रात के आखरी हिस्से में अल्लाह अपने बन्दे से करीब होता हैं

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“अल्लाह तआला रात के आखरी हिस्से में बन्दे से बहुत जियादा करीब होता हैं, अगर तुमसे हो सके, तो उस वक़्त अल्लाह तआला का जिक्र किया करो।”

📕 तिर्मिजी : ३५७९, अन अम्र बिन अबसा (र.अ)

माँ बाप पर लानत भेजने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“(शिर्क के बाद) सब से बड़ा गुनाह यह है के आदमी अपने माँ बाप पर लानत करे।”

अर्ज किया गया: ऐ अल्लाह के रसूल ! कोई अपने माँ बाप पर लानत कैसे भेज सकता है?

फर्माया : इस तरह के जब किसी के माँ बाप को बुरा भला कहेगा तो वह भी उसके माँ बाप को बुरा भला कहेगा।”

📕 मुस्लिम : २६३

कयामत के रोज़ सब को जिंदा किया जाएगा

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“(दोबारा) सूर फूंका जाएगा, तो सब के सब कब्रों से निकल कर अपने रब की तरफ दौड़ पड़ेंगे। वह कहेंगे: हाय हमारी बरबादी! हमको हमारी ख्वाब गाहों से किस ने उठा दिया?

(जवाब मिलेगा) यह वही है जिसका रहमान (अल्लाह) ने वादा किया था और रसूलों ने सच कहा था। बस वह एक जोर की आवाज़ होगी, जिस से सब जमा हो कर हमारे पास हाजिर कर दिए जाएंगे।”

📕 सूरह यासीन : ५१ ता ५३

जन्नत का खेमा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जन्नत में मोती का खोलदार खेमा होगा, जिस की चौड़ाई साठ मील ही होगी। उस के हर कोने में जन्नतियों की बीवियाँ होंगी, जो एक दूसरी को नहीं देख पाएँगी और उनके पास उनके शौहर आते जाते रहेंगे।”

📕 सहीह बुखारी: ४८७९

जन्नत का खज़ाना: ला हौला वला कुव्वत इल्ला बिल्लाह कसरत से पढ़ना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

”(ला हौला वला कुव्वत इल्ला बिल्लाह) बकसरत से पढ़ा करो,
इस लिए के वह जन्नत के खज़ानों में से एक खज़ाना है।”

📕 तिर्मिज़ी : ३६०१

तर्जुमा: कोई क़ुव्वत नहीं बचाने वाली सिवा अल्लाह के जो अज़ीम-तर है।

अच्छी तरह वुजू कर के नमाज़ के लिये मस्जिद जाने की फ़ज़ीलत

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“तुम में से जो शख्स अच्छी तरह मुकम्मल वुजू करता है, फिर नमाज ही के इरादे से मस्जिद में आता है, तो अल्लाह तआला उस बंदे से ऐसे खुश होता हैं जैसे के किसी दूर गए हुए रिश्तेदार के अचानक आने से उसके घर वाले खुश होते हैं।”

📕 इब्ने खुजैमा : १४११

दाढ़ के दर्द का इलाज

एक मर्तबा हजरत अब्दुल्लाह बिन रवाहा (र.अ) ने हुजूर (ﷺ) से दाढ में शदीद दर्द की शिकायत की, तो आप (ﷺ) ने उन्हें करीब बुला कर दर्द की जगह अपना मुबारक हाथ रखा और सात मर्तबा यह दुआ फ़रमाई :

اللّهُمَّ أَذْهِبْ عَنْهُ سُوءَ مَا يَجِدُ، وَاشْفِهِ بِدَوَاءِ نَبِيِّكَ الْمُبَارَكِ الْمَكِينِ عِنْدَكَ

“Allahumma adhhib ‘anhu su’a ma yajidu, wa shfihi bidawaa’i Nabiyyika al-Mubarak al-Makki ‘indak.” चुनान्चे फ़ौरन आराम हो गया।

📕 दलाइलुन्नबह लिल बैहकी: २४३१

सहाबा की सीरत को दागदार बनाने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“मेरे सहाबा के बारे में अल्लाह से डरते रहना, मेरे बाद उनको निशाना मत बनाना।
जो उनसे मुहब्बत करेगा वह मुझसे मुहब्बत की बिना पर उन से मुहब्बत करेगा
और जो उनसे बुग्ज रखेगा वह मुझसे बुग्ज की बिना पर उन से बुग्ज रखेगा

और जिसने उन को तकलीफ दी उसने मुझ को तकलीफ दी
और जिसने मुझ को तकलीफ दी गोया उस ने अल्लाह को तकलीफ पहुँचाई

और जिसने अल्लाह को तक्लीफ पहुँचाई
करीब है के अल्लाह तआला उसको अजाब में पकड़ ले।”

📕 तिर्मिज़ी : ३८६२

बुखार व दीगर बीमारियों से नजात

हज़रत इब्ने अब्बास (र.अ.) फ़रमाते हैं के :

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने सहाबा-ए-किराम को बुखार और दूसरी तमाम बीमारियों से नजात के लिये यह दुआ बताई:

तर्जमा : मैं अल्लाह के नाम से शुरू करता हूँ जो बहुत बड़ा है, मैं बहुत ही ज्यादा अज़मत वाले अल्लाह की पनाह माँगता हूँ, हर जोश मारने वाली रग की बुराई से और आग की गर्मी की बुराई से।

📕 तिर्मिज़ी : २०७५

मिस्वाक के फायदे

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने इर्शाद फ़रमाया :

“मिस्वाक मुंह की सफाई और अल्लाह की रज़ामंदी का ज़रिया है।”

📕 नसई : ५, अन आयशा (र.अ)

फायदा : अल्लामा इब्ने कय्यिम मिस्वाक के फवाइद में लिखते हैं, यह दाँतों में चमक पैदा करती है, मसूड़ों में मज़बूती और मुँह की बदबू ख़त्म करती है, जिससे दिमाग़ पाक व साफ हो जाता है। यह बलग़म को काटती है, निगाह को तेज़ और आवाज़ को साफ करती है और भी इस के बहुत से फवाइद हैं।

बेवा या तलाकशुदा बेटी की कफालत की फजीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एक मर्तबा फ़रमाया –

“क्या मैं तुम्हें बेहतरीन सदक़ा न बताऊं?
तेरी वह लड़की जो लौट कर तेरे ही पास आ गई हो और उसके लिये तेरे सिवा कोई कमाने वाला न हो (तो ऐसी लड़की पर जो भी खर्च किया जाएगा वह बेहतरीन सदक़ा है।)”

📕 इब्ने माजा : ३६६७, अन सुराका दिन मालिक रज़ि०

अल्लाह से मदद चाहो और हिम्मत मत हारो

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“अपने नफे की चीज को कोशिश से हासिल करो और अल्लाह से मदद चाहो और हिम्मत मत हारो और अगर तुम्हें कोई हादसा पेश आजाए तो यू मत कहो के अगर मैं यू करता तो एसा हो जाता बल्के यू कहो के अल्लाह तआला ने यही मुकद्दर फर्माया था और जो उसको मंजूर था उसने वही किया।”

📕 मुस्लिम ६७७४

मुसलमान को कपड़ा पहनाने की फ़ज़ीलत

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जिसने किसी मुसलमान को कपड़ा पहनाया, जब तक उस के बदन में एक धागा भी रहेगा, वह उस वक्त तक अल्लाह की हिफाजत रहेगा।”

📕 मुस्तदरक हाकिम : ७४२२

तोहफा देने वाले के साथ सुलूक

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“जिस शख्स को हदिया (तोहफा) दिया जाए, अगर उस के पास भी देने के लिए हो, तो उसको बदले में हदिया देने वाले को दे देना चाहिए और अगर कुछ न हो तो (बतौर शुक्रिया) देने वाले की तारीफ़ करनी चाहिए। क्यों कि जिस ने तारीफ़ की उसने शुक्रिया अदा कर दिया और जिस ने छुपाया उसने नाशुक्री की।”

📕 अबू दाऊद : ४८१३

दुनिया पर मुतमइन नहीं होना चाहिये

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :

“जिन लोगों को हमारे पास आने की उम्मीद नहीं है और वह दुनिया की जिन्दगी पर राजी हो गए और उस पर वह मुतमइन हो बैठे और हमारी निशानियों से गाफिल हो गए हैं, ऐसे लोगों का ठिकाना उनके आमाल की वजह से जहन्नम है।”

📕 सूरह यूनुस ७ ता ८

मय्यित का कर्ज अदा करना

हजरत अली (र.अ) फ़र्माते हैं के:

रसुलअल्लाह (ﷺ) ने कर्ज को वसिय्यत से पहले अदा करवाया, हालाँकि तुम लोग (कुरआन पाक में) वसिय्यत का तजकेरा कर्ज से पहले पढ़ते हो।

📕 तिर्मिज़ी : २१२२

फायदा: अगर किसी शख्स ने कर्ज लिया और उसे अदा करने से पहले इन्तेकाल कर गया, तो कफन दफन के बाद माले वरासत में से सबसे पहले कर्ज अदा करना जरूरी है, चाहे सारा माल उस की। अदायगी में खत्म हो जाए।

पसंद के मुताबिक हदिया देना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जो आदमी अपने मुसलमान भाई से किसी ऐसी चीज़ के साथ मुलाकात करे जिस से वह खुश होता हो, तो अल्लाह तआला उस को कयामत के दिन खुश कर देगा।

📕 तबरानी सगीर : ११७५

वजाहत: हदीस से मालूम हुआ के किसी दीनी भाई के यहाँ जाते वक़्त उस की पसंद के मुताबिक़ कोई चीज़ पेश करना चाहिये इस से अल्लाह की रजा व खुश्नूदी हासिल होती है।

मस्जिद में दाखिल होने के लिए पाक होना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“किसी हाइजा औरत और किसी जनबी : यानी नापाक आदमी के लिए मस्जिद में दाखिल होने की बिल्कुल इजाजत नहीं है।”

📕 अबू दाऊद : २३२, अन आयशा (र.अ)

वजाहत: मस्जिद में दाखिल होने के लिये हैज व निफ़ास और जनाबत से पाक होना जरुरी है।

गुनाहों की मगफिरत का वजीफा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“ज़मीन पर जो शख्स भी “La ilaha illallah, Wallahu Akbar, La Hawla Wala Quwwata Illa Billahil Aliyyil Azeem” पढ़ता है, तो उस के तमाम गुनाह माफ हो जाते हैं ख्वाह समन्दर के झाग के बराबर हों।”

📕 तिर्मिज़ी : ३४६०

अज़ाबे कब्र से बचने की दुआ

रसूलुल्लाह (ﷺ) यह दुआ कसरत से फ़रमाते थे:

तर्जमा: ऐ अल्लाह ! मैं अज़ाबे कब्र, अज़ाबे दोजख, ज़िंदगी और मौत के फितने और दज्जाल के फितने से तेरी पनाह चाहता हूँ।

📕 बुखारी: १३७७. अन अबी हुरैरह रज़ि०

मुसाफा करने की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“जब दो मुसलमान मिलते हैं और एक दूसरे से मुसाफह करते हैं (यानी हाथ मिलाते हैं) तो उनके जुदा होने से पहले पहले दोनो की मगफिरत कर दी जाती है।”

📕 तिरमिजी : २७२७, अन बरा बिन आजिब (र.अ)

दो आदतें: दीनी मामले में अपने से बुलन्द शख्स को देखे …

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जो शख्स दीनी मामले में अपने से बुलन्द शख्स को देख कर उस की पैरवी करे और दुनियावी मामले में अपने से कमतर को देख कर अल्लाह तआला की अता करदा फजीलत पर उस की तारीफ करे, तो अल्लाह तआला उस को (इन दो आदतों की वजह से) सब्र करने वाला और शुक्र करने वाला लिख देता हैं।

और जो शख्स दीनी मामले में अपने से कमतर को देखे और दूनीयावी मामले में अपने से ऊपर वाले को देख कर अफसोस करे, तो अल्लाह तआला उसको साबिर व शाकिर नहीं लिखता।”

📕 तिर्मिज़ी : २५१२

अल्लाह के लिये मुहब्बत का बदला

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
अल्लाह तआला क़यामत के दिन फरमाएगा।

“मेरी अजमत की वजह से आपस में मुहब्बत करने वाले लोग आज कहाँ हैं ?
मैं आज उन को अपने साए में जगह दूँगा जब के मेरे साए के अलावा कोई साया न होगा।”

📕 मुस्लिम: ६५४८

दुनियावी ख्वाहिशों को पूरा करने का अंजाम

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जो शख्स दुनिया में अपनी ख्वाहिशों को पूरा करता है, वह आखिरत में अपनी ख्वाहिशात के पूरा करने से महरूम होता है।”

📕 बैहाकि फी शोअबिल ईमान : ९३९०

नोट: अपनी तमाम चाहतों को इसी में पूरी करने की कोशिश नहीं करनी चाहिये वरना आखिरत में महरूम हो जाएगा।

ईमान को झुटलाने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :

“जिस शख्स ने बुखल किया और लापरवाही करता रहा और भली बात (ईमान) को झुटलाया, तो हम उसके लिये तकलीफ व मुसीबत का रास्ता आसान कर देंगे (यानी जहन्नम में पहुँचा देंगे)।”

📕 सूर-ए-लैल: ८ ता १०

नमाज़ में सुस्ती करने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“ऐसे नमाजियों के लिए बड़ी खराबी है, जो अपनी नमाजों की तरफ़ से गफ़लत व सुस्ती बरतते हैं, जो सिर्फ रियाकारी करते हैं।”

📕 सूरह माऊन :४-६

अल्लाह के लिये अपने भाई की जियारत करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“क्या मैं तुम्हें जन्नती लोगों के बारे में खबर न करूं? सहाबा (र.अ) ने अर्ज किया: जरूर या रसूलल्लाह (ﷺ)!

आप (ﷺ) ने फर्माया: नबी जन्नती है, सिद्दीक जन्नती है और वह आदमी जन्नती है जो सिर्फ अल्लाह की रजा के लिये शहर के दूर दराज इलाके में अपने भाई की जियारत के लिये जाए।

📕 तबरानी औसत: १८१०, अन अनस बिन मालिक (र.अ)

कयामत से हर एक डरता है

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

“कोई मुकर्रब फरिश्ता, कोई आसमान, कोई ज़मीन, कोई हवा, कोई पहाड़. कोई समुन्दर ऐसा नहीं जो जुमा के दिन से न डरता हो (इस लिये के जुमा के दिन ही क़यामत कायम होगी)”

📕 इब्ने माजा: १०८४

बुराई से न रोकने का वबाल

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :

“जो क़ौमें तुम से पहले हलाक हो चुकी हैं, उन में ऐसे समझदार लोग न हुए, जो लोगों को मुल्क में फसाद फैलाने से मना करते, सिवाए चन्द लोगों के जिन को हमने अज़ाब से बचा लिया।”

📕 सूरह हूद: ११६

खुलासा: मतलब यह है के हर एक के लिये भलाई का हुक्म और बुराई से रोकना ज़रूरी है वरना अज़ाब में मुब्तला कर दिया जाएगा।

सब से बड़ा तक़वे वाला कौन है

एक शख्स ने रसूलल्लाह (ﷺ) की खिदमत में आकर अर्ज़ किया:

“ऐ अल्लाह के रसूल लोगों में सब से बड़ा जाहिद कौन है ?”

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
वह आदमी जो कब्र और उस की बोसीदगी को न भूले और दुनिया की जरूरत से ज़ियादा जेब व जीनत को छोड़ दे, बाकी रहने वाली (आखिरत) को फना हो जाने वाली (दनिया) पर तरजीह दे, आने वाले कल को अपनी (जिन्दगी का) दिन शुमार न करे और अपने आप को मुर्दो की फहेरिस्त में शुमार करे (तो यह सबसे बड़ा ज़ाहिद है)”

📕 तरग़ीब व तरहीब : ४५५३

जोड़ों के दर्द का इलाज

रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़र्माया :

अंजीर खाओ (फिर उस की अहमियत बताते हुए इर्शाद फर्माया) अगर मैं कहता के जन्नत से कोई फल उतरा है तो यही है, क्यों कि जन्नत के फलों में गुठली नहीं है।”

(और अंजीर का यही हाल है) लिहाजा इसे खाओ, इस लिए के यह बवासिर को खत्म करता है और जोड़ो के दर्द में मुफीद है।”

📕 कंजुल उम्माल: २८२७६

झूठे बादशाह का अंजाम: हदीस

झूठे बादशाह का अंजाम: हदीस

अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने फ़रमाया:

“अल्लाह तआला रोज़े क़यामत 3 तरह के लोगो से न कलाम करेगा और न ही उनकी तरफ नज़रे रेहमत से देखेगा, और उनको दर्दनाक अजाब में मुब्तेला करेगा, और वो 3 ये लोग होंगे:

“बुढा जानी, झूठा बादशाह और मुतक्कबिर फ़क़ीर।”

📕 सहीह मुस्लिम, हदीस 107

ग़रीबों से मुहब्बत और उन के करीब रहने की वसिय्यत

हज़रत अबू जर (र.अ) फर्माते हैं के मुझे मेरे दोस्त रसूलुल्लाह (ﷺ) ने वसिय्यत फर्माई :

“मैं अपने से जियादा मालदार की तरफ न देखू और अपने से कम दर्जा वाले (कम मालदार) की तरफ देखू और ग़रीबों से मुहब्बत और उन के करीब रहने की वसिय्यत फर्माई और सिला रहमी करने की वसिय्यत फ़रमाई अगरचे वह तुमसे पीठ फेरे।”

📕 सहीह इब्ने हिम्बान : ४५०, अन अबी जर (र.अ)

हर एक को नाम-ए-आमाल के साथ बुलाया जाएगा

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“वह दिन याद करने के काबिल है, जिस दिन तमाम आदमियों को उनके नाम-ए-आमाल के साथ मैदाने हश्र में बुलाएंगे, फिर जिनका नाम-ए-आमाल उन के दाहिने हाथ में दिया जाएगा, तो वह (खुश हो कर) अपने नाम-ए-आमाल को पढ़ने लगेंगे उन पर एक धागे के बराबर भी जुल्म नहीं किया जाएगा।”

📕 सूर: बनी इसराईल: ७१

सवारी के जानवर

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“उसी ने (यानी अल्लाह ने) घोड़े, खच्चर और गधे भी पैदा किये ताके तुम उन पर सवारी करो और जेब व ज़ीनत हासिल करो और आइंदा भी ऐसी चीजें पैदा कर देगा जिनको तुम अभी नहीं जानते।”

📕 सूरह नहल ८

फिजूलखर्ची मत किया करो

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है:

“ऐ आदम की औलाद! तुम हर मस्जिद की हाज़री के वक्त अच्छा लिबास पहन लिया करो और खाओ पियो और फिजूलखर्ची मत किया करो, बेशक अल्लाह तआला फुजूल खर्ची करने वालों को पसन्द नहीं करता।”

📕 सूरह आराफ़: ३१

अज़ान के बाद दुआ पढ़ना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: “जो बन्दा अजान सुनते वक़्त अल्लाह से यूँ दुआ करे:

Allahumma Rabba Hadhihi-D-Dawatit-Tammaa Was-Salatil Qaimah, Aati Muhammadan Al-Wasilata Wal-Fazilah, Wabaathhu Maqaman Mahmudan-Il-Ladhi Waadtah

तो वह बन्दा क़यामत के दिन मेरी शफाअत का हकदार हो गया।”

📕 बुखारी : ६१४

आबे जमजम के फवाइद

हजरत जाबिर बिन अब्दुल्लाह (र.अ.) कहते के
मैंने रसूलअल्लाह (ﷺ) को फरमाते हुए सुना:

“जमजम का पानी जिस निय्यत से पिया जाए, उस से वही फायदा हासिल होता है।”

📕  इब्ने माजाह ३०६२

गुस्ल में पूरे बदन पर पानी बहाना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“(जिस्म) के हर बाल के नीचे नापाकी होती है,
लिहाजा तुम बालों को धोओ
और बदन को अच्छी तरह साफ करो।”

📕 तिर्मिज़ी: १०६

खुलासा: गुस्ल में पूरे बदन पर पानी पहुँचाना फर्ज है।

गुनहगारों को नेअमत देने का मक्सद

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जब तू यह देखे के अल्लाह तआला किसी गुनहगार को उस के गुनाहों के बावजूद दुनिया की चीजें दे रहा है तो यह अल्लाह तआला की तरफ से ढील है।

📕 मुस्नदे अहमद : १६८६०

मुसाफिर को पानी न देने का अंजाम

मुसाफिर को पानी न देने का अंजाम

अबू हुरैरा (रज़ि) से रिवायत है की, रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फरमाया –

3 तरह के लोग वो होंगे जिनकी तरफ कयामत के दिन अल्लाह तआला नज़र (नज़र-ए-रहमत) भी नहीं उठाएगा और ना उन्हें पाक करेगा, बल्कि उनके लिए दर्दनाक अज़ाब होगा।

एक वो शख़्स जिसके पास रास्ते में ज़रूरत से ज़्यादा पानी हो और उसने किसी मुसाफ़िर को उसके इस्तमाल से रोक दिया।

दूसरा वो शख्स जो किसी हाकीम से बैत सिर्फ दुनिया के लिए करे, कि अगर वो हाकीम उसे कुछ दे तो वो राजी रहे वरना खफा हो जाए।

तीसरा वो शख्स जो अपना (बेचने का तिजारती) सामान असर के बाद लेकर खड़ा हुआ और कहने लगा कि उस अल्लाह की कसम जिसके सिवा कोई सच्चा माबूद नहीं, मुझे इस सामान की कीमत इतनी मिल रही थी उस पर एक शख्श ने उसे सही समझा (और उस सामान को खरीद लिया) (यानी झूठ को इख्तियार करके तिजारत करनेवाला)।

📕 सहीह बुखारी, हदीस 2358

मर्द व औरत का एक दूसरे की नकल करने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने ऐसी औरत पर लानत फर्माई जो मर्द की नक्ल इख्तियार करती हैं और ऐसे मर्द पर लानत फ़रमाई जो औरतों की मुशाबहत इख्तियार करता है।

📕 इब्ने माजा : १९०२

खुलासा: मर्द का औरतों की शक्ल व सूरत इख्तियार करना और औरत का मर्दो की शक्ल इख्तियार करना नाजाइज़ और हराम है।

गुर्दे की बीमारियों का इलाज

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया –

“पहलू के दर्द का सबब गुर्दे की नस है, जब वह हरकत करती है, तो इन्सान को तकलीफ होती है लिहाज़ा उसका इलाज गर्म पानी और शहद से करो।”

📕 मुस्तदरक हाकिम : ८२३७, अन आयशा रज़ि०

फाएदा: गुर्दे में जब पथरी वगैरह हो जाती है, तो कूल्हों में दर्द होता है, अकसर इसी दर्द ही की वजह से बीमारी का पता चलता है, उसका इलाज आप ने यह बतलाया के गर्म पानी और शहद मिला कर पियो।

छह चीजों की जमानत: जब बात करो तो सच बोलो

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“तुम अपनी तरफ से मुझे छह चीजों की जमानत दे दो मैं तुम्हें जन्नत की जमानत देता हूँ। जब तुम बात करो तो सच बोलो, जब वादा करो तो पूरा करो, जब तुम्हारे पास अमानत रखी जाए तो अमानत अदा करो, अपनी शर्मगाहों की हिफाजत करो, अपनी आँखों को नीचे रखो और अपने हाथों को (जुल्म व सितम से) रोके रखो।”

📕 मुस्नदे अहमद : २२२५१, अन उबादा बिन सामित (र.अ)

हज़रत मुहम्मद (ﷺ) को आखरी नबी मानना

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :

“( हज़रत मुहम्मद ﷺ ) अल्लाह के रसूल और खातमुन नबिय्यीन हैं।”

📕 सूरह अहज़ाब : ४०

वजाहत: रसूलुल्लाह (ﷺ) अल्लाह के आखरी नबी और रसूल हैं, लिहाजा आप (ﷺ) को आख़री नबी और रसूल मानना और अब क़यामत तक किसी दूसरे नए नबी के न आने का यकीन रखना फर्ज है।

क़ज़ा नमाजों की अदायगी

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जो कोई नमाज पढ़ना भूल गया या नमाज के वक्त सोता रह गया, तो (उसका कफ्फारा यह है के) जब याद आए उसी वक्त पढ़ ले।”

📕 तिर्मिज़ी: १७७

फायदा: अगर किसी शख्स की नमाज किसी उज्र की वजह से छूट जाए
या सोने की हालत में नमाज़ का वक़्त गुज़र जाए, तो बाद में उसको पढ़ना फर्ज है।

एक दिन के नफ़ली रोजे का सवाब

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“अगर कोई शख्स अल्लाह के वास्ते एक दिन का नफ़ली रोजा रखे और उसके बदले में उस को सारी जमीन भरकर सोना (रोजाना) दिया जाए, तो कयामत के दिन तक भी इस रोजे के सवाब का बदला अदा नहीं हो सकता।”

📕 कंजुल उम्माल:४१५१, अन अनस (र.अ)

बीवी को उस का महर देना

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“तुम लोग अपनी बीवियों को उन का महर खुश दिली से दे दिया करो, अलबत्ता अगर वह अपने महर में से कुछ छोड़ दें, तो उसे लजीज़ और खुशगवार समझ कर व खाओ।”

📕 सूरह निसा: ४

हमेशा की जन्नत व जहन्नम

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“अल्लाह तआला जन्नतियों को जन्नत में दाखिल कर देगा और जहन्नमियों को जहन्नम में दाखिल कर देगा, फिर उन के दर्मियान एक एलान करने वाला कहेगा के ऐ जन्नतियों! अब मौत नहीं आएगी, ऐ जहन्नमियों! अब मौत नहीं आएगी (तुम में का जो जहाँ है हमेशा उस में रहेगा)”

📕 मुस्लिम: ७१८३, अन इब्ने उमर (र.अ)

मज़दूर की मज़दूरी पसीना सुखने से पहले दिया करो

मज़दूर को पसीना सुखने से पहले मज़दूरी दो

۞ हदीस: अब्दुल्ला इब्न उमर (रजि.) से रिवायत है की,
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“मज़दूर को उसकी मज़दूरी उसका पसीना सुखने से पहले दे दो।”

📕सुनन इब्न माजाह, हदीस:600


मज़दूर को पूरी मजदूरी देना

۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“मैं क़यामत के दिन तीन लोगों का मुक़ाबिल बन कर उन से झगडूंगा, (उन तीन में से एक) वह शख्स है जिसने किसी को मज़दूरी पर रखा और उससे पूरा-पूरा काम लिया मगर उसको पूरी मज़दूरी नहीं दी।”

📕 इब्ने माजाह : २४४२

खुलासा: मज़दूर को मुकम्मल मज़दूरी देना वाजिब है।

गुनहगारों के लिये जहन्नम की आग है

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“(अल्लाह का अज़ाब उस दिन होगा) जिस दिन आसमान थर थर काँपने लगेगा और पहाड़ अपनी जगह से चल पड़ेंगे। उस दिन झुटलाने वालों के लिये बड़ी खराबी होगी, जो बेहूदा मशगले में लगे रहते हैं, उस दिन उन को जहन्नम की आग की तरफ धक्के मार कर धकेला जाएगा (और कहा जाएगा) यही वह आग है जिस को तुम झुटलाया करते थे।”

📕 सूरह तूर : ९ ता १४

जो ताक़त रखता है वो निकाह जरुरु करे

रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:

“ऐ नौजवानों की जमात! तुम में से जो नान व नफ़्का की ताकत रखता हो उसे ज़रूर शादी कर लेना चाहिए इस लिए के यह आँख और शर्मगाह की हिफ़ाज़त का ज़रिया है और जो इस की ताकत नहीं रखता, तो उसे चाहिए के रोजा रखे, इस लिए के यह उस की शहवत को कम करने में मोअस्सिर है।”

📕 बुखारी : ५०६६, अब्दुल्लाह (र.अ)

अपने मालों को ज़कात के जरिये महफूज़ बनाओ

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“अपने मालों को ज़कात के जरिये महफूज़ बनाओ और अपने बीमारों का सदके से इलाज करो और अल्लाह तआला सामने आजिजी से इस्तकबाल करो।”

📕 तबरानी कबीर : १००४४

मजलिस में जाये तो सलाम करे

मजलिस में जाये तो सलाम करे

۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जब तुम में से कोई आदमी मजलिस में जाए, तो सलाम करे और फिर जी चाहे, तो मजलिस में शरीक हो जाए, और फिर जाते वक्त भी सलाम कर के जाए।”

📕 तिर्मिज़ी, हदीस २७०६, अन अबी हुरैराह (र.अ)

शराब, जुवा, बूत और फाल खोलना सब शैतानी काम है

क़ुरान में अल्लाह तआला फ़र्माता है

“ऐ ईमान वालो! सच्ची बात यह है के शराब, जुवा, बूत और फाल खोलने के तीर, यह सब शैतान के नापाक काम है, लिहाजा तुम इनसे बचो! ताके तुम अपने मकसद में कामयाब हो जाओ।”

📕 सूरह मायदा १०५

अपने मातहतों पर तोहमत लगाने गुनाह

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जिस ने अपने मातहत पर किसी ऐसी बात की तोहमत लगाई जिस से वह बरी है तो उस पर क़यामत के दिन हद जारी की जाएगी। मगर यह के वह कही हुई बात उस में मौजूद हो।”

📕 बुखारी : ६८५८

कद्दू (दूधी) से इलाज

۞ हदीस: हज़रत अनस (र.अ) फर्माते हैं के,
“मैंने खाने के दौरान रसूलुल्लाह (ﷺ) को देखा के
प्याले के चारों तरफ से कद्दू तलाश कर के खा रहे थे,

उसी रोज़ से मेरे दिल में कद्दु की रग़बत पैदा हो गई।”

📕 बुख़ारी : ५३७९

फायदा : अतिब्बा ने इस के बे शुमार फवायद लिखे हैं और अगर बही के साथ पका कर इस्तेमाल किया जाए तो
बदन को उम्दा ग़िज़ाइयत बख्शता है, गरम मिजाज और बुख़ार जदा लोगों के लिये यह गैर मामूली तौर पर नफा बख्श है।

कयामत के दिन का अंदाज़

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“जिस दिन तमाम जानदार और फ़रिश्ते सफ़ बांधकर खड़े होंगे उस रोज कोई कलाम न कर सकेगा, अल्बत्ता जिस को खुदाए रहमान (यानी अल्लाह तआला) बात करने की इजाजत देदे और वह बात भी ठीक ही कहेगा, उस दिन का आना यकीनी है, जो शख्स चाहे अपने रब के पास ठिकाना बना ले।”

📕 सूरह नबाः ३८ ता ३९

इन आयतों में रोज़े क़यामत अल्लाह की अदालत में ह़ाज़िरी का अंदाज दिखाया गया है। और जो इस ख्याल में पड़े हैं कि उन के झूठे माबूद उनकी सिफारिश करेंगे उन को आगाह किया गया है कि उस दिन कोई बिना अल्लाह की इजाजत के मुँह नहीं खोलेगा और अल्लाह की इजाजत से सिफारिश भी करेगा।

सिफारिश तो उसी के लिये होगी जो दुनिआ में कलिमा-ऐ-हक़ “ला इलाहा इल्लल्लाह” को मानता हो। जबकि काफिर और मुशरिक किसी किस्म के लायक न होंगे।

कयामत किन लोगों पर आएगी

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“कयामत सिर्फ बदतरीन लोगों पर ही आएगी।”

📕 मुस्लिम : ७४०२

फायदा: जब तक इस दुनिया में एक शख्स भी अल्लाह का नाम लेने वाला जिंदा रहेगा, उस वक्त तक दुनिया का निजाम चलता रहेगा, लेकिन जब अल्लाह का नाम लेने वाला कोई न रहेगा और सिर्फ बदतरीन और बुरे लोग ही रह जाएँगे, तो उस वक़्त क़यामत कायम की जाएगी।

निमोनिया का इलाज

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने निमोनिया के लिये वर्स, कुस्त और रोग़ने जैतून पिलाने को मुफीद बतलाया है।

फायदा : “वर्स” तिल के मानिंद एक किस्म की घास है, जिस से रंगाई का काम लिया जाता है और “कुस्त” एक खुशबूदार लकड़ी है जिस को ऊदे हिन्दी भी कहते हैं।

📕 इब्ने माजा : ३४६७

जहन्नम की आग की सख्ती

जहन्नम की आग की सख्ती

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“दोजख को एक हजार साल तक दहकाया गया, तो वह लाल हो गई, फिर एक हजार साल तक दहकाया गया तो वह सफेद हो गई, फिर एक हजार साल तक दहकाया गया तो अब वह बहुत जियादा काली हो गई।”

📕 शोअबुल ईमान : ८१२

अज़ान देने की फ़ज़ीलत

रसुलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“जिस शख्स ने बारा साल तक अजान दी, उस के लिये जन्नत वाजिब हो गई और हर रोज अजान के बदले उसके लिये साठ नेकियाँ लिखी जाएँगी और हर तक्बीर पर तीस नेकियाँ मिलेंगी।” 

📕 इब्ने माजा : ७२८

थोड़ी सी रोज़ी पर रहने की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जो शख्स अल्लाह तआला से थोड़ी रोजी पर राजी रहे, तो अल्लाह तआला भी उसकी तरफ से थोड़े से अमल पर राजी हो जाता हैं।”

📕 बैहकी शोअबुल ईमान : ४०९

मुसीबत या खतरे को टालने की दुआ

जब किसी मुसीबत या बला का अंदेशा हो, तो इस दुआ को कसरत से पढ़े:

“हमारे लिए अल्लाह काफ़ी है और वह बेहतरीन काम बनाने वाला है, हम उसी पर भरोसा करते हैं।”

📕 तिर्मिज़ी : २४३१, अन अबी सईद खुदरी (र.अ)

पछना के जरिये दर्द का इलाज

हजरत इब्ने अब्बास (र.अ) बयान करते हैं के :

“रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एहराम की हालत में दर्द की वजह से सर में पछना लगवाया।”

📕 बुखारी: ५७०१

फायदा: पछना लगाने से बदन से फ़ासिद खून निकल जाता है जिस की वजह से दर्द वगैरह खत्म हो जाता है और आँख की रोशनी तेज़ हो जाती है।

ऐसी बात क्यों कहते हो जो करते नहीं

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“ऐ ईमान वालो ! तुम ऐसी बात क्यों कहते हो जो करते नहीं? यह बात अल्लाह के नजदीक बड़ी नाराजगी की है के तुम ऐसी बातें कहो जिन पर अमल न करो।”

📕 सूरह सफ़ : २ ता ३

हौज़े कौसर क्या है ?

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

कौसर जन्नत में एक नहर है, जिस के दोनों किनारे सोने के हैं और वह मोती और याकूत पर बहती है, उस की मिट्टी मुश्क से जियादा खुशबूदार, उस का पानी शहेद से जियादा मीठा और बर्फ से जियादा सफेद है।”

📕 तिर्मिज़ी : ३३६१

बद नसीबी की पहचान

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:

“चार चीजें बदनसीबी की पहेचान हैं।

(१) आँखों का खुश्क होना (के अल्लाह के खौफ से किसी वक्त भी आँसू न टपके)
(२) दिल का सख्त होना (के आखिरत के लिये या न किसी दूसरे के लिये किसी वक़्त भी नर्म न पड़े।) (३) उम्मीदों का लम्बा होना ।
(४) दुनिया की हिर्स व लालच का होना।”

📕 तरगीब व तरहीब : ४७४१

अगली सफ में नमाज़ अदा करने की फजीलत

रसलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“अल्लाह तआला और उसके फरिश्ते पहली सफ वालों पर रहमत भेजते हैं और मोअज्जिन के बुलंद आवाज़ के बकद्र उस की मगफिरत कर दी जाती है, खुश्की और तरी की हर चीज़ उस की आवाज़ की तसदीक करती है और उस के साथ नमाज़ पढ़ने वालों का सवाब उस को भी मिलेगा।”

📕 निसाई : ६४७

मियाँ बीवी अपना राज़ बयान न करें

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“कयामत के रोज़ अल्लाह की नज़र में लोगों में सब से बदतरीन वह शख्स होगा, जो अपनी बीवी के पास जाए और उसकी बीवी उसके पास आए; फिर उनमें से एक अपने साथी का राज किसी दूसरे को बताए।”

📕 मुस्लिम: ३५४२, अबी सईद खुदरी (र.अ)

फसाद फैलाने की सज़ा

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है:

“जो लोग अल्लाह और उसके रसूल से लड़ते हैं, जमीन में फसाद करने की कोशिश करते हैं, ऐसे लोगों की बस यही सजा है के वह कत्ल कर दिये जाएं या सूली पर चढ़ा दिये जाएँ या उनके हाथ और पाँव मुखालिफ जानिब से काट दिये जाएं या वह मुल्क से बाहर निकाल दिये जाएँ। यह सजा उन के लिये दुनिया में सख्त रुसवाई (का जरिया) है और आखिरत में उनके लिये बहुत बड़ा अजाब है।”

📕 सूरह मायदा: ३३

मस्जिदे नबवी में चालीस नमाज़ों का सवाब

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“जिस ने मेरी मस्जिद में चालीस नमाज़े अदा की और कोई नमाज़ कजा नहीं की, तो उस के लिए जहन्नम से बरात और अज़ाब से नजात लिख दी जाती है और निफ़ाक से बरी कर दिया जाता है।”

📕 मुसनदे अहमद : १२९४१, अन अनस (र.अ)

अल्लाह के वास्ते मुहब्बत करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : 

“अल्लाह तआला फर्माता है, जो लोग मेरी अजमत व जलाल की वजह से आपस में मुहब्बत रखते हैं (क़यामत के दिन) उन के लिये ऐसे नूर के मिम्बर होंगे, जिन पर अम्बिया और शोहदा भी रश्क करेंगे।”

📕 तिर्मिजी: २३९०, अन मआज बिन जबल (र.अ)

आपस में झगड़ा न करो

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“तुम अल्लाह और उस के रसूल की इताअत करो
और आपस में झगड़ा न करो,
वरना तुम बुजदिल हो जाओगे
और दुश्मन के मुकाबले में तुम्हारी हवा उखड़ जाएगी
और (मुसीबत के वक्त) सब्र करो,
बेशक अल्लाह तआला सब्र करने वालों के साथ है।”

📕 सूर-ए-अन्फाल : 46

दुनिया का सामान चंद रोज़ा हैं

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“दुनिया का सामान कुछ ही दिन रहने वाला है और उस शख्स के लिये आखिरत हर तरह से बेहतर है, जो अल्लाह तआला से डरता हो और (कयामत) में तुम पर ज़र्रा बराबर भी जुल्म न किया जाएगा।”

📕 सूरह निसा : ७७

इंसाफ करने वाले नूर के मिम्बरों पर होंगे

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“इंसाफ करने वाले अल्लाह तआला के पास नूर के मिम्बरों पर होंगे और यह वह लोग होंगे जो अपनी हुकूमत, अहल व अयाल और रिआया के मुतअल्लिक इन्साफ से काम लेते हैं।”

📕 मुस्लिम:४७२१, अन अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ि०

ग़लत हदीस बयान करने की सज़ा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“मेरी हदीस को बयान करने में एहतियात करो और वही बयान करो जिस का तुम्हें यक़ीनी इल्म हो, जो शख्स जान बूझ कर मेरी तरफ से कोई गलत बात बयान करे, वह अपना ठिकाना जहन्नम में बना ले।”

📕 तिर्मिज़ी: २९५१

जमीन में फसाद फैलाने का गुनाह

क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है:

“बिलाशुबाह लोग जो अल्लाह से पक्का अहद करने के बाद तोड़ डालते हैं
और उन रिश्ते नातों को भी तोड़ डालते हैं जिन को अल्लाह ने जोड़े रखने का हुक़्म दिया है
और ज़मीन में फसाद फैलाते फिरते हैं,
तो ऐसे लोग बड़े ख़सारे (नुकसान उठाने) वाले हैं।”

📕 सूरह बकरह 2:27