औरतों का खुशबु लगाकर बाहर निकलने का गुनाह
रसुलअल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जो औरत इत्र लगा कर लोगों के पास से गुजरे, ताके लोग उस की खुश्बू महसूस करें, तो वह ज़ानिया है और हर (देखने वाली) आँख जिनाकार होगी।”
📕 तिर्मिज़ी : २७८६, अबी मूसा (र.अ)
ज़ानिया: जीना करने वाली खातून
मुसलमानों के दिल अल्लाह की याद और उस के सच्चे दीन के सामने झुक जाएँ
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“क्या ईमान वालों के लिए अभी तक ऐसा वक्त नहीं आया के उनके दिल अल्लाह की नसीहत और जो दीने हक़ नाजिल हुआ है उसके सामने झुक जाएँ और वह उन लोगों की तरह न हो जाएँ जिन को उन से पहले किताब दी गई थी। यानी वह वक्त आ चुका है के मुसलमानों के दिल कुरआन और अल्लाह की याद और उस के सच्चे दीन के सामने झुक जाएँ।”
दीन के खिलाफ साजिश करने का गुनाह
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“उन खयानत करने वाले लोगों की हालत यह है के लोगों से तो परदा करते है और अल्लाह ताआला से नही शरमाते, जब के अल्लाह तआला उस वक्त भी उन के पास होता है, जब यह रात को ऐसी बातों का मशवरा करते हैं जिनको अल्लाह पसंद नहीं करता और अल्लाह तआला उन की तमाम कार्रवाइयों को जानता है।”
दुनियावी ज़िन्दगी धोका है
दुनियावी जिन्दगी एक धोका है
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“दुनियावी ज़िन्दगी तो कुछ भी नहीं सिर्फ धोके का सौदा है।”
📕 सूरह आले इमरान : १८५
“ऐ लोगो! बेशक अल्लाह तआला का वादा सच्चा है, फिर कहीं तुम को दुनियावी जिन्दगी धोके में न डाल दे और तुम को धोके बाज़ शैतान किसी धोके में न डाल दे, यकीनन शैतान तुम्हारा दुश्मन है। तुम भी उसे अपना दुश्मन ही समझो। वह तो अपने गिरोह (के लोगों) को इस लिये बुलाता है के वह भी दोज़ख वालों में शामिल हो जाएँ।”
📕 सूरह फातिर ५ ता ६
“ऐ इन्सान ! तुझे अपने रब की तरफ से किस चीज़ ने धोके में डाल रखा है (कि तू दुनिया में पड़ कर उसे भुलाए रखता है हालाँकि) उस ने तुझे पैदा किया (और) फिर तेरे तमाम आज़ा एक दम ठीक अन्दाज़ से बनाए। (फिर भी तू उससे गाफिल है)।”
📕 सूरह इन्फित्तार; ६
फायदा : जिस तरह माल के जाहिर को देख कर खरीदार फँस जाता है, इसी तरह इंसान दुनिया की चमक दमक से धोका खा कर आखिरत से गाफिल हो जाता है, इसलिए इन्सानों को दुनिया की चमक दमक से होशियार रहना चाहिए।
माँगी हुई चीज़ का लौटाना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“(वापसी की शर्त पर) माँगी हुई चीज़ को वापस किया जाएगा।”
खुलासा : अगर किसी शख्स ने कोई सामान यह कह कर माँगा के वापस कर दूंगा, तो उस का मुक़र्रर वक्त पर लौटाना वाजिब है, उसको अपने पास रख लेना और बहाना बनाना जाइज नही है।
जन्नत वालों का इनाम व इकराम
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“(जन्नती लोग) जन्नत में सलाम के अलावा कोई बेकार व बेहूदा बात नहीं सुनेंगे और जन्नत में सुबह व शाम उनको खाना (वगैरह) मिलेगा। यही वह जन्नत है, जिसका मालिक हम अपने बन्दों में से उस शख्स को बनाएँगे, जो अल्लाह से डरने वाला होगा।”
अपने पडोसी को तकलीफ न दे
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़ारमाया :
“जो शख्स अल्लाह और आखिरत के दिन पर ईमान रखता हो
उसे चाहिये के अपने पड़ोसी को तकलीफ न दे।”
दस्त (बकरी की अगली रान) के फवाइद
रसूलुल्लाह (ﷺ) को दस्त (अगली रान) का गोश्त बहुत पसन्द था।
📕 बुखारी : ३३४०, अन अबी हुरैरह (र.अ)
फायदा : अल्लामा इब्ने क़य्यिम ने लिखा है के बकरी के गोश्त में सब से हल्की गिज़ा का हिस्सा गरदन और दस्त है, उसके खाने से मेदे में भारीपन नहीं होता।
सुबह शाम खूब ज़िक्रे इलाही किया करो
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“ऐ ईमान वालो ! अल्लाह तआला का खूब जिक्र किया करो और सुबह व शाम उस की पाकी बयान किया करो।”
जन्नतियों का लिबास
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“उन जन्नतियों के बदन पर बारीक और मोटे रेशम के कपड़े होंगे और उनको चाँदी के कंगन पहनाए जाएँगे और उनका रब उनको पाकीज़ा शराब पिलाएगा।
(अहले जन्नत से कहा जाएगा के) यह सब नेअमतें तुम्हारे आमाल का बदला हैं और तुम्हारी दुनियावी कोशिश कबूल हो गई।”
ईमान की बरकत से जहन्नम से छुटकारा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
जब जन्नती जन्नत में चले जाएंगे और जहन्नमी जहन्नम में चले जाएंगे, तो अल्लाह तआला फरमाएगा:
“जिस के दिल में राई के दाने के बराबर भी ईमान हो उसे भी जहन्नम से निकाल लो, चुनान्चे उन लोगों को भी निकाल लिया जाएगा, जिनकी यह हालत होगी के वह जल कर काले सियाह हो गए होंगे। उसके बाद उन को “नहरे हयात” में डाला जाएगा, तो इस तरह निकल आएंगे जैसे दाना सैलाब के कड़े में (खाद और पानी मिलने की वजह से) उग आता है।”
सिरका के फवाइद
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“सिरका क्या ही बेहतरीन सालन है।”
फायदा : मुहद्दिसीन हज़रात कहते हैं के सिरका तिल्ली के बढ़ने को रोकता है, जिस्म में वरम नहीं होने देता, खाने को हज़म करता है, खून को साफ करता है, फोड़े फुन्सियों को दूर करता है। [अलइलाजुन नबी]
मिस्वाक के फायदे
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने इर्शाद फ़रमाया :
“मिस्वाक मुंह की सफाई और अल्लाह की रज़ामंदी का ज़रिया है।”
फायदा : अल्लामा इब्ने कय्यिम मिस्वाक के फवाइद में लिखते हैं, यह दाँतों में चमक पैदा करती है, मसूड़ों में मज़बूती और मुँह की बदबू ख़त्म करती है, जिससे दिमाग़ पाक व साफ हो जाता है। यह बलग़म को काटती है, निगाह को तेज़ और आवाज़ को साफ करती है और भी इस के बहुत से फवाइद हैं।
अहले जन्नत का इनाम : उस दिन बहुत से चेहरे तर व ताजा होंगे
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता :
“उस दिन बहुत से चेहरे तर व ताजा होंगे, अपने (नेक) आमाल की वजह से खुश होंगे, ऊँचे ऊँचे बागों में होंगे। वह उन बागों में कोई बेहूदा बात नहीं सुनेंगे। उनमें चश्मे बह रहे होंगे।”
शराबी की सज़ा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जिस ने शराबनोशी की, अल्लाह तआला चालीस रात तक उस से खुश नहीं होगा। अगर वह (उसी हाल में) मर गया तो कुफ्र की हालत में मरेगा और अगर तौबा कर ली तो अल्लाह तआला उस की तौबा क़बूल फ़र्माएगा और अगर फिर शराब पी तो अल्लाह तआला उस को दोज़खियों का पीप पिलाएगा।”
इशा के बाद जल्दी सोने की सुन्नत
रसूलुल्लाह (ﷺ) इशा से पहले नहीं सोते थे
और इशा के बाद नहीं जागते थे (बल्के सो जाते थे)
गम के वक्त यह दुआ पढ़े
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने ग़म व मुसीबत के वक्त इस दुआ को पढ़ने के लिये फर्मायाः
إِنَّا لِلَّهِ وَإِنَّا إِلَيْهِ رَاجِعُونَ اللَّهُمَّ أْجُرْنِي فِي مُصِيبَتِي وَأَخْلِفْ لِي خَيْرًا مِنْهَا
( inna Lillahi Wa inna ilaihi rajeuun , Allahumma Ajurni fi Musibati Wa Akhlifli Khairam Minha )
तर्जमा : हम सब अल्लाह की मिलकियत में हैं और उसी की तरफ जाने वाले हैं, या अल्लाह ! तू मुझे मेरी इस मुसीबत में सवाब दे और मुझे इससे बेहतर बदला इनायत फ़र्मा।
मेहमान की दावत व मेहमान नवाजी तीन दिन है
मेहमान की दावत व मेहमान नवाजी तीन दिन है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“जो आदमी अल्लाह और यौमे आखिरत पर ईमान रखता हो, उसे अपने मेहमान का इकराम करना चाहिये, एक दिन व रात की खिदमत उस का जाइज हक़ है और उस की दावत व मेहमान नवाजी तीन दिन है, उस के बाद की मेजबानी उस के लिये सदक़ा है और मेहमान के लिये जियादा दिन ठहर कर मेजबान को तंगी में मुब्तला करना जाइज नहीं है।”
मेहर अदा ना करने का गुनाह
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जिस आदमी ने किसी औरत से मेहर के बदले निकाह किया और उस का महेर अदा करने का इरादा न हो, तो वह जानी (जीना करने) के हुक्म में है और जिस आदमी ने किसी से क़र्ज़ लिया। फिर उस का क़र्ज़ अदा करने की निय्यत न हो, तो वह चोर के हुक्म में है।”
बातिल परस्तों के लिये सख्त अज़ाब है
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“जो लोग खुदा के दीन में झगड़ते हैं, जब के वह दीन लोगों में मक़बूल हो चुका है (लिहाजा) उन लोगों की बहस उन के रब के नजदीक बातिल है, उनपर खुदा का ग़ज़ब है और सख्त अजाब (नाज़िल होने वाला है)।”
मुजिजात को न मानने का गुनाह
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“जब उन के रसूल उन के पास खुली हुई दलीलें ले कर आए, तो वह लोग अपने उस दुनियावी इल्म पर नाज़ करते रहे, जो उन्हें हासिल था, आखिरकार उनपर वह अज़ाब आ पड़ा जिस का वह मज़ाक़ उड़ाया करते थे।”
काफ़िरों की हालत
रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:
“काफ़िर अपनी ज़बान को एक या दो फरसख (यानी तकरीबन बारा किलोमीटर) तक जमीन पर घसीटते हुए चलेगा, और लोग उस को रौंदते हुए उस पर चलेंगे।”
अहले ईमान और क़यामत का दिन
۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) से पचास हज़ार साल के बराबर दिन (यानी क़यामत) के बारे में पूछा गया के वह कितना लम्बा होगा? तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“उस ज़ात की कसम जिस के कब्जे में मेरी जान है ! वह दिन मोमिन के लिये इतना मुख्तसर कर दिया जाएगा, जितनी देर में यह दुनिया में फर्ज़ नमाज अदा त किया करता था।”
दावत कबूल करे
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जब तुम में से किसी को खाने की दावत दी जाए तो उस को कबूल करना चाहिये, फिर अगर वह चाहे तो खाना खाले और न चाहे तो छोड़ दे।”
बुढ़ापे में रिज़्क में बरकत की दुआ
बुढ़ापे में रिज्क में बरकत के लिये यह दुआ पढ़ें :
( اللهم اجعل أوسع رزقك على عند كبر سنئ وانقطاع غمري )
तर्जमा: ऐ अल्लाह ! मेरी बड़ी उम्र में अपना रिज्क मुझपर ज़्यादा कर दे।
जन्नती अल्लाह तआला का दीदार करेंगे
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने लैलतुबद्र में चाँद को देखा और फर्माया :
“तुम लोग अपने रब को इसी तरह देखोगे जिस तरह इस चाँद को देख रहे हो, तुम उस को देखने में किसी किस्म की परेशानी महसूस नहीं करोगे।”
अच्छी तरह वुजू कर के नमाज़ के लिये मस्जिद जाने की फ़ज़ीलत
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“तुम में से जो शख्स अच्छी तरह मुकम्मल वुजू करता है, फिर नमाज ही के इरादे से मस्जिद में आता है, तो अल्लाह तआला उस बंदे से ऐसे खुश होता हैं जैसे के किसी दूर गए हुए रिश्तेदार के अचानक आने से उसके घर वाले खुश होते हैं।”
दुनिया की चीजें खत्म होने वाली हैं
दुनिया की चीजें खत्म होने वाली हैं
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“जो कुछ तुम्हारे पास (दुनिया में) है वह (एक दिन) खत्म हो जाएगा और जो अल्लाह तआला के पास है वह हमेशा बाकी रहने वाली चीज़ है।”
अल्लाह तआला तुम्हारी मगफिरत फर्मा देगा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“अल्लाह तआला की ताजीम करो और उसके सामने सर झुकाओ। अल्लाह तआला तुम्हारी मगफिरत फर्मा देगा।”
खुशू व खुजू से नमाज़ अदा करना
۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“जो कोई खूब अच्छी तरह वुजू करे और दो रकात नमाज खुशू खुजू के साथ पड़े तो उस के लिये जन्नत वाजिब हो गई।”
जैतून के तेल के फवायद
۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जैतून का तेल खाओ और उसे लगाओ, क्यों कि उस में सत्तर बीमारियों से शिफा है, जिनमें से एक कोढ़ भी है।”
सुन्नत पर अमल करने पर शहीद का सवाब
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो मेरी उम्मत में बिगाड़ के वक्त मेरी सुन्नत को मजबूती से थामे रहेगा, उसके लिये एक शहीद का सवाब है।”
खड़े हो कर नमाज़ पढ़ना
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“नमाज़ में अल्लाह के सामने आजिज़ बने हुए खड़े हुआ करो।”
फायदा: अगर कोई शख्स खड़े होकर नमाज़ पढ़ने की ताकत रखता हो तो उस पर फ़र्ज और वाजिब नमाज़ को खड़े हो कर पढ़ना फ़र्ज़ है।
जन्नत में दाखिल करने वाले आमाल
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“अल्लाह तआला की इबादत करते रहो, खाना खिलाते रहो और सलाम फैलाते रहो, (इन आमाल की वजह से जन्नत में सलामती के साथ दाखिल हो जाओगे।”
दिल की कमज़ोरी का इलाज
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“तुम लोग सन्तरे का इस्तेमाल किया करो, क्योंकि यह दिल को मज़बूत बनाता है।”
फायदा : मुहद्दिसीन तहरीर फ़रमाते हैं के सन्तरे का जूस पेट की गन्दगी को दूर करता है, क़े और मतली को खत्म करता है और भूक बढ़ाता है।
औरतों का चंद बातों पर अमल करना
औरतों का चंद बातों पर अमल करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“अगर औरत पाँच वक़्त की नमाज पढ़े और रमजान के रोजे रखे और अपनी शर्मगाह की हिफाज़त करे और अपने शौहर की फरमाबरदारी करे (तो कयामत के दिन) उससे कहा जाएगा: तुम जन्नत के जिस दरवाजे से चाहो जन्नत में दाखिल हो जाओ।”
नमाज़े गुनाहों को मिटा देती हैं
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने सहाबा से पूछा:
“अगर किसी के दरवाजे पर एक नहर हो और उसमें वह हर रोज़ पाँच बार गुस्ल किया करे, तो क्या उसका कुछ मैल बाकी रह सकता है? सहाबा ने अर्ज किया के कुछ भी मैल न रहेगा।”
आप (ﷺ) ने फर्माया के :
“यही हालत है पाँचों वक्त की नमाज़ों की, के अल्लाह तआला उनके सब बगुनाों को मिटा देता है।”
सामने वाले की बात पूरी तवज्जोह से सुनना
जब आप (ﷺ) से कोई मुलाकात करता और गुफ्तगू करता,
तो आप (ﷺ) उस की तरफ से तवज्जोह न हटाते, यहाँ तक के वह आप से रुख न हटा लेता।
कयामत का मंजर
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“अगर (आखिरत के हौलनाक अहवाल के मुतअल्लिक) तुम्हें वह सब मालूम हो जाए जो मुझे मालूम है, तो तुम्हारा हँसना बहुत कम हो जाए और रोना बहुत बढ़ जाए।”
दुनिया पर मुतमइन नहीं होना चाहिये
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“जिन लोगों को हमारे पास आने की उम्मीद नहीं है और वह दुनिया की जिन्दगी पर राजी हो गए और उस पर वह मुतमइन हो बैठे और हमारी निशानियों से गाफिल हो गए हैं, ऐसे लोगों का ठिकाना उनके आमाल की वजह से जहन्नम है।”
अल्लाह तआला अपने बंदे से क्या कहता है?
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“अल्लाह तआला फ़र्माता है : ऐ इब्ने आदम ! तू मेरी इबादत के लिए फारिग हो जा, मैं तेरे सीने को मालदारी से भर दूंगा और तेरी मोहताजगी को खत्म कर दूंगा और अगर ऐसा नहीं करेगा, तो मैं तेरे सीने को मशगूली से भर दूंगा और तेरी मोहताजगी को बंद नहीं करूंगा।”
मोहताजगी व जिल्लत से पनाह माँगना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
फक्र व मोहताजगी और जिल्लत से इस तरह पनाह माँगा करो :
“हम अल्लाह की पनाह चाहते हैं, फक्र व फाका और जिल्लत से और इससे के हम किसी पर जुल्म करें, या हम पर कोई जुल्म करे।“
इजार या पैन्ट टखने से नीचे पहनने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जो शख्स तकब्बुर के तौर पर अपने इज़ार को टखने से नीचे लटकाएगा, अल्लाह तआला क़यामत के दिन उसकी तरफ रहमत की नजर से नहीं देखेगा।”
कब्र में मिट्टी डालते वक़्त की दुआ
जब रसूलुल्लाह (ﷺ) ने उम्मे कुलसूम को कब्र में रखा तो पढ़ा:
“मिन्हा खलकना कुम, व फिहा नुईदुकुम, व मिन्हा नुखरिजुकुम तारतन ऊखरा”
तर्जमा: इस मिट्टी से हमने तुम को पैदा किया और इसी में हम तुम को लौटाएँगे और इसीसे हम तुमको दोबारा उठाएंगे।
मुसाफा से गुनाहों का झड़ना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जब मोमिन दूसरे मोमिन से मिल कर सलाम करता है और उस का हाथ पकड़ कर मुसाफा करता है, तो उन दोनों के गुनाह इस तरह झड़ते हैं जैसे दरख्त के पत्ते गिरते हैं।”
कब्र में ही ठिकाने का फैसला
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“जब तुम में से कोई वफात पा जाता है, तो उस को सुबह व शाम उस का ठिकाना दिखाया जाता है, अगर जन्नती हो, तो जन्नत वालों का और अगर जहन्नमी है, तो जहन्नम वालों का ठिकाना दिखाया जाता है, फिर कहा जाता है: यह तेरा ठिकाना है यहाँ तक के अल्लाह तआला क़यामत के दिन तुझे दोबारा उठाए।”
जो ताक़त रखता है वो निकाह जरुरु करे
रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:
“ऐ नौजवानों की जमात! तुम में से जो नान व नफ़्का की ताकत रखता हो उसे ज़रूर शादी कर लेना चाहिए इस लिए के यह आँख और शर्मगाह की हिफ़ाज़त का ज़रिया है और जो इस की ताकत नहीं रखता, तो उसे चाहिए के रोजा रखे, इस लिए के यह उस की शहवत को कम करने में मोअस्सिर है।”
पानी न मिलने पर तयम्मुम करना
क़यामत से पहले माल का ज़ियादा होना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने इरशाद फर्माया :
“उस वक़्त तक क़यामत नहीं आएगी जब तक तुम्हारे अन्दर माल की इतनी कसरत न हो जाए के वह बहने लगे, यहाँ तक के माल वाले आदमी को इस बात पर रंज व ग़म होगा के उस से कौन सदक़ा क़बूल करेगा? वह एक आदमी को सद्के के लिये बुलाएगा तो वह कह देगा के मुझे इस की कोई जरूरत नहीं।”
बग़ैर वुजू के नमाज़ नहीं होती
नेअमत अता करने में अल्लाह तआला का कानून
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“अल्लाह जब किसी क़ौम को कोई नेअमत अता करता है तो उस नेअमत को उस वक्त तक नहीं बदलता जब तक वह लोग खुद अपनी हालत को न बदलें। यकीनन अल्लाह तआला बड़ा सुनने वाला और जानने वाला है।”
कुरआन को गौर से सुनना
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:
“जब कुरआन पढ़ा जाए, तो इसको पूरी तवज्जोह और गोर से सूना करो और खामोश रहा करो; ताकि तूम पर रहम किया जाए।”
आबे ज़म ज़म से इलाज
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जमीन पर सबसे बेहतरीन पानी आबे जम जम है, यह खाने वाले के लिये खाना और बीमार के लिये शिफा है।”
किसी इज्जत की हिफाज़त करने का सवाब
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“जिस ने पीठ पीछे अपने भाई की इज्जत की हिफाजत की। अल्लाह तआला अपनी जिम्मेदारी से उस को (जहन्नम की) आग से आज़ाद कर देगा।”
जकात न देने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“जकात का अदा न करने वाला क़यामत के दिन जहन्नम में जाएगा।”
इंसान को उस के माँ बाप के बारे में ताकीद
अल्लाह तआला कुरआन में फरमाता है:
“हमने इन्सान को उस के माँ बाप के बारे में ताकीद की हे के –
माँ-बाप के साथ अच्छा बर्ताव करे, (क्योंकि) उस की माँ ने तकलीफ पर तकलीफ उठा कर उस को पेट मैं रखा और दो साल में उस का दूध छुड़ाया है, ऐ इन्सान ! तू मेरा और अपने माँ-बाप का हक मान (इस लिये के) तुम सब को मेरी ही तरफ लौट कर आना है।”
कुफ्र व नाफर्मानी की सजा
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“जो शख्स मुंह मोड़ेगा और कुफ्र करेगा, तो अल्लाह तआला उस को बड़ा अज़ाब देगा फिर उन को हमारे पास आना है। फिर हमारे ज़िम्मे उन का हिसाब लेना है।”
नमाज़ में खामोश रहना (एक फर्ज अमल)
हज़रत जैद बिन अरकम (र.अ) फर्माते हैं :
(शुरू इस्लाम में) हम में से बाज़ अपने बाज़ में खड़े शख्स से नमाज की हालत में बात कर लिया करता था,
फिर यह आयत नाजिल हुई:
तर्जमाः अल्लाह के लिये खामोशी के साथ खड़े रहो (यानी बातें न करो)।
फिर हमें खामोश रहने का हुक्म दे दिया गया और बात करने से रोक दिया गया।
फायदा: नमाज़ में बातचीत न करना और खामोश रहना जरूरी है।
इस्लाम पर कायम रहना
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“ऐ ईमान वालो ! अल्लाह से डरते रहो जैसा के उस से डरने का हक्र है और मरते दम तक इस्लाम पर क़ाएम रहना।”
ज़रूरत से ज्यादा सामान शैतान के लिये
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हजरत जाबिर बिन अब्दुल्लाह (र.अ) से फ़र्माया :
“एक बिस्तर आदमी के लिये और एक उसकी बीवी के लिये और तीसरा मेहमान के लिये और चौथा शैतान के लिये होता है।”
मोहब्बत पाने का तरीका
एक शख्स ने रसूलुल्लाह (ﷺ) से अर्ज किया :
ऐ अल्लाह के रसूल ! मुझे कोई ऐसा अमल बंता दीजिये जिसको मैं करूं
ताके अल्लाह तआला और लोग मुझसे मुहब्बत करने लगें।
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“दुनिया से मुँह मोड़ लो, तो अल्लाह तुम से मुहब्बत करने लगेगा और जो लोगों के पास है। (यानी माल व दौलत) उससे बेरूखी इख्तियार कर लो, तो लोग तुमसे मुहब्बत करने लगेंगे।”
अपनी औलाद को कत्ल न करो
कुरआन अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“तुम फक्र व फाका की वजह से अपनी औलाद को कत्ल न करो, हम उन को भी रोजी देते हैं और तुम को भी।”
दोज़ख़ (जहन्नम) के मुस्तहिक
रसूलुल्लाह (ﷺ) फ़रमाते हैं के :
“क्या मैं तुम्हें जहन्नमी लोगों के बारे में न बताऊँ ?
हर सख्त मिजाज, बद अख्लाक और
तकब्बुर करने वाला ( जहन्नमी है )”
किसी मुसलमान को हंसता देखे तो यह दुआ पढ़े
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
जब किसी मुसलमान को हँसता हुआ देखे तो यह दुआ पढ़े:
तर्जमा: “अल्लाह आप को मुस्कुराता रखे।”
घमंड करने वाले का अंजाम
रसूलअल्लाह सलअल्लाहू अलैहि वसल्लम ने फरमाया
“क़यामत के दिन मुतक़ब्बीर (घमंड करने वाले) लोगों को मैदान ए महशर में छोटी छोटी चिटीयों की मानिंद लोगो की सूरतों में लाया जाएगा, उन्हें हर जगह ज़िल्लत ढांपे रहेगी, फिर वो जहन्नम के एक ऐसे क़ैद खाने की तरफ हांके जाएँगे जिसका नाम बुलस है, उसमे इन्हें भड़कती हुई आग उबालेगी, वो उसमे जहन्नमियो के ज़ख्मों के पीप पीएँगे जिस से तीनत अल-खबाल कहते हैं, यानी सड़ी हुई बदबूदार कीचड़”
हूर की खूबसूरती
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“अगर जन्नत की कोई औरत ज़मीन वालों की तरफ झाँक ले तो ज़मीन व आसमान के दर्मियान की तमाम चीज़ों को रौशन कर दे और उस को खुश्बू से भर दे और उसकी ओढ़नी दुनिया और तमाम चीज़ो से बेहतर है।”
माँ बाप पर लानत भेजने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“(शिर्क के बाद) सब से बड़ा गुनाह यह है के आदमी अपने माँ बाप पर लानत करे।”
अर्ज किया गया: ऐ अल्लाह के रसूल ! कोई अपने माँ बाप पर लानत कैसे भेज सकता है?
फर्माया : इस तरह के जब किसी के माँ बाप को बुरा भला कहेगा तो वह भी उसके माँ बाप को बुरा भला कहेगा।”
तहज्जुद की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
”जब कोई आदमी रात को अपनी बीवी को बेदार करता है और अगर उस पर नींद का ग़लबा हो, तो उसके चेहरे पर पानी छिडक कर उठाता है और फिर दोनों अपने घर में खड़े होकर रात का कुछ हिस्सा अल्लाह की याद में गुज़रते हैं तो उन दोनों की मग़फिरत कर दी जाती है।”
कयामत के दिन पहाड़ों का हाल
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है:
“लोग आपसे पहाड़ों के बारे में सवाल करते हैं। तो आप (ﷺ) फ़र्मा दीजिये के मेरा रब उन को बिल्कुल उड़ा देगा, फिर वह जमीन को हमवार मैदान कर देगा, तुम उस में कोई टेढ़ापन और बुलन्दी नहीं देखोगे।”
बिजली कड़कने और बादल गरजने के वक़्त की दुआ
अब्दुल्लाह बिन ज़ुबैर रज़ियल्लाहु अन्हुमा
जब बादल की गरज सुनते तो बातें छोड़ देते और यह दुआ पढ़ते।
(Subhanal-lathee yusabbihur-raAAdu bihamdih,
walmala-ikatu min kheefatih.)
तर्जुमा : पाक है वह ज़ात बादल की गरज जिसकी तस्बीह़ बयान करती है उसकी तारीफ के साथ और फ़रिश्ते भी उसके डर से उसकी तस्बीह़ पढ़ते हैं।
गुस्ल में पूरे बदन पर पानी बहाना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“(जिस्म) के हर बाल के नीचे नापाकी होती है,
लिहाजा तुम बालों को धोओ
और बदन को अच्छी तरह साफ करो।”
खुलासा: गुस्ल में पूरे बदन पर पानी पहुँचाना फर्ज है।
तहज्जुद की निय्यत कर के सोना
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जो आदमी अपने बिस्तर पर लेटते वक्त रात को उठ कर (तहज्जुद की) नमाज पढने की निय्यत करे फिर नींद के गलबे की वजह से सुबह हो जाए तो निय्यत के मुताबिक उसको नमाज का सवाब मिलेगा और (हुस्ने निय्यत की वजह से) उस का सोना अल्लाह की तरफ से उसके लिये सदक़ा है।”
अल्लाह तआला ने ज़ुल्म को हराम कर दिया है
रसूलुल्लाह (ﷺ) हदीसे कुदसी बयान करते हुए फर्माते हैं के अल्लाह तआला फर्माता है :
“ऐ मेरे बन्दो! मैंने अपने ऊपर जुल्म को हराम कर दिया है और उस को तुम्हारे दर्मियान भी हराम कर दिया है, लिहाजा तुम एक दूसरे पर जुल्म मत किया करो।”
क्या ईमान वालों के लिये अभी तक ऐसा वक़्त नहीं आया?
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“क्या ईमान वालों के लिये अभी तक ऐसा वक़्त नहीं आया, के उनके दिल अल्लाह की नसीहत और जो दीने हक़ नाज़िल हुआ है, उसके सामने झुक जाएँ। और वह उन लोगों की तरह न हो जाएँ जिन को उन से पहले किताब दी गई थी।”
यानी वह वक़्त आ चुका है के मुसलमानों के दिल कुरआन और अल्लाह की याद और उसके सच्चे दीन के सामने झुक जाएँ।”
गैरुल्लाह को माबूद बनाने का गुनाह
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है:
“उन लोगों ने अल्लाह तआला को छोड़ कर और माबूद बना लिये हैं, इस उम्मीद पर के उन की मदद कर दी जाएगी। वह उन की कुछ मदद कर ही नहीं सकते; बल्के वह उन लोगों के हक़ में फरीके मुखालिफ बन कर हाजिर किये जाएँगे।”
जन्नत का मौसम
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“उन (अहले ईमान) के सब्र के बदले में (उन्हें) जन्नत और रेशमी लिबास अता किया जाएगा, उन की यह हालत होगी के जन्नत में मसेहरियों पर तकिये लगाए बैठे होंगे, वहाँ उन्हें न गर्मी का एहसास होगा और न वह सर्दी महसूस करेंगे।”
जमात के लिये मस्जिद जाने की फ़ज़ीलत
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“जो शख्स बाजमात नमाज के लिये मस्जिद में जाए तो आते जाते हर कदम पर एक गुनाह मिटता है (हर कदम पर) और उसके लिये एक नेकी लिखी जाती है।”
मस्जिदे नबवी में चालीस नमाज़ों का सवाब
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जिस ने मेरी मस्जिद में चालीस नमाज़े अदा की और कोई नमाज़ कजा नहीं की, तो उस के लिए जहन्नम से बरात और अज़ाब से नजात लिख दी जाती है और निफ़ाक से बरी कर दिया जाता है।”
हलाल रोज़ी कमाओ
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“रोज़ी को दूर न समझो, क्योंकि कोई आदमी उस वक्त तक नहीं मर सकता जब तक के जो रोजी उस के मुक़द्दर में लिख दी गई है, वह उस को न मिल जाए।
लिहाजा रोजी हासिल करने में बेहतर तरीका इख्तियार करो, हलाल रोजी कमाओ और हराम को छोड़ दो।”
अच्छे अखलाक़ की फजीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“यक़ीनन मोमिन अपने अच्छे अखलाक के ज़रिए, नफ़्ल नमाजें पढ़ने वाले रोज़ेदार शख्स के मर्तबे को हासिल कर लेता है।”
हर महीने के तीन दिन रोजे रखने की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“हर महीने तीन दिन के रोजे रखना उम्र भर रोजा रखने जैसा है।“
अहले ईमान का बदला
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:
“उन (अहले ईमान और नेक अमल करने वालों) का बदला उन के रब के पास ऐसे हमेशा रहने वाले बाग़ होंगे, जिन के नीचे नहरें बह रही होंगी। यह लोग उन में हमेशा रहेंगे। अल्लाह तआला उन से राज़ी, और वह अल्लाह से खुश होंगे। और यह बदला हर उस शख्स के लिये है जो अपने रब से डरता है।”
नमाज़ दीन ऐ इस्लाम का सुतून है
एक आदमी ने आप (ﷺ) से अर्ज़ किया ऐ अल्लाह के रसूल ! इस्लाम में अल्लाह के नजदीक सबसे ज़ियादा पसन्दीदा अमल क्या है ? आप (ﷺ) ने फर्माया :
“नमाज़ को उस के वक्त पर अदा करना और जो शख्स नमाज़ को (जान बूझ कर) छोड़ दे उसका कोई दीन नहीं है, और नमाज़ दीन का सुतून है।”
तक़दीर पर ईमान लाना
हर चीज़ तकदीर से है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“हर चीज़ तकदीर से है, यहाँ तक के आदमी का नाकारा और नाकाबिल और काबिल व होशियार होना (भी तकदीर ही से है)।”
वजाहत: तकदीर कहते है के दुनिया में जो कुछ भी हो रहा है, अच्छा हो या बुरा वह सब अल्लाह तआला के हुक्म और उसकी मशिय्यत से है, हमारे ऊपर उसका यक़ीन रखना और उसपर ईमान लाना फर्ज है।
बुरी मौत से हिफाज़त का जरिया
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“सदका अल्लाह तआला के गुस्से को ठंडा करता है
और इन्सान को बुरी मौत से महफूज रखता है।”
जहन्नम की आग की सख्ती
जहन्नम की आग की सख्ती
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“दोजख को एक हजार साल तक दहकाया गया, तो वह लाल हो गई, फिर एक हजार साल तक दहकाया गया तो वह सफेद हो गई, फिर एक हजार साल तक दहकाया गया तो अब वह बहुत जियादा काली हो गई।”
औरतों को उनके मेहर खुश दिली से दिया करो
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“तुम औरतों को उनके मेहर खुश दिली से अदा कर दिया करो। हाँ अगर वह औरतें अपनी खुशी से उस महेर में से कुछ तुम्हारे लिए छोड़ दें तो उसको लज़ीज और खुशगवार समझ कर खा लिया करो।”
कब्र में नमाज की तमन्ना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जब मय्यित को क़ब्र में रख दिया जाता है, तो उस को सूरज गुरूब होता हुआ दिखाई देता है, तो वह बैठ कर आँखें मलने लगता है और कहता है, मुझे नमाज पढ़ने दो।”
हलीला से हर बीमारी का इलाज
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“हलील-ए-सियाह को पिया करो इस लिए के यह जन्नत के पौदों में से एक पौदा है, जिस का मजा कड़वा होता है मगर हर बीमारी के लिए शिफा है।”
नोट: हलील-ए-सियाह को हिन्दी में काली हड़ कहते हैं। जिसे सिल पर घिस कर पीते हैं, यह कब्ज को खत्म करती है और बादी बवासीर में मुफीद है।
नमाज़ में भूल चूक हो जाए तो सज्दा-ए-सहव करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जब तुम में से किसी को (नमाज़ में) भूल चूक हो जाए, तो सज्दा-ए-सहव कर ले।”
📕 मुस्लिम १२८३
फायदा : अगर नमाज़ में कोई वाजिब से छूट जाए या वाजिबात और फराइज़ में से किसी को अदा करने में देर हो जाए तो सज्द-ए-सब करना वाजिब है, इस के बगैर नमाज़ नहीं होती।
गुनाहों की मगफिरत का वजीफा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“ज़मीन पर जो शख्स भी “La ilaha illallah, Wallahu Akbar, La Hawla Wala Quwwata Illa Billahil Aliyyil Azeem” पढ़ता है, तो उस के तमाम गुनाह माफ हो जाते हैं ख्वाह समन्दर के झाग के बराबर हों।”
बाएँ हाथ से ना खाएं और ना पियें
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“तुम में से कोई अपने बाएँ हाथ से हरगिज़ न खाए और न बाएँ हाथ से पिये, क्योंकि शैतान अपने बाएँ हाथ से खाता पीता है।”
तलबीना से इलाज
हजरत आयशा (र.अ) बीमार के लिये तलबीना तय्यार करने का हुकम देती थीं
और फर्माती थीं के मैंने हुजूर (ﷺ) को फ़र्माते हुए सुना के:
“तलबीना बीमार के दिल को सुकून पहुँचाता है और रंज व ग़म को दूर करता है।”
फायदा: जौ (बरली) को कट कर दूध में पकाने के बाद मिठास के लिए इस में शहद डाला जाता है; इस को तलबीना कहते हैं।
सखावत इख़्तियार करना
रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“अल्लाह तआला सखी है और सखावत को पसन्द करता है।
अच्छे अख्लाक़ को पसन्द करता है
और बुरे अख्लाक को नापसन्द करता है।”
दुनिया के पीछे भागने का वबाल
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जो शख्स दुनिया के पीछे पड़ जाए, उस का अल्लाह तआला से कोई तअल्लुक़ नहीं और जो (दुनियावी मक्सद के लिये) अपने आप को खुशी से जलील करे, उस का हम से कोई तअल्लुक़ नहीं।”
वालिदैन के साथ अच्छा सुलूक करना
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“हम ने इन्सानों को अपने वालिदैन के साथ हुस्ने सुलूक ही करने का हुक्म दिया है।”
फायदा: वालिदैन की इताअत फ़रमाबरदारी करना, उनके साथ अच्छा सलूक करना और उनके सामने अदब के साथ पेश आना इन्तेहाई जरूरी है।
सोने के आदाब (सुन्नत)
रसूलुल्लाह (ﷺ) जब सोने का इरादा करते
तो अपने दाहने हाथ को दाहने गाल के नीचे रख कर सोते फिर तीन बार यह दुआ पढ़ते :
(Allahumma qinee ‘adhabaka yawma tab’athu ‘ibadaka)
तर्जुमा: (ऐ अल्लाह! मुझे (उस दिन) अपने अ़ज़ाब से बचा, जिस दिन तू अपने बन्दों को उठायेगा।
फज़्र और अस्त्र की नमाज़ पाबन्दी से अदा करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“हरगिज़ वह आदमी जहन्नम में दाखिल नहीं हो सकता, जो सूरज निकलने से पहले फज़्र की नमाज और सूरज गुरूब होने से पहले अस्र की नमाज़ पढ़े।”
सरगोशी करने का गुनाह
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“ऐसी सरगोशी (खुफिया मश्वरा) सिर्फ शैतान की तरफ से है जो के मुसलमानों को रंज में मुब्तला कर दे, और वह अल्लाह की मशिय्यत व इरादे के बगैर (मुसलमानों को) कुछ भी नुकसान नहीं पहुँचा सकता और मुसलमानों को अल्लाह ही पर भरोसा रखना चाहिये।”
दुनिया चाहने वालों के लिये नुकसान
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“जो शख्स आखिरत की खेती का तालिब हो, हम उसकी खेती में तरक्की देंगे और जो दुनिया की खेती का तालिब हो, (के सारी कोशिश उसी पर खर्च कर दे)। तो हम उस को दुनिया में से कुछ दे देंगे और ऐसे शख्स का आख़िरत में कोई हिस्सा नहीं।”