नमाज़ों का सही होना जरूरी है

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“कयामत के दिन सब से पहले नमाज़ का हिसाब होगा, अगर नमाज़ अच्छी हुई तो बाकी आमाल भी अच्छे होंगे और अगर नमाज खराब हुई तो बाकी आमाल भी खराब होंगे।”

📕 तर्गीब व तहींब: ५१६

ग़रीबों से मुहब्बत और उन के करीब रहने की वसिय्यत

हज़रत अबू जर (र.अ) फर्माते हैं के मुझे मेरे दोस्त रसूलुल्लाह (ﷺ) ने वसिय्यत फर्माई :

“मैं अपने से जियादा मालदार की तरफ न देखू और अपने से कम दर्जा वाले (कम मालदार) की तरफ देखू और ग़रीबों से मुहब्बत और उन के करीब रहने की वसिय्यत फर्माई और सिला रहमी करने की वसिय्यत फ़रमाई अगरचे वह तुमसे पीठ फेरे।”

📕 सहीह इब्ने हिम्बान : ४५०, अन अबी जर (र.अ)

कयामत के दिन के सवालात

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

“इन्सान के क़दम कयामत के दिन अल्लाह के सामने से उस वक़्त तक नहीं हटेंगे
जब तक उस से पाँच चीज़ो के बारे में सवाल न कर लिया जाए।

(1) उसकी उम्र के बारे में कि उसको कहाँ खत्म किया।
(2) उसकी जवानी के बारे में के उसको कहाँ ख़र्च किया।
(3) माल कहाँ से कमाया
(4) कहाँ खर्च किया।
(5) इल्म के मुताबिक़ क्या-क्या अमल किया।

📕 तिर्मिजी:2416, अन अब्दुल्लाह बिन मसऊद (र.अ)

दुनिया की मुहब्बत बीमारी है

हज़रत अबू दर्दा (र.अ) फ़र्माते थे के

क्या मैं तुम को तुम्हारी बीमारी और दवा न बताऊं ?
तुम्हारी बीमारी दुनिया की मुहब्बत है और
तुम्हारी दवा अल्लाह तआला का जिक्र है।

📕 शोअबुल ईमान: १०२४४

माल व दौलत आज़माइश की चीजें हैं

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“(जब अल्लाह तआला) इन्सान को आजमाता है तो उस को (जाहिरन माल व दौलत दे कर) उसका इकराम करता है, तो वह (बतौरे फन) कहने लगता है, के मेरे रब ने मेरी कद्र बढ़ा दी।
(हालांके यह उसकी तरफ से इसकी आज़माइश का ज़रिया है)।”

📕 सूरह फज्र : १५

हज़रत मिकाईल की हालत

आप (ﷺ) ने हज़रत जिब्रईल से दर्याप्त फ़रमाया :

“क्या बात है ? मैं ने मिकाईल (फ़रिश्ते) को हंसते हुए नहीं देखा?“
अर्ज़ किया: जब से दोज़ख की पैदाइश हुई है, मिकाईल नहीं हंसे।”

📕 मुस्नद अहमद : १२९३०

रसूलल्लाह (ﷺ) की नाफ़रमानी करने का गुनाह

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“मेरे सब उम्मती जन्नत में जाएंगे मगर जिसने इन्कार कर दिया (वह जन्नत में दाखिल न होगा। ) अर्ज़ किया गया : या रसूलल्लाह (ﷺ) इन्कार कौन करेगा? फ़रमाया : जिसने मेरी इताअत की जन्नत में दाखिल हो गया और जिसने मेरी फ़रमानी की तो उसने इन्कार किया।

📕 बुखारी : ७२८० अन अबी हुरैरह (र.अ)

नींद न आने का इलाज

हजरत जैद बिन साबित (र.अ) ने हुजूर (ﷺ) से नींद न आने की शिकायत की,
तो आप (ﷺ) ने फ़र्माया: यह पढ़ा करो:

तर्जमा : ऐ अल्लाह ! सितारे छुप गए और आँखें पुर सुकून हो गईं, तूह मेशा जिन्दा और कायम रहने वाला है, ऐ हमेशा जिन्दा और कायम रहने वाले! मेरी आंख को सुला दे और मेरी रात को पुर सुकून बना।

📕 मुअजमेल कबीर लित तबरानी: ४६८३

हर शख्स मौत के बाद अफसोस करेगा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

हर शख्स मौत के बाद अफसोस करेगा, सहाबा ने अर्ज किया: या रसूलअल्लाह (ﷺ) ! किस बात का अफसोस करेगा? आप (ﷺ) ने फ़र्माया : अगर नेक है, तो जियादा नेकी न करने का अफसोस करेगा और अगर गुनहगार है तो गुनाह से न रूकने पर अफसोस करेगा।

📕 तिर्मिज़ी : २४०३

माल की मुहब्बत खुदा की नाशुक्री का सबब है

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“इन्सान अपने रब का बड़ा ही नाशुक्रा है, हालाँ के उसको भी इस की खबर है (और वह ऐसा मामला इस लिये करता है) के उस को माल की मुहब्बत ज़ियादा है।”

📕 सूरह आदियात: ६ ता ८

बीवियों के साथ अच्छा सुलूक करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“ईमान वालों में ज़ियादा मुकम्मल ईमान वाले वह लोग हैं, जो अखलाक में ज्यादा अच्छे हैं और तुम में सबसे अच्छे वह लोग हैं जो अपनी बीवियों के साथ अच्छा बरताव करते हैं।”

📕 तिर्मिज़ी: ११६२

गुर्दे की बीमारियों का इलाज

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया –

“पहलू के दर्द का सबब गुर्दे की नस है, जब वह हरकत करती है, तो इन्सान को तकलीफ होती है लिहाज़ा उसका इलाज गर्म पानी और शहद से करो।”

📕 मुस्तदरक हाकिम : ८२३७, अन आयशा रज़ि०

फाएदा: गुर्दे में जब पथरी वगैरह हो जाती है, तो कूल्हों में दर्द होता है, अकसर इसी दर्द ही की वजह से बीमारी का पता चलता है, उसका इलाज आप ने यह बतलाया के गर्म पानी और शहद मिला कर पियो।

मोमिन को नाहक़ क़त्ल करने की सज़ा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“हर गुनाह के बारे में अल्लाह से उम्मीद है के वह माफ कर देगा, सिवाए उस आदमी के जो अल्लाह तआला के साथ किसी को शरीक करने की हालत में मरा हो या उस ने किसी मोमिन को जान बूझ कर क़त्ल किया हो।”

📕 अबू दाऊद: ४२७०

सिर्फ दुनिया मांगने वाले को आख़िरत में कुछ नहीं मिलेगा

क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है:

“लोगों में से बाज़ ऐसे भी हैं जो कहते हैं, के ऐ हमारे परवरदिगार ! हम को (जो कुछ देना हो) दुनिया में ही दे दीजिये (तो उन को जो कुछ मिलना होगा वह दुनिया ही में मिल जाएगा) और ऐसे शख़्स को आख़िरत में कुछ न मिलेगा।”

📕 सूरह बकरह: 200

मस्जिद में दाखिल होने के लिए पाक होना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“किसी हाइजा औरत और किसी जनबी : यानी नापाक आदमी के लिए मस्जिद में दाखिल होने की बिल्कुल इजाजत नहीं है।”

📕 अबू दाऊद : २३२, अन आयशा (र.अ)

वजाहत: मस्जिद में दाखिल होने के लिये हैज व निफ़ास और जनाबत से पाक होना जरुरी है।

हर मर्ज़ का इलाज मौजूद है

हज़रत उसामा (र.अ) बयान करते है के,
मैं हुज़ूर (ﷺ) की ख़िदमत में मौजूद था के,

कुछ देहात के रहने वाले आए और आप (ﷺ) से अर्ज़ किया : या रसूलल्लाह ! क्या हम दवा करें? तो रसूलुल्लाह ने फ़रमाया: ”अल्लाह के बन्दो! ज़रूर दवा किया करो: इसलिये के कोई बीमारी ऐसी नहीं है जिसकी दवा अल्लाह ने न पैदा की हो, सिवाए एक बीमारी के और वह बुढ़ापा है।

📕 मुस्नदे अहमद: 17986 

तहज्जुद की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

”जब कोई आदमी रात को अपनी बीवी को बेदार करता है और अगर उस पर नींद का ग़लबा हो, तो उसके चेहरे पर पानी छिडक कर उठाता है और फिर दोनों अपने घर में खड़े होकर रात का कुछ हिस्सा अल्लाह की याद में गुज़रते हैं तो उन दोनों की मग़फिरत कर दी जाती है।”

📕 तबरानी कबीर:3370, अन अबी मालिक (र.अ)

सजद-ए-तिलावत अदा करना

हज़रत इब्ने उमर (र.अ) फ़र्माते हैं :

“हुजूर (ﷺ) हमारे दर्मियान सजदे वाली सूरह की तिलावत फ़र्माते, तो सजदा करते और हम लोग भी सजदा करते, हत्ता के हम में से बाज़ आदमी को अपनी पेशानी रखने की जगह नहीं मिलती।”

📕 बुखारी: १७५, अन इब्ने उमर (र.अ)

वजाहत: सजदे वाली आयत तिलावत करने के बाद, तिलावत करने वाले और सुनने वाले दोनों पर सजदा करना वाजिब है।

कीसी की तकलीफ दूर करने का सवाब: हदीस

किसी की तकलीफ दूर करने का सवाब: हदीस

रसूलअल्लाह (ﷺ) फरमाते है:

“जिस शख्स ने किसी मुसलमान की दुनियावी मुश्किलात (तकलीफ) में से कोई मुश्किल दूर की तो अल्लाह तआला उस की क़यामत की मुश्किलात में से कोई मुश्किल दूर कर देगा”

📕 मुस्लिम, जिल्द 3, पेज 493

ऐ ईमान वालो तुम शैतान के नक्शे कदम पर न चलो

कुरआन में अल्लाह तआला फर्रमाता है :

“ऐ ईमान वालो तुम शैतान के नक्शे कदम पर न चलो और जो शैतान के नक्शे कदम पर चलेगा तो शैतान तो बेहयाई और बुरी बातों का हुक्म करता है।”

📕 सूरह नूर: २१

रुकू व सज्दा अच्छी तरह न करने पर वईद

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

बदतरीन चोरी करने वाला शख्स वह है जो नमाज़ में से भी चोरी कर ले,
सहाबा ने अर्ज किया : या रसूलल्लाह (ﷺ) ! नमाज़ में से कोई किस तरह चोरी करेगा ?
फर्माया : वह रुकू और सज्दा अच्छी तरह से नहीं करता है।”

📕 इब्ने खुजैमा : ६४३

गुनाह से न रोकने का वबाल

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जो आदमी ऐसे लोगों के दर्मियान रह कर गुनाह के काम करता हो के वह उस को रोकने पर कादिर हों, मगर फिर भी न रोकें तो अल्लाह तआला मरने से पहले उन को भी उस गुनाह के अज़ाब में मुब्तला कर देगा।”

📕 अबू दाऊद: ४३३९-हसन

मुनक्का से पट्टे वगैरह का इलाज

हजरत अबू हिन्ददारी (र.अ) कहते हैं के –

रसूलुल्लाह (ﷺ) की खिदमत में मुनक्का का तोहफा एक बन्द थाल में पेश किया गया। आप (ﷺ) ने उसे खोल कर इर्शाद फर्माया: 

“बिस्मिल्लाह” कह कर खाओ! मुनक्का बेहतरीन खाना है जो पेटों को मजबूत करता है, पुराने दर्द को खत्म करता है, गुस्से को ठंडा करता है और मुंह की बदबू को जाइल करता है, बलगम को निकालता है और रंग को निखारता है।”

📕 तारीखे दिमश्क लि इब्ने असाकिर : ६०/२१

मजलिस में जाये तो सलाम करे

मजलिस में जाये तो सलाम करे

۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जब तुम में से कोई आदमी मजलिस में जाए, तो सलाम करे और फिर जी चाहे, तो मजलिस में शरीक हो जाए, और फिर जाते वक्त भी सलाम कर के जाए।”

📕 तिर्मिज़ी, हदीस २७०६, अन अबी हुरैराह (र.अ)

हराम चीज़ों का बयान

क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है –

“तुम पर मरा हुआ जानवर, खून और खिंजीर का गोश्त हराम कर दिया गया है और वह जानवर भी जिस पर (ज़िब्हा करते वक्त) अल्लाह के अलावा किसी दूसरे का नाम लिया गया हो।”

📕 सूरह मायदा 5:3

हमेशा सच बोलो क्योंकि सच नेकी का रास्ता बताता है

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“हमेशा सच बोलो क्योंकि सच नेकी का रास्ता बताता है और सच और नेकी जन्नत में दाखिल करने वाले हैं। तुम झूट से बचो क्योंकि वह गुनाह का रास्ता बताता है और झूट और गुनाह जहन्नम में दाखिल करने वाले हैं।”

📕 तबरानी कबीर :१६२५१, अन मुआविया बिन अबी सुफियान (र.अ)

नमाज के बाद दूसरी नमाज़ का इंतज़ार करने की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

“तकलीफ और नागवारी के बावजूद पूरी तरह मुकम्मल वुजू करना, मस्जिदों की तरफ जियादा कदम बढ़ाना और एक नमाज के बाद दूसरी नमाज़ का इंतज़ार करना, यह आमाल गुनाहों से (आदमी को) बिलकुल पाक साफ कर देते हैं।”

📕 मुस्तदरक : ४५६

सरगोशी करने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“ऐसी सरगोशी (खुफिया मश्वरा) सिर्फ शैतान की तरफ से है जो के मुसलमानों को रंज में मुब्तला कर दे, और वह अल्लाह की मशिय्यत व इरादे के बगैर (मुसलमानों को) कुछ भी नुकसान नहीं पहुँचा सकता और मुसलमानों को अल्लाह ही पर भरोसा रखना चाहिये।”

📕 सूरह मुजादला: १०

अपने मातहतों पर तोहमत लगाने गुनाह

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जिस ने अपने मातहत पर किसी ऐसी बात की तोहमत लगाई जिस से वह बरी है तो उस पर क़यामत के दिन हद जारी की जाएगी। मगर यह के वह कही हुई बात उस में मौजूद हो।”

📕 बुखारी : ६८५८

गुस्ल में पूरे बदन पर पानी बहाना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“(जिस्म) के हर बाल के नीचे नापाकी होती है,
लिहाजा तुम बालों को धोओ
और बदन को अच्छी तरह साफ करो।”

📕 तिर्मिज़ी: १०६

खुलासा: गुस्ल में पूरे बदन पर पानी पहुँचाना फर्ज है।

रोज़े आख़िरत (क़यामत के दिन) हर अमल का बदला मिल जायेगा

क़ुरआन में अल्लाह तआला फ़रमाता है :

“जो शख्स क़यामत के दिन नेकी लेकर हाज़िर होगा, तो उस को उस नेकी से बेहतर बदला मिलेगा और जो शख़्स बदी ले कर हाज़िर होगा, तो ऐसे बुरे आमाल वालों को सिर्फ उनके कामों की सज़ा दी जाएगी।” 

📕 सूरह क़सस: 84

वसिय्यत के लिए दो इंसाफ पसंद लोग गवाह हो

कूरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“ऐ ईमान वालो ! जब तुम में से किसी को मौत आने लगे वसीय्यत के वक्त शहादत के लिये तूम (मुसलमानों) में से दो इन्साफ पसन्द आदमी गवाह होने चाहिये या फिर तुम्हारे अलावा दूसरी कौम के लोग गवाह होने चाहिये। जैसे तुम सफर में गए हो, फिर तुम्हें मौत का हादसा आ जाए।”

📕 सूरह मायेदा: १०६

जन्नतियों का लिबास

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“उन जन्नतियों के बदन पर बारीक और मोटे रेशम के कपड़े होंगे और उनको चाँदी के कंगन पहनाए जाएँगे और उनका रब उनको पाकीज़ा शराब पिलाएगा।
(अहले जन्नत से कहा जाएगा के) यह सब नेअमतें तुम्हारे आमाल का बदला हैं और तुम्हारी दुनियावी कोशिश कबूल हो गई।”

📕 सूरह दहर : २१ ता २२

अक्लमंद लोग क़ुरआन से नसीहत हासिल करे

अक्लमंद लोग क़ुरआन से नसीहत हासिल करे

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:

“यह ( कुरआन ) एक बाबरकत किताब है,
जिस को हम ने आप पर इस लिये नाजिल किया है के
लोग उस की आयतों में गौर व फिक्र करें
और अक्लमंद लोग उस से नसीहत हासिल करे।

📕 सूरह साद : २९

परहेज़गारों की नेअमत

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:

“(क़यामत के दिन) परहेज़गार लोग (जन्नत) के सायों में और चशमों में और पसन्दीदा मेवों में होंगे (उन से कहा जाएगा) अपने (नेक) आमाल के बदले में खूब मजे से खाओ पियो, हम नेक लोगों को ऐसा ही बदला दिया करते हैं। (और) उस दिन झुटलाने वालों के लिये बड़ी ख़राबी होगी।”

📕 सूरह मुरसलात: ४१ ता ४५

अल्लाह के वास्ते मुहब्बत करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : 

“अल्लाह तआला फर्माता है, जो लोग मेरी अजमत व जलाल की वजह से आपस में मुहब्बत रखते हैं (क़यामत के दिन) उन के लिये ऐसे नूर के मिम्बर होंगे, जिन पर अम्बिया और शोहदा भी रश्क करेंगे।”

📕 तिर्मिजी: २३९०, अन मआज बिन जबल (र.अ)

ग़लत हदीस बयान करने की सज़ा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“मेरी हदीस को बयान करने में एहतियात करो और वही बयान करो जिस का तुम्हें यक़ीनी इल्म हो, जो शख्स जान बूझ कर मेरी तरफ से कोई गलत बात बयान करे, वह अपना ठिकाना जहन्नम में बना ले।”

📕 तिर्मिज़ी: २९५१

कब्र में मिट्टी डालते वक़्त की दुआ

जब रसूलुल्लाह (ﷺ) ने उम्मे कुलसूम को कब्र में रखा तो पढ़ा:

“मिन्हा खलकना कुम, व फिहा नुईदुकुम, व मिन्हा नुखरिजुकुम तारतन ऊखरा”

तर्जमा: इस मिट्टी से हमने तुम को पैदा किया और इसी में हम तुम को लौटाएँगे और इसीसे हम तुमको दोबारा उठाएंगे।

📕 मुस्नदे अहमद: २१६८३, अन अबी उमामा (र.अ)

अल्लाह और उस के रसूल का हुक्म मानो

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“तुम अल्लाह तआला और उस के रसूल का हुक्म मानो
और हुक्म की खिलाफ वरजी से बचते रहो,
फिर अगर तुम मुँह मोड़ोगे (और नहीं मानोगे) तो
यकीन जानो के हमारे रसूल के जिम्मे तो
सिर्फ अहकाम को साफ साफ पहुँचा देना है।”

📕 सूरह मायदा ९२

तीन आदमी अल्लाह की जमानत में है

रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:

तीन आदमी की अल्लाह ने जमानत ले रखी है, अगर वह जिन्दा रहें तो बक्रद्रे जरूरत रोजी मिलती है और अगर वफात पा जाएं तो अल्लाह तआला जन्नत में दाखिल फ़र्माता है (एक वह) जो घर में दाखिल होते वक़्त सलाम करे तो अल्लाह तआला उस का जामिन है, (दूसरा वह) जो मस्जिद गया, तो अल्लाह तआला उसका जामिन है, (तीसरा) राहे ख़ुदा में निकलने वाले का अल्लाह तआला जामिन है।”

📕 सही इब्ने हिब्वान : ५००

लोगों की कंजूसी

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“सुन लो! तुम ऐसे हो के जब तुम को अल्लाह की राह में खर्च करने के लिये बुलाया जाता है,
तो तुम में से बाज लोग बुख्ल करते हैं
और जो कंजूसी करता है, तो हकीकत में अपने ही लिये कंजूसी करता है
और अल्लाह तआला ग़नी है (किसी का मोहताज नहीं)

और तुम सब उस के मोहताज हो।”

📕 सूरह मुहम्मद : ३८

मुसलमान को कपड़ा पहनाने की फ़ज़ीलत

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जिसने किसी मुसलमान को कपड़ा पहनाया, जब तक उस के बदन में एक धागा भी रहेगा, वह उस वक्त तक अल्लाह की हिफाजत रहेगा।”

📕 मुस्तदरक हाकिम : ७४२२

रुख्सत के वक़्त मुसाफा करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) जब किसी को रुख्सत फर्माते, तो उस का हाथ अपने हाथ में ले लेते और उस वक़्त तक (उसका हाथ) न छोड़ते, जब तक के वह आप के हाथ को खुद न छोड़ दे।

📕 तिर्मिजी : ३४४२, अन इब्ने उमर (र.अ)

अल्लाह तआला अपने बंदे से क्या कहता है?

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“अल्लाह तआला फ़र्माता है : ऐ इब्ने आदम ! तू मेरी इबादत के लिए फारिग हो जा, मैं तेरे सीने को मालदारी से भर दूंगा और तेरी मोहताजगी को खत्म कर दूंगा और अगर ऐसा नहीं करेगा, तो मैं तेरे सीने को मशगूली से भर दूंगा और तेरी मोहताजगी को बंद नहीं करूंगा।”

📕 तिर्मिज़ी : २४६६

दुनिया व आखिरत में आफियत की दुआ

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

बन्दे की अपने रब से माँगी जाने वाली दुआओं में सबसे अफजल यह है:

तर्जमा: ऐ अल्लाह! मैं दुनिया और आखिरत में तुझसे आफियत व भलाई का सवाल करता हूँ।

📕 इब्ने माजा: ३८५१

जन्नत का खेमा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जन्नत में मोती का खोलदार खेमा होगा, जिस की चौड़ाई साठ मील ही होगी। उस के हर कोने में जन्नतियों की बीवियाँ होंगी, जो एक दूसरी को नहीं देख पाएँगी और उनके पास उनके शौहर आते जाते रहेंगे।”

📕 सहीह बुखारी: ४८७९

मुसाफिर को पानी न देने का अंजाम

मुसाफिर को पानी न देने का अंजाम

अबू हुरैरा (रज़ि) से रिवायत है की, रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फरमाया –

3 तरह के लोग वो होंगे जिनकी तरफ कयामत के दिन अल्लाह तआला नज़र (नज़र-ए-रहमत) भी नहीं उठाएगा और ना उन्हें पाक करेगा, बल्कि उनके लिए दर्दनाक अज़ाब होगा।

एक वो शख़्स जिसके पास रास्ते में ज़रूरत से ज़्यादा पानी हो और उसने किसी मुसाफ़िर को उसके इस्तमाल से रोक दिया।

दूसरा वो शख्स जो किसी हाकीम से बैत सिर्फ दुनिया के लिए करे, कि अगर वो हाकीम उसे कुछ दे तो वो राजी रहे वरना खफा हो जाए।

तीसरा वो शख्स जो अपना (बेचने का तिजारती) सामान असर के बाद लेकर खड़ा हुआ और कहने लगा कि उस अल्लाह की कसम जिसके सिवा कोई सच्चा माबूद नहीं, मुझे इस सामान की कीमत इतनी मिल रही थी उस पर एक शख्श ने उसे सही समझा (और उस सामान को खरीद लिया) (यानी झूठ को इख्तियार करके तिजारत करनेवाला)।

📕 सहीह बुखारी, हदीस 2358

विरासत में लड़की का हिस्सा

विरासत में लड़की का हिस्सा

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“अल्लाह तआला तुमको तुम्हारी औलाद के हक में हुक्म देता है के 1 लड़के का हिस्सा 2 लड़कियों के हिस्से के बराबर है।”

📕 सूरह निसा: ११

खुलासा: वालिदैन की विरासत में लड़के के 2 हिस्से और लडकी का 1 हिस्सा होता है, जिस का अदा करना फर्ज है।

ज़िना की कसरत और नाप तौल में कमी करने का वबाल

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जिस कौम में ज़िना आम होता है, उस में ताऊन और ऐसी बीमारियां फ़ैल जाती हैं जो पहले नहीं थीं और जो लोग नाप तौल में कमी करते हैं, तो वह लोग कहत साली, परेशानियों और बादशाह (हुकुमरानों) के जुल्म के शिकार हो जाते हैं।”

📕 इब्ने माजा: ४०१९

किसी गुनाह को छोटा और मामूली न समझो

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“ऐ आयशा खुद को उन गुनाहों से भी बचाने की कोशिश करो जिन का छोटा और मामूली समझा जाता है, क्यों कि इस पर भी अल्लाह की तरफ से फरिश्ता मुकर्रर है जो उस को लिखता रहता है।”

📕 इब्ने माजाह ४२५३ अन आयशा (र.अ)

अगर कोई फासिक खबर लाये तो तहक़ीक़ किया करो

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :

“ऐ ईमान वालो! अगर कोई फासिक तुम्हारे पास कोई खबर, लेकर आए, तो उस की तहक़ीक़ कर लिया करो, कहीं ऐसा न हो, के तुम किसी कौम को अपनी ला इल्मी से कोई नुकसान पहुँचादो, फिर तुम को अपने किये पर पछताना पड़े।”

📕 सूरह हुजरात: ६

क़यामत में झूटे खुदाओं की बेबसी

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :

जिसको तुम अल्लाह के सिवा पुकारते हो, वह खजूर की गुठली के एक छिलके का भी इख्तियार नहीं रखते, अगर तुम उनको पुकारो भी, तो वह तुम्हारी पुकार सुन भी नहीं सकते और अगर (बिलफर्ज़) सुन भी लें तो तुम्हारी ज़रूरत पूरी न कर सकेंगे और कयामत के दिन तुम्हारे शिर्क की मुखालफत व इन्कार करेंगे।”

📕 सूरह फातिर १३ ता १४

आखिरत दुनिया से बेहतर है

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“तुम दुनियावी जिंदगी को मुकद्दम रखते हो, हालांके ! आखिरत दुनिया से बेहतर है और बाकी रहने वाली है (इसलिए आखिरत ही की तय्यारी करो)।”

📕 सूरह आला : १६ ता १७

हर एक को नाम-ए-आमाल के साथ बुलाया जाएगा

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“वह दिन याद करने के काबिल है, जिस दिन तमाम आदमियों को उनके नाम-ए-आमाल के साथ मैदाने हश्र में बुलाएंगे, फिर जिनका नाम-ए-आमाल उन के दाहिने हाथ में दिया जाएगा, तो वह (खुश हो कर) अपने नाम-ए-आमाल को पढ़ने लगेंगे उन पर एक धागे के बराबर भी जुल्म नहीं किया जाएगा।”

📕 सूर: बनी इसराईल: ७१

नमाज़ छोड़ने का गुनाह

रसलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:

“जो शख्स जान बूझकर नमाज़ छोड़ देता है, अल्लाह तआला उसके सारे आमाल बेकार कर देता है और अल्लाह का ज़िम्मा उस से बरी हो जाता है जब तक के वह अल्लाह से तौबा न कर ले।”

📕 तरगीव वतरहीब: ७८३

ईमान को झुटलाने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :

“जिस शख्स ने बुखल किया और लापरवाही करता रहा और भली बात (ईमान) को झुटलाया, तो हम उसके लिये तकलीफ व मुसीबत का रास्ता आसान कर देंगे (यानी जहन्नम में पहुँचा देंगे)।”

📕 सूर-ए-लैल: ८ ता १०

जमात से नमाज़ अदा करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:

“जिस ने तक्बीरे ऊला के साथ चालीस दिन तक अल्लाह की रज़ा के लिए जमात के साथ नमाज़ पढी उस के लिये दोजख से नजात और निफाक से बरात के दो परवाने लिख दिये जाते हैं।”

📕 तिर्मिज़ी: २४१

थोड़ी सी रोज़ी पर रहने की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जो शख्स अल्लाह तआला से थोड़ी रोजी पर राजी रहे, तो अल्लाह तआला भी उसकी तरफ से थोड़े से अमल पर राजी हो जाता हैं।”

📕 बैहकी शोअबुल ईमान : ४०९

दीनदार औरत से निकाह करो

हुस्न, खानदान और मालदारी की वजह से निकाह न करो

एक और रिवायत में रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“तुम औरतों से (सिर्फ) उन के हुस्न व जमाल की वजह से शादी न करो क्योकि हुस्न व जमाल खत्म होने वाला है और न उनकी मालदारी की वजह से शादी करो, मुमकिन है यह मालदारी उनको नाफ़रमानी में मुब्तला कर दे, अलबत्ता उनसे दीनदारी की बूनियाद पर निकाह करो।”

📕 इब्ने माजा: १८५९


दीनदारी की वजह से औरत से निकाह करो

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

“औरत से चार चीजों की वजह से निकाह किया जाता है। उसके माल, हसब नसब, खूबसूरती और दीनदारी की वजह से। तुम्हारा भला हो! तुम दीनदार औरत को पसन्द कर के कामयाब हो जाओ।”

📕 बुखारी : ५०९०, अन अबी हुरैरह (र.अ)

काफ़िर नाकाम होंगे

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“बेशक जो लोग काफिर हो गए और (दूसरों को भी) अल्लाह के रास्ते से रोका और हिदायत ज़ाहिर होने के बाद अल्लाह के रसूल की मुखालफत की, तो यह लोग अल्लाह (के दीन) को ज़रा भी नुकसान नहीं पहुंचा सकेंगे और अल्लाह तआला उन के तमाम आमाल को बरबाद कर देगा।”

📕 सूरह मुहम्मद : ३२

नमाज़ में इमाम की पैरवी करना

हज़रत अबू हुरैरह (र.अ) फ़र्माते हैं के
रसूलुल्लाह (ﷺ) हमें सिखाते थे के

“(नमाज़ में) इमाम से पहले रुक्न अदा न किया करो।”

📕 मुस्लिम : १३२

फायदा : अगर इमाम के पीछे नमाज पढ़ रहा हो, तो तमाम अरकान को इमाम के पीछे अदा करना चाहिये, इमाम से आगे बढ़ना जाइज नहीं है।

हिजाब क्या है?

हिजाब क्या है?

हिजाब” को लेकर आजकल एक गलतफहमी पाई जा रही है। लोग इसे एक कपड़ा समझ रहे हैं जो बुर्के के अलावा सिर पर बांधा जाता है। हालांकि ये ईजाद कपड़ा बेचने वालों ने की है।

“हिजाब के असल मायने रुकावट और आड़ के हैं।”

औरत अपने जिस्म और हम की नुमाइश को गैर मर्दो से छिपाने, रोकने के लिए जो तदबीर भी करती है इस्तेलाही(पारिभाषिक) तौर पर वो हिजाब है फिर चाहे वो चादर हो, बुर्का और नकाब हो, दरो दीवार हो, नज़रों का फेरना हो वगैराह।

मर्द भी औरत को देखकर अपनी नज़रें फेर लेता है तो यह हिजाब है! बुरी चीजो को देखना सुनना और बोलने से परहेज़ भी हिजाब है! अक्सर बोलचाल में बुरी बातों से बचने के लिए कहा जाता है “कुछ तो हिजाब करो।”

📕 idkbhopal (9617628145)

अल्लाह तआला को तुम्हारे सब आमाल की खबर है

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“ऐ ईमान वालो ! अल्लाह से डरते रहो
और हर शख्स को इस बात पर गौर करना चाहिये के
उस ने कल (आखिरत) के लिये क्या आगे भेजा है
और अल्लाह से डरते रहो
और अल्लाह तआला को तुम्हारे सब आमाल की खबर है।”

📕 सूरह हश्र १८

मौसमी फलों के फवाइद

कुरान में अल्लाह तआला फ़र्माता है

“जब वह दरख्त फ़ल ले आएँ तो उन्हें खाओ।”

📕 सूरह अनाम: १४१

फायदा: मौसमी फलों का इस्तेमाल सेहत के लिए बेहद मुफीद है और बहुत सी बीमारियों से हिफ़ाज़त का ज़रिया है, लिहाज़ा अगर गुंजाइश हो तो ज़रूर इस्तेमाल करना चाहिए।

दाढ़ी रखने की अहमियत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“मूंछों को कतरवाओ और दाढ़ी को बढ़ाओ।”

📕 बुखारी: ५८९३

वजाहत: दाढी रखना शरीअते इस्लाम में वाजिब और इस्लामी शिआर में से है इस लिये तमाम मुसलमानों के लिये उस पर अमल करना इन्तेहाई जरूरी है।

इजार या पैन्ट टखने से नीचे पहनने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जो शख्स तकब्बुर के तौर पर अपने इज़ार को टखने से नीचे लटकाएगा, अल्लाह तआला क़यामत के दिन उसकी तरफ रहमत की नजर से नहीं देखेगा।”

📕 बुखारी: ५७८८

मुतअल्लिक़ीन की खबरगीरी करना एक बेहतरीन सुन्नत

हजरत अनस बिन मालिक (र.अ) बयान करते हैं के :

“अहले ताल्लुक में से कोई शख्स अगर तीन दिन तक न आता (या उस से मुलाक़ात न होती) तो आप (ﷺ) उसके मुतअल्लिक़ मालूमात फरमाते, अगर वह बाहर (सफर में) होता तो उस के लिये दुआ करते, अगर यह मौजूद होता तो आप उससे मुलाकात फ़रमाते, अगर बीमार होता तो उसकी इयादत फरमाते।

📕 मुस्नदे अबी याला : ३३३५

बीमार पुरसी के वक़्त की दुआ

रसूलुल्लाह (ﷺ) जब किसी बीमार की इयादत के लिये जाते या आप (ﷺ) की खिदमत में बीमार को हाज़िर किया जाता तो आप यह दुआ पढ़ते:

 اَللَّهُمَّ رَبَّ النَّاسِ مُذْهِبَ الْبَاسِ اشْفِ أَنْتَ الشَّافِيْ لَا شَافِيَ إِلَّا أَنْتَ شِفَاءً لَا يُغَادِرُ سَقَمًا

ALLAHumma Rabbannasi Muzhibal-baasi-shfee Antashhaafi La Shaafi Illa Anta Shifa-an La Yughaadiru Saqama

तर्जमा : “ऐ अल्लाह! लोगों के रब्ब! बीमारी को दूर करने वाले! शिफ़ा ‘अता फरमाए| तू ही शिफ़ा देने वाला है। तेरे सिवा कोई शिफ़ा देने वाला नहीं। ऐसी शिफ़ा ‘अता फरमा के जिसके बाद बीमारी बाक़ी न बचे।”

📕 बुखारी: ५६७५, अन आयशा (र.अ)

कलोंजी में हर बीमारी का इलाज है

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“तुम इस कलोंजी को इस्तेमाल करो, क्यों कि इस में मौत के अलावा हर बीमारी की शिफ़ा मौजूद है।”

📕 बुखारी: ५६८७,अन आयशा (र.अ)

फायदा: अल्लामा इब्ने कय्यिम फर्माते हैं : इस के इस्तेमाल से उफारा (पेट फूलना) खत्म हो जाता है, बलगमी बुखार के लिए नफ़ा बख्श है, अगर इस को पीस कर शहद के साथ माजून बना लिया जाए और गर्म पानी के साथ इस्तेमाल किया जाए, तो गुर्दे और मसाने की पथरी को गला कर निकाल देती है।

हज़रत ईसा (अ.स) को खुदा मानने का गुनाह

क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है –

“बिलाशुबा वह लोग भी काफिर हो गए जिन्होंने यूँ कहा के अल्लाह तआला तीन (खुदाओ) में से एक है, हालांके एक खुदा के अलावा कोई माबूद नहीं और अगर यह लोग इन बातों से बाज़ नहीं आएंगे, तो जो लोग उनमें से कुफ्र पर कायम रहेंगे उन को ज़रूर दर्दनाक अज़ाब पहुंचेगा।”

📕 सूरह मायदा: ७३

अल्लाह तआला ने ज़ुल्म को हराम कर दिया है

रसूलुल्लाह (ﷺ) हदीसे कुदसी बयान करते हुए फर्माते हैं के अल्लाह तआला फर्माता है :

“ऐ मेरे बन्दो! मैंने अपने ऊपर जुल्म को हराम कर दिया है और उस को तुम्हारे दर्मियान भी हराम कर दिया है, लिहाजा तुम एक दूसरे पर जुल्म मत किया करो।”

📕 मुस्लिम: ६५७२

इशा के बाद दो रकात नमाज पढना

हजरत अब्दुल्लाह बिन उमर (र.अ) बयान फ़र्माते हैं के,

“मैंने रसूलुल्लाह (ﷺ) के साथ ईशा की फर्ज नमाज़ के बाद दो रकात (सुन्नत) पढ़ी है।”

📕 बुखारी : ११७२

फायदा: इशा की नमाज के बाद वित्र से पहले दो रकात पढ़ना सुन्नते मोअक्कदा है।

दीनी भाई की जियारत की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जिस ने किसी मरीज़ की इयादत की, या किसी दीनी भाई की जियारत की, तो एक पुकारने वाला (फरिश्ता) कहता है। तुम (दुनिया में) अच्छे रहो, तुम्हारा (अच्छे कामों की तरफ) चलना मुबारक हो और तुम ने (अपने इस अमल के जरिये) जन्नत का बुलंद दर्जा हासिल कर लिया है।”

📕 तिर्मिज़ी: २००८

ईद के बाद शव्वाल के 6 रोजे की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:

“जो शख्स रमजान के रोजों को रखने के बाद शव्वाल के छ: (६) रोजे भी रखे, तो वह पूरे साल के रोजे रखने के बराबर है।

📕 मुस्लिम : २७५८

फायदा: जो शख्स शव्वाल के पूरे महीने में कभी भी इन 6 रोजों को रखेगा तो वह इस फजीलत का मुस्तहिक होगा।

पछना के जरिये दर्द का इलाज

हजरत इब्ने अब्बास (र.अ) बयान करते हैं के :

“रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एहराम की हालत में दर्द की वजह से सर में पछना लगवाया।”

📕 बुखारी: ५७०१

फायदा: पछना लगाने से बदन से फ़ासिद खून निकल जाता है जिस की वजह से दर्द वगैरह खत्म हो जाता है और आँख की रोशनी तेज़ हो जाती है।

दुनिया से बेरग़वती का इनाम

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:

“जो शख्स जन्नत का ख्वाहिश मन्द होगा वह भलाई में जल्दी करेगा।
और जो शख्स जहन्नम से खौफ करेगा, वह ख्वाहिशात से गाफिल (बेपरवाह) हो जाएगा
और जो मौत का इंतज़ार करेगा उसपर लज्जतें बेकार हो जाएगी
और जो शख्स दुनिया में जुद (दुनिया से बेरगबती) इख्तियार करेगा,
उस पर मुसीबतें आसान हो जाएँगी।”

📕 शोअबुल ईमान: १०२१९

कयामत किन लोगों पर आएगी

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“कयामत सिर्फ बदतरीन लोगों पर ही आएगी।”

📕 मुस्लिम : ७४०२

फायदा: जब तक इस दुनिया में एक शख्स भी अल्लाह का नाम लेने वाला जिंदा रहेगा, उस वक्त तक दुनिया का निजाम चलता रहेगा, लेकिन जब अल्लाह का नाम लेने वाला कोई न रहेगा और सिर्फ बदतरीन और बुरे लोग ही रह जाएँगे, तो उस वक़्त क़यामत कायम की जाएगी।

बिमारियों का इलाज

हज़रत अनस (र.अ) के पास दो शख्स आए, जिन में से एक ने कहा: ऐ अबू हम्जा (यह हजरत अनस (र.अ) की कुन्नियत है) मुझे तकलीफ है, यानी मैं बीमार हूँ, तो हजरत अनस (र.अ) ने फ़रमाया: क्या मैं ! तुम को उस दुआ से दम न कर दूं जिस से रसूलुल्लाह (ﷺ) दम किया करते थे? उस ने कहा :जी हाँ जरूर , तो उन्होंने यह दुआ पढ़ी:

तर्जुमा: ऐ अल्लाह! लोगों के रब! तकलीफ को दूर कर देने वाले, शिफा अता फरमा, तू ही शिफा देने वाला है तेरे सिवा कोई शिफा देने वाला नहीं, ऐसी शिफा अता फरमा के बीमारी बिलकुल बाकी ना रहे।

📕 बुखारी : ५७४२

मोहताजगी व जिल्लत से पनाह माँगना

रसूलुल्लाह (ﷺ)  ने फ़रमाया :
फक्र व मोहताजगी और जिल्लत से इस तरह पनाह माँगा करो :

हम अल्लाह की पनाह चाहते हैं, फक्र व फाका और जिल्लत से और इससे के हम किसी पर जुल्म करें, या हम पर कोई जुल्म करे।

📕 इब्ने माजा : ३८४२

जन्नत का मौसम

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“उन (अहले ईमान) के सब्र के बदले में (उन्हें) जन्नत और रेशमी लिबास अता किया जाएगा, उन की यह हालत होगी के जन्नत में मसेहरियों पर तकिये लगाए बैठे होंगे, वहाँ उन्हें न गर्मी का एहसास होगा और न वह सर्दी महसूस करेंगे।”

📕 सूरह दहर : १२ ता १३

सब के साथ हुस्ने सुलूक (अच्छा बर्ताव) करो

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“तुम सब अल्लाह की इबादत करो, उस के साथ किसी को शरीक न करो, माँ बाप, रिश्तेदारों, यतीमों, मिस्कीनों, करीबी पड़ोसियों और दूर के पड़ोसियों, पास बैठने वालों, मुसाफिरों और जो लोग तुम्हारे मातहत हों, सब के साथ हुस्ने सुलूक (अच्छा बर्ताव) करो और अल्लाह तआला तकब्बुर (घमंड) करने वाले और शेखी (बढ़ाई) मारने वाले को बिलकुल पसंद नहीं करता।”

📕 सूरह निसा:३६

जहन्नम का जोश

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“जब जहन्नम (क़यामत के झुटलाने वालों) को दूर से देखेगी, तो वह लोग (दूर ही से) उस का जोश व खरोश सुनेंगे और जब वह दोज़ख़ की किसी तंग जगह में हाथ पाँव जकड़ कर डाल दिये जाएंगे, तो वहाँ मौत ही मौत पुकारेंगे। (जैसा के मुसीबत में लोग मौत की तमन्ना करते हैं)।”

📕 सूर-ए-फुरकान : १२ ता १३

अल्लाह और उस के रसूल की इताअत करो

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

” ऐ ईमान वालो! तुम अल्लाह और उस के रसूल की इताअत करो
और (शरीअत के मुताबिक फैसला करने वाले) हाकिमों की भी इताअत करो।”

📕 सूरह निसा : ५९

औरतों का खुशबु लगाकर बाहर निकलने का गुनाह

रसुलअल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“जो औरत इत्र लगा कर लोगों के पास से गुजरे, ताके लोग उस की खुश्बू महसूस करें, तो वह ज़ानिया है और हर (देखने वाली) आँख जिनाकार होगी।”

📕 तिर्मिज़ी : २७८६, अबी मूसा (र.अ)

ज़ानिया: जीना करने वाली खातून

मोतदिल गिज़ा का इस्तेमाल

खीरा (ककड़ी) के फवाइद

रसूलुल्लाह (ﷺ) खजूर के साथ खीरे खाते थे।

📕 बुखारी : ५४४७

फायदा : मुहद्विसी ने किराम फ़र्माते हैं के खजूर चूँकि गर्म होती है इस लिये आप (ﷺ) उस के साथ ठंडी चीज खीरा (ककड़ी) इस्तेमाल फर्माते थे ताके दोनों मिलकर मोतदिल हो जाएं।

मुसाफा करने की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“जब दो मुसलमान मिलते हैं और एक दूसरे से मुसाफह करते हैं (यानी हाथ मिलाते हैं) तो उनके जुदा होने से पहले पहले दोनो की मगफिरत कर दी जाती है।”

📕 तिरमिजी : २७२७, अन बरा बिन आजिब (र.अ)

हर नमाज़ के लिये वुजू करना

हजरत अनस (र.अ) बयान करते हैं के,

आप (ﷺ) की आदते शरीफा थी, के बा वुजू होने के बावजूद हर नमाज के लिये ताज़ा वुजू फरमाते और हम लोग कई नमाजें एक ही वुजू से पढ़ते थे।

📕 अबू दाऊद : १७१