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“(ऐ नबी (ﷺ) ) आप कह दीजिए के अगर तुम अल्लाह तआला से मोहब्बत रखते हो, तो तुम लोग मेरी पैरवी करो। अल्लाह भी तुम से मुहब्बत करेगा और तुम्हारे गुनाहों को बख्श देगा।”
बीमारी की शिकायत न करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“अल्लाह तआला फर्माता है के मै जब अपने मोमिन बंदे को (बीमारी में) मुबतला करता हूँ और वह अपनी इयादत करने वालों से मेरी शिकायत नहीं करता, तो मैं उस को अपनी कैद (यानी बीमारी) से नजात दे देता हूँ, और फिर उस के गोश्त को उससे उम्दा गोश्त और उसके खून को उम्दा खून से बदल देता हूँ ताके नए सिरे से अमल करे।”
📕 मुस्तरदक १२९०, अन अबी हुरैरह (र.अ)
खुलासा: अगर कोइ बिमार हो जाए, तो सब्र करना चाहिए, किसी से शिकायत नही करनी चाहिए, उस पर इसे अल्लाह तआला इन्आमात से नवाज़ता हैं।
अल्लाह का सहारा मजबूती से पकड़ लो
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“और अल्लाह का सहारा मजबूती से पकड़ लो, वही तुम्हारा काम बनाने वाला है और (जिस का काम बनाने वाला अल्लाह हो तो) अल्लाह तआला क्या ही अच्छा काम बनाने वाला है और क्या ही अच्छा मददगार है।”
किसी के सतर को देखने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“अल्लाह तआला लानत करता हैं, उस शख्स पर जो जान बूझ कर किसी के सतर को देखता हो और उस पर भी लानत है जो बिला उज्र सतर दिखलाता हो।”
सतर : इंसान के ढका रहने वाला बदन का हिस्सा, गुप्त अंग
रुकू व सज्दे में उंगलियों को रखने का तरीका
रसूलुल्लाह (ﷺ) जब रुकू फ़र्माते तो
(हाथों की) उंगलियों को खुली रखते और जब सज्दा फरमाते, तो उंगलियाँ मिला लेते।
हलीला से हर बीमारी का इलाज
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“हलील-ए-सियाह को पिया करो इस लिए के यह जन्नत के पौदों में से एक पौदा है, जिस का मजा कड़वा होता है मगर हर बीमारी के लिए शिफा है।”
नोट: हलील-ए-सियाह को हिन्दी में काली हड़ कहते हैं। जिसे सिल पर घिस कर पीते हैं, यह कब्ज को खत्म करती है और बादी बवासीर में मुफीद है।
इन्कार करने वालो का अजाब
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“जो लोग हमारी आयतों का इन्कार करते रहे हैं, तो वही बडबख्त हैं, (जिन को बाएँ हाथ में नाम-ए-आमाल दिया जाएगा) उन पर चारों तरफ से बंद की हुई आग को मुसल्लत कर दिया जाएगा।”
गुनहगारों को नेअमत देने का मक्सद
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जब तू यह देखे के अल्लाह तआला किसी गुनहगार को उस के गुनाहों के बावजूद दुनिया की चीजें दे रहा है तो यह अल्लाह तआला की तरफ से ढील है।”
हौज़े कौसर क्या है ?
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“कौसर जन्नत में एक नहर है, जिस के दोनों किनारे सोने के हैं और वह मोती और याकूत पर बहती है, उस की मिट्टी मुश्क से जियादा खुशबूदार, उस का पानी शहेद से जियादा मीठा और बर्फ से जियादा सफेद है।”
सवारी पर सवार होने के बाद की दुआ
सवारी पर सवार होने के बाद की दुआ
रसूलुल्लाह (ﷺ) जब सफ़र के इरादे से निकलते और सवारी पर बैठ जाते तो तीन मर्तबा तक्बीर: (अल्लाहु अकबर) फ़र्माते और यह दुआ पढ़तेः
“Allahu akbar, Allahu akbar, Allahu akbar,
subhanal-lathee sakhkhara lana hatha wama kunna lahu muqrineen,
wa-inna ila rabbina lamunqaliboon”
जमीन में फसाद फैलाने का गुनाह
क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है:
“बिलाशुबाह लोग जो अल्लाह से पक्का अहद करने के बाद तोड़ डालते हैं
और उन रिश्ते नातों को भी तोड़ डालते हैं जिन को अल्लाह ने जोड़े रखने का हुक़्म दिया है
और ज़मीन में फसाद फैलाते फिरते हैं,
तो ऐसे लोग बड़े ख़सारे (नुकसान उठाने) वाले हैं।”
अच्छे अखलाक़ की फजीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“यक़ीनन मोमिन अपने अच्छे अखलाक के ज़रिए, नफ़्ल नमाजें पढ़ने वाले रोज़ेदार शख्स के मर्तबे को हासिल कर लेता है।”
मर्द व औरत का एक दूसरे की नकल करने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने ऐसी औरत पर लानत फर्माई जो मर्द की नक्ल इख्तियार करती हैं और ऐसे मर्द पर लानत फ़रमाई जो औरतों की मुशाबहत इख्तियार करता है।
खुलासा: मर्द का औरतों की शक्ल व सूरत इख्तियार करना और औरत का मर्दो की शक्ल इख्तियार करना नाजाइज़ और हराम है।
गुमशुदा चीज़ उठाकर अपने पास रखने का गुनाह: हदीस
गुमशुदा चीज़ उठाकर अपने पास रखने का गुनाह
अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने फ़रमाया:
“जो शख़्स गुमशुदाह चीज़ उठाके अपने पास रखे और उस (गुमशुदा चीज़) को (लौटाने के नियत से लोगो में) ऐलान ना करे तो वो शख़्स गुमराह है।”
जब बुरा ख्वाब देखे तो यह अमल करे
जब तुम में से कोई पुरा ख्वाब देखे, तो तीन मर्तबा बाएं तरफ थुतकार दे और तीन मर्तबा शैतान के शर्र (बुराई) से अल्लाह की पनाह चाहे ( आऊज़ो बिल्लाहि मिनश शैतानिर रजीम पढ़े और) करवट बदल कर सो जाए।
हर बीमारी का इलाज तिब्बे नबवी से
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“अल्लाह तआला ने हर बीमारी के लिए दवा उतारी है, जब बीमारी को सही दवा पहुँच जाती है, तो अल्लाह तआला के हुक्म से बीमारी ठीक हो जाती है।”
क़यामत के दिन लोगों की हालत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“क़यामत के रोज़ सूरज एक मील के फासले पर होगा और उसकी गर्मी में भी इज़ाफा कर दिया जाएगा, जिस की वजह से लोगों की खोपड़ियों में दिमाग़ इस तरह उबल रहा होगा जिस तरह हाँड़ियाँ जोश मारती हैं, लोग अपने गुनाहों के बक़द्र पसीने में डूबे हुए होंगे, बाज टखनों तक, बाज़ पिंडलियों तक, बाज कमर तक और बाज़ के मुंह में लगाम की तरह होगा।”
दुआ के कलिमात को तीन बार कहना
रसूलल्लाह (ﷺ) दुआ व इस्तिगफार के कलिमात को
तीन तीन मर्तबा दोहराना पसन्द फ़र्माते थे।
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बीवियों के साथ अच्छा सुलूक करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“ईमान वालों में ज़ियादा मुकम्मल ईमान वाले वह लोग हैं, जो अखलाक में ज्यादा अच्छे हैं और तुम में सबसे अच्छे वह लोग हैं जो अपनी बीवियों के साथ अच्छा बरताव करते हैं।”
सुबह शाम अपने रब को याद किया करो
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“तुम सुबह व शाम अपने रब को अपने दिल में गिड़गिड़ा कर, डरते हुए और दर्मियानी आवाज के साथ याद किया करो और गाफिलों में से मत हो जाओ।”
जख्म वगैरह का इलाज
हजरत आयशा (र.अ) फ़र्माती हैं :
अगर किसी को कोई ज़ख्म हो जाता या दाना निकल आता, तो । आप (ﷺ) अपनी शहादत की उंगली को (थूक के साथ) मिट्टी में रख कर यह दुआ पढ़ते:
तर्जमा: अल्लाह के नाम से हमारी जमीन की मिट्टी हम में से किसी के थूक के साथ मिली हुई लगाता हूँ, (ताके) हमारे रब के हुक्म से हमारा मरीज़ अच्छा हो जाए।
माल जमा करने का नुकसान
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“तुम माल व दौलत जमा न करो, क्योंकि उस की वजह से तुम दुनिया ही की तरफ माइल हो जाओगे।”
फिजूलखर्ची मत किया करो
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है:
“ऐ आदम की औलाद! तुम हर मस्जिद की हाज़री के वक्त अच्छा लिबास पहन लिया करो और खाओ पियो और फिजूलखर्ची मत किया करो, बेशक अल्लाह तआला फुजूल खर्ची करने वालों को पसन्द नहीं करता।”
घरवालों पर सवाब की नियत से खर्च करना भी सदक़ा है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जब आदमी अपने अहले खाना पर सवाब की निय्यत से खर्च करता है, तो यह खर्च करना उस के हक में सद्का है।”
ककड़ी के फवाइद
रसूलुल्लाह (ﷺ) से खजूर के साथ ककड़ी खाते थे।
फायदा : अल्लामा इब्ने कय्यिम (रह.) ककड़ी के फवाइद में लिखते हैं के यह मेअदे की गरमी को बुझाती है और मसाना के दर्द को खत्म करती है।
अल्लाह के लिये अपने भाई की जियारत करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“क्या मैं तुम्हें जन्नती लोगों के बारे में खबर न करूं? सहाबा (र.अ) ने अर्ज किया: जरूर या रसूलल्लाह (ﷺ)!
आप (ﷺ) ने फर्माया: नबी जन्नती है, सिद्दीक जन्नती है और वह आदमी जन्नती है जो सिर्फ अल्लाह की रजा के लिये शहर के दूर दराज इलाके में अपने भाई की जियारत के लिये जाए।“
खाना खिलाने की फ़ज़ीलत
खाना खिलाने की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“जिस ने किसी मोमिन को खाना खिलाया और उसको सैराब कर दीया तो
अल्लाह तआला एक खास दरवाजे से उस को जन्नत में
दाखिल फ़रमाएगा जिस में उस के जैसा अमल करने वाला ही दाखिल होगा।”
इल्म हासिल करना फ़र्ज़ है …
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“इल्म हासिल करना हर मुसलमान पर फर्ज है।”
फायदा : हर मुसलमान पर इल्मे दीन का इतना हासिल करना फर्ज है के जिस से हलाल व हराम में तमीज़ कर ले और दीन की सही समझ बूझ, इबादात के तरीके और सही मसाइल की मालमात हो जाए।
कब्र की पुकार
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“कब्र रोज़ाना पुकार कर कहती है, मैं तन्हाई का घर हूँ, मैं मिट्टी का घर हूँ, मैं कीड़े मकोड़े का घर हूँ।”
हर जानदार को मौत का मज़ा चखना है
कुल्लु नफ़्सिन ज़ाइक़त-उल-माैत
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“(कुल्लु नफ़्सिन ज़ाइक़त-उल-माैत)
हर जानदार को मौत का मज़ा चखना है और तुम को क़यामत के दिन आमाल का पूरा पूरा बदला दिया जाएगा, फिर जो शख्स जहन्नम की आग से बचाकर जन्नत में दाखिल कर दिया गया, तो वह कामयाब हो गया।”
सना के फायदे
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“मौत से अगर किसी चीज में शिफा होती तो सना में होती।”
फायदा: सना एक दरख्त का नाम है, जिस की पत्ती तक़रीबन दो इंच लम्बी और एक इंच चौड़ी होती है, उस में छोटे छोटे पीले रंग के फूल होते हैं, उसकी पत्ती क़ब्ज़ के मरीज़ के लिये मुफीद है।
विरासत में लड़की का हिस्सा
विरासत में लड़की का हिस्सा
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“अल्लाह तआला तुमको तुम्हारी औलाद के हक में हुक्म देता है के 1 लड़के का हिस्सा 2 लड़कियों के हिस्से के बराबर है।”
खुलासा: वालिदैन की विरासत में लड़के के 2 हिस्से और लडकी का 1 हिस्सा होता है, जिस का अदा करना फर्ज है।
किसी की मुसीबत पर खुशी का इजहार मत करो
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“तम अपने किसी भाई की मुसीबत पर खुशी का इजहार मत करो। (अगर एसा करोगे तो हो सकता है के) अल्लाह तआला उसको उस मुसीबत से नजात दे दे और तुम को उस मुसीबत में मुब्तला कर दे।”
मांगने वाले के साथ नर्मी से पेश आना
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“मांगने वाले को, नर्मी से जवाब दे देना और उस को माफ़ कर देना उस सदका व खैरात से बेहतर है जिस के बाद तकलीफ़ पहुंचाई जाए। अल्लाह तआला बड़ा बेनियाज़ और गैरतमंद है।”
मोमिन का ऐब छुपाने की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो मोमिन अपने भाई के किसी ऐब को छुपाएगा तो अल्लाह तआला उसकी वजह से उस को जन्नत में दाखिल फरमाएगा”
फसाद फैलाने की सज़ा
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है:
“जो लोग अल्लाह और उसके रसूल से लड़ते हैं, जमीन में फसाद करने की कोशिश करते हैं, ऐसे लोगों की बस यही सजा है के वह कत्ल कर दिये जाएं या सूली पर चढ़ा दिये जाएँ या उनके हाथ और पाँव मुखालिफ जानिब से काट दिये जाएं या वह मुल्क से बाहर निकाल दिये जाएँ। यह सजा उन के लिये दुनिया में सख्त रुसवाई (का जरिया) है और आखिरत में उनके लिये बहुत बड़ा अजाब है।”
दावत कबूल करे
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जब तुम में से किसी को खाने की दावत दी जाए तो उस को कबूल करना चाहिये, फिर अगर वह चाहे तो खाना खाले और न चाहे तो छोड़ दे।”
अपने भाइयों के दर्मियान सुलह किया करो
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“मुसलमान आपस में एक दूसरे के भाई है (अगर उनके दरमियान लड़ाई हो जाए) तो अपने दो भाइयों के दर्मियान सुलह करा दिया करो, और अल्लाह से डरते रहा करो, ताके तुम पर रहम किया जाए।”
बिला शुबा यह कुरआन एक नसीहत है
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“बिला शुबा यह कुरआन एक नसीहत है तो जो शख्स चाहे अपने रब तक पहुँचने का रास्ता इख्तियार कर ले और तुम अल्लाह की मर्जी के बगैर कुछ नहीं चाह सकते, अल्लाह तआला बड़े इल्म व हिकमत का मालिक है।”
कब्र में नमाज की तमन्ना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जब मय्यित को क़ब्र में रख दिया जाता है, तो उस को सूरज गुरूब होता हुआ दिखाई देता है, तो वह बैठ कर आँखें मलने लगता है और कहता है, मुझे नमाज पढ़ने दो।”
जन्नत का खेमा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जन्नत में मोती का खोलदार खेमा होगा, जिस की चौड़ाई साठ मील ही होगी। उस के हर कोने में जन्नतियों की बीवियाँ होंगी, जो एक दूसरी को नहीं देख पाएँगी और उनके पास उनके शौहर आते जाते रहेंगे।”
खुजली का इलाज
हजरत अनस बिन मालिक (र.अ) फर्माते हैं के :
रसूलल्लाह (ﷺ) ने हज़रत अब्दुर्रहमान बिन औफ (र.अ) और जुबैर बिन अव्वाम (र.अ) को खुजली की वजह से रेशमी कपड़े पहनने की इजाजत मरहमत फर्माई थी।”
फायदा: आम हालात में मर्दो के लिये रेश्मी लिबास पहनना हराम है, मगर जरूरत की वजह से माहिर हकीम या डॉक्टर कहे तो गुंजाइश है।
आधी धुप और आधी छाँव में न बैठे
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने ऐसी जगह बैठने से मना फरमाया है के जहाँ बदन का कुछ हिस्सा साए में हो और कुछ हिस्सा धूप में हो।
वजाहत: तिब्बी एतेबार से एक साथ धूप और साए में बैठना सेहत के लिये मुजिर है।
सब से बेहतरीन दवा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“सबसे बेहतरीन दवा कुरआन है।”
फायदा : उलमाए किराम फर्माते हैं के क़ुरआनी आयात के मफ़हूम के मुताबिक जिस बीमारी के लिए जो आयत मुनासिब हो, उस आयत को पढ़ने से इन्शा अल्लाह शिफा होगी और यह सहाब-ए-किराम का मामूल था।
नमाज़ी पर जहन्नम की आग हराम है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जो शख्स पाँचों नमाजों की इस तरह पाबंदी करे के वजू और औक़ात का एहतेमाम कर, और सज्दा अच्छी तरह करे और इस तरह नमाज पढने को अपने जिम्मे अल्लाह तआला का समझे, तो उस आदमी को जहन्नम की आग पर हराम कर दिया जाएगा।”
गुनाह और जुल्म व ज्यादती की बातें न करो
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“ऐ ईमान वालो! जब तुम आपस में खुफिया बातें करो, तो गुनाह और जुल्म व ज्यादती और रसुल की नाफ़रमानी की बातें न किया करो, बलके भलाई और परहेजगारी की बातें किया करो और अल्लाह से डरते रहो, जिसके पास तुम सब जमा किये जाओगे।”
नमाज़ छोड़ने का गुनाह
रसलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:
“जो शख्स जान बूझकर नमाज़ छोड़ देता है, अल्लाह तआला उसके सारे आमाल बेकार कर देता है और अल्लाह का ज़िम्मा उस से बरी हो जाता है जब तक के वह अल्लाह से तौबा न कर ले।”
तोहफा देने वाले के साथ सुलूक
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“जिस शख्स को हदिया (तोहफा) दिया जाए, अगर उस के पास भी देने के लिए हो, तो उसको बदले में हदिया देने वाले को दे देना चाहिए और अगर कुछ न हो तो (बतौर शुक्रिया) देने वाले की तारीफ़ करनी चाहिए। क्यों कि जिस ने तारीफ़ की उसने शुक्रिया अदा कर दिया और जिस ने छुपाया उसने नाशुक्री की।”
तलबीना से इलाज
हजरत आयशा (र.अ) बीमार के लिये तलबीना तय्यार करने का हुकम देती थीं
और फर्माती थीं के मैंने हुजूर (ﷺ) को फ़र्माते हुए सुना के:
“तलबीना बीमार के दिल को सुकून पहुँचाता है और रंज व ग़म को दूर करता है।”
फायदा: जौ (बरली) को कट कर दूध में पकाने के बाद मिठास के लिए इस में शहद डाला जाता है; इस को तलबीना कहते हैं।
हर मामले में इंसाफ करो
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
” ऐ ईमान वालो ! अल्लाह तआला के लिये सच्चाई पर कायम रहने वाले और इन्साफ के साथ शहादत (गवाही) देने वाले बन जाओ और किसी कौम की दुश्मनी तुम्हें इस बात पर आमादा न कर दे, के तुम इन्साफ न करो (बल्कि हर मामले में) इंसाफ करो, यह परहेजगारी के ज्यादा करीब है और अल्लाह तआला से डरते रहो बेशक जो कुछ तुम करते हो अल्लाह तआला उसे बाखबर है।”
मौत की आरज़ू कभी मत करो
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया –
तकलीफ़ और बीमारी की वजह से मौत की आरज़ू मत करो अगर तुम यही चाहते हो तो इस तरह दुआ करो:
( اللهم أحيني ما كانت المميزة خيزاتی وتولي إذا كانت الوفاة خيراتي )
तर्जमा: ऐ अल्लाह! तू मुझे ज़िन्दा रख जब तक मेरा ज़िन्दा रहना मेरे हक़ में बेहतर हो और मुझे मौत दे अगर मरना मेरे हक़ में बेहतर हो।
दुनिया में लगे रहने का अंजाम
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“जो शख्स (दुनिया की जेब व जीनत को देख कर और अपने अंजाम को सोचे बगैर) दुनिया में घुसता है, तो वह अपने आपको जहन्नम में डालता है।”
जमात से नमाज़ अदा करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:
“जिस ने तक्बीरे ऊला के साथ चालीस दिन तक अल्लाह की रज़ा के लिए जमात के साथ नमाज़ पढी उस के लिये दोजख से नजात और निफाक से बरात के दो परवाने लिख दिये जाते हैं।”
मूंछों को तराशना
रसूलुल्लाह (ﷺ) मूंछों को तराश्ते थे और फ़रमाया करते थे के –
“हजरत इब्राहीम (र.अ) भी ऐसा ही किया करते थे।”
दुनिया में उम्मीदों का लम्बा होने का फितना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“मुझे अपनी उम्मत पर सब से ज़ियादा डर ख्वाहिशात और उम्मीदों के बढ़ जाने का है, ख्वाहिशात हक़ से दूर कर देती हैं और उम्मीदों का लम्बा होना आखिरत को भुला देता है, यह दुनिया भी चल रही है और हर दिन दूर होती चली जा रही है और आखिरत भी चल रही है और हर दिन करीब होती जा रही है।”
(यानी हर वक़्त ज़िन्दगी कम होती जा रही है और मौत करीब आती जा रही है, इसलिये आखिरत की तैयारी में लगे रहना चाहिए)
सामने वाले की बात पूरी तवज्जोह से सुनना
जब आप (ﷺ) से कोई मुलाकात करता और गुफ्तगू करता,
तो आप (ﷺ) उस की तरफ से तवज्जोह न हटाते, यहाँ तक के वह आप से रुख न हटा लेता।
जन्नत का मुस्तहिक
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो आदमी इस हाल में मर जाए के वह तकब्बुर, खयानत और कर्ज से बरी हो, तो जन्नत में दाखिल होगा।”
किसी गुनाह को छोटा और मामूली न समझो
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“ऐ आयशा खुद को उन गुनाहों से भी बचाने की कोशिश करो जिन का छोटा और मामूली समझा जाता है, क्यों कि इस पर भी अल्लाह की तरफ से फरिश्ता मुकर्रर है जो उस को लिखता रहता है।”
जो रहम नहीं करता उस पर भी रहम नहीं किया जाता
हज़रत अकरअ बिन हाबिस (र.अ) की मौजूदगी में रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हज़रत हुसैन बिन अली का बोसा लिया।
यह देख कर हज़रत अकरअ विन हाबिस (र.अ) ने कहा: मेरे दसं बेटे हैं, मैंने कभी किसी का नहीं लिया। रसूलुल्लाह (ﷺ) ने यह सुनकर फ़र्माया : “जो रहम नहीं करता उस पर रहम भी नहीं किया जाता।”
पछना के जरिये दर्द का इलाज
हजरत इब्ने अब्बास (र.अ) बयान करते हैं के :
“रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एहराम की हालत में दर्द की वजह से सर में पछना लगवाया।”
फायदा: पछना लगाने से बदन से फ़ासिद खून निकल जाता है जिस की वजह से दर्द वगैरह खत्म हो जाता है और आँख की रोशनी तेज़ हो जाती है।
अल्लाह और रसूल की नाफरमानी का गुनाह
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“जो शख्स अल्लाह और उस के रसूल की नाफर्मानी करेगा, और उसकी (मुकर्रर की हुई) हदों से आगे बढ़ेगा तो अल्लाह तआला उस को आग में दाखिल करेगा, जिसमें वह हमेशा रहेगा, और उसको जलील व रुस्वा करने वाला अजाब होगा।”
📕 सूरह निसा १४
“जो शख्स अल्लाह और उसके रसूल का कहना न माने वह खुली हुई गुमराही में है।”
📕 सूर-ए-अहजाब: ३६
“बिला शुबा जो लोग अल्लाह और उस के रसूल को (उन का हुक्म न मान कर) तकलीफ देते हैं, अल्लाह तआला उन पर दुनिया व आखिरत में लानत करता है। और उन के लिये जलील करने वाला अज़ाब तय्यार कर रखा है।”
📕 सूरह अहज़ाब : ५७
अल्लाह तआला को तुम्हारे सब आमाल की खबर है
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“ऐ ईमान वालो ! अल्लाह से डरते रहो
और हर शख्स को इस बात पर गौर करना चाहिये के
उस ने कल (आखिरत) के लिये क्या आगे भेजा है
और अल्लाह से डरते रहो
और अल्लाह तआला को तुम्हारे सब आमाल की खबर है।”
कब्र या तो जन्नत का बाग़ या जहन्नुम का गढ़ा है
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
“कब्र या तो जन्नत के बागों में से एक बाग़ है या जहन्नुम के गढ़ों में से एक गढ़ा है।”
शिर्क करने वाले की मिसाल
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“तुम सिर्फ अल्लाह की तरफ मुतवज्जेह रहो, उस के साथ किसी को शरीक मत ठहराओ और जो शख्स अल्लाह के साथ शिर्क करता है, तो उसकी मिसाल ऐसी है जैसा के वह आसमान से गिर पड़ा हो, फिर परिन्दों ने उस की बोटियाँ नोच ली हों या हवा ने किसी दूर दराज मक़ाम पर ले जाकर उसे डाल दिया हो।”
खड़े हो कर नमाज़ पढ़ना
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“नमाज़ में अल्लाह के सामने आजिज़ बने हुए खड़े हुआ करो।”
फायदा: अगर कोई शख्स खड़े होकर नमाज़ पढ़ने की ताकत रखता हो तो उस पर फ़र्ज और वाजिब नमाज़ को खड़े हो कर पढ़ना फ़र्ज़ है।
कुफ्र की सज़ा जहन्नम है
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“जो लोग कुफ्र करते हैं तो अल्लाह तआला के मुकाबले में उन का माल और उन की औलाद कुछ काम नहीं आएगी और ऐसे लोग ही जहन्नम का इंधन होंगे।”
आख़िरत में काफिर की बदहाली
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“क़यामत के दिन काफिर अपने पसीने में डूब जाएगा, यहाँ तक के वह पुकार उठेगा: ऐ मेरे परवरदिगार! जहन्नम में डालकर मुझे इस (अजाब) से नजात दे दीजिये।”
अच्छे और बुरे बराबर नहीं हो सकते
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“क्या वह लोग जो बुरे काम करते हैं, यह समझते हैं के हम उन्हें और उन लोगों को बराबर कर देंगे जो ईमान लाते हैं और नेक अमल करते हैं के उन का मरना और जीना बराबर हो जाए, उनका यह फैसला बहुत ही बुरा है।”
शराबी की सज़ा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जिस ने शराबनोशी की, अल्लाह तआला चालीस रात तक उस से खुश नहीं होगा। अगर वह (उसी हाल में) मर गया तो कुफ्र की हालत में मरेगा और अगर तौबा कर ली तो अल्लाह तआला उस की तौबा क़बूल फ़र्माएगा और अगर फिर शराब पी तो अल्लाह तआला उस को दोज़खियों का पीप पिलाएगा।”
अल्लाह की चाहत दुनिया नहीं
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“तुम तो दुनिया का माल व असबाब चाहते हो और अल्लाह तआला तुमसे आखिरत को चाहता हैं।”
फायदा: इंसान हर वक़्त दुनियावी फायदे में मुन्हमिक रहता है और उसी को हासिल करने की फिक्र में लगा रहता है, हालांकि अल्लाह तआला चाहते हैं के दुनिया के मुकाबले में आखिरत की फिक्र ज्यादा की जाए, क्योंकि आखिरत में हमेशा रहना है।
गुस्ल के लिये तययम्मुम करना
क़ुरआन में अल्लाह तआला फ़रमाता है –
“अगर तुम बीमार हो जाओ या सफर में हो या तुम में से कोई शख्स अपनी तबई ज़रूरत (यानी पेशाब पाखाना कर के) आया हो या अपनी बीवी से मिला हो और तुम पानी (के इस्तेमाल की) ताकत न रखते हो, तो ऐसी हालत में तुम पाक मिट्टी का इरादा करो। (यानी तयम्मुम कर लो)।”
फायदा : अगर किसी पर गुस्ल करना फ़र्ज़ हो जाए और पानी इस्तेमाल करने की ताकत न रखे, तो ऐसी सुरत में गुस्ल के लिए तयम्मुम कर के नमाज पढ़ना फ़र्ज़ है और तयम्मुम का तरीका यह है के दोनो हाथों को जमीन पर मार कर चेहरे पर मसह कर लें फिर जमीन पर मारें और दोनों हाथों पर कोहनियों समेत मसह कर लें।
हराम माल से सदक़ा करने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“जब तू माल की ज़कात अदा कर दे, तो जो (वाजिब) हक़ तुझ पर था, वह तो अदा हो गया (आगे सिर्फ नवाफिल का दर्जा है)
और जो शख्स हराम तरीके (सूद रिश्वत वगैरह) से माल जमा कर के सदका करे, उस को उस सदके का कोई सवाब नहीं मिलेगा, बल्के उस हराम कमाई का वबाल उस पर होगा।”
हर नमाज के बाद तस्बीह फातिमी अदा करना
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जो हर फ़र्ज नमाज़ के बाद ३३ मर्तबा “सुभानअल्लाह” ३३ मर्तबा “अलहम्दुलिल्लाह” और ३४ मर्तबा “अल्लाहु अकबर” कहता है, वह कभी नुकसान में नहीं रहता।”
रिज़्क देने वाला अल्लाह है
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“ज़मीन पर चलने फिरने वाला कोई भी जानदार ऐसा नहीं के जिस की रोजी अल्लाह के ज़िम्मे न हो।”
हमेशा सच बोलो क्योंकि सच नेकी का रास्ता बताता है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“हमेशा सच बोलो क्योंकि सच नेकी का रास्ता बताता है और सच और नेकी जन्नत में दाखिल करने वाले हैं। तुम झूट से बचो क्योंकि वह गुनाह का रास्ता बताता है और झूट और गुनाह जहन्नम में दाखिल करने वाले हैं।”
अगर ईमान के मुकाबले में कुफ्र पसंद करते हों तो!
अगर ईमान के मुकाबले में कुफ्र पसंद करते हों तो!
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“ऐ इमान वालो ! तुम्हारे बाप और भाई अगर ईमान के मुकाबले में कुफ्र पसंद करते हों, तो तुम उनको अपना दोस्त न बनाओ और तुम में से जो शख्स उनसे दोस्ती करेगा, तो वही जुल्म करने वाले होंगे।”
अपने मालों को ज़कात के जरिये महफूज़ बनाओ
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“अपने मालों को ज़कात के जरिये महफूज़ बनाओ और अपने बीमारों का सदके से इलाज करो और अल्लाह तआला सामने आजिजी से इस्तकबाल करो।”
बड़ी बीमारियों से हिफ़ाज़त
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो शख्स हर महीने तीन दिन सुबह के वक्त शहद को चाटेगा तो उसे कोई बड़ी बीमारी नहीं होगी।”
कब्र में मिट्टी डालते वक़्त की दुआ
जब रसूलुल्लाह (ﷺ) ने उम्मे कुलसूम को कब्र में रखा तो पढ़ा:
“मिन्हा खलकना कुम, व फिहा नुईदुकुम, व मिन्हा नुखरिजुकुम तारतन ऊखरा”
तर्जमा: इस मिट्टी से हमने तुम को पैदा किया और इसी में हम तुम को लौटाएँगे और इसीसे हम तुमको दोबारा उठाएंगे।
मोतदिल गिज़ा का इस्तेमाल
खीरा (ककड़ी) के फवाइद
रसूलुल्लाह (ﷺ) खजूर के साथ खीरे खाते थे।
फायदा : मुहद्विसी ने किराम फ़र्माते हैं के खजूर चूँकि गर्म होती है इस लिये आप (ﷺ) उस के साथ ठंडी चीज खीरा (ककड़ी) इस्तेमाल फर्माते थे ताके दोनों मिलकर मोतदिल हो जाएं।
डर और घबराहट की दुआ
डर और घबराहट की दुआ
एक शख्स ने हुज़ूर (ﷺ) से डर और वहेशत की शिकायत की तो आप (ﷺ) ने फ़रमाया: यह पढ़ो –
فَتَعَالَى اللَّهُ الْمَلِكُ الْحَقُّ ۖ لَا إِلَٰهَ إِلَّا هُوَ رَبُّ الْعَرْشِ الْكَرِيمِ
(फ़ताआला अल्लाहु अलमालिकु अलहक़्क़ु ला इलाहा इल्ला हुवा रब्बू अलअर्शी अलक़रीमी)
तर्जमा: उस मुकद्द्स बादशाह की पाकी बयान करता हूँ जो फरिश्तों और रूह का रब है उसकी इज़्ज़त व ज़बरूत से ज़मीन व आसमान रौशन हैं।
अपने अख़्लाक़ दुरूस्त करने की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“कामयाब हो गया वह आदमी जिस ने अपने दिल को ईमान के लिये सफारिश कर दिया और उसे सही सालिम रखा और अपनी जबान को सच्चा बनाया, अपने नफ़्स को नफ्से मुतमइन्ना और अख़्लाक़ को दुरूस्त बनाया और कानों को हक़ बात सुनने का और आँखों को अच्छी चीजों को देखने का आदी बनाया।”
सुबह शाम खूब ज़िक्रे इलाही किया करो
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“ऐ ईमान वालो ! अल्लाह तआला का खूब जिक्र किया करो और सुबह व शाम उस की पाकी बयान किया करो।”
दुनिया पर मुतमइन नहीं होना चाहिये
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“जिन लोगों को हमारे पास आने की उम्मीद नहीं है और वह दुनिया की जिन्दगी पर राजी हो गए और उस पर वह मुतमइन हो बैठे और हमारी निशानियों से गाफिल हो गए हैं, ऐसे लोगों का ठिकाना उनके आमाल की वजह से जहन्नम है।”