आखिरत – इस्लाम की तीसरी अनिर्वाय आस्था

आखिरत का अर्थ होता है – परलोकवाद (अंतिम प्रलय या मृत्यु के पच्छात जीवन पर विश्वास):
*जैसे के: हम इस जीवन से पहले मृत्य थे, इश्वर(अल्लाह) ने हमे पृथ्वी पर भेजा (जीवन दिया).. तो एक मृत्यु और उसके बाद ये जीवन एक हुआ ,. इस जीवन के बाद फिर एक मृत्यु है और उस मृत्यु के बाद फिर एक जीवन है यानी फिर दोबारा हम उठाये जाने वाले है ,..

– और उठने के बाद मुझे और आपको हिसाब (अकाउन्ट्स) देना है,.. क्या कर्म कर के आये है? सुकर्म , कुकर्म और उसके हिसाब से हमे जन्नत(स्वर्ग) और जहन्नुम(नर्क) मिलने वाली है ,..

– तो हमे अच्छे कर्म करना है क्यूंकि हम जवाब देना (Accountable) है इश्वर के सामने , मरने के बाद हमे जवाब देना है ,..
और इसी बात को कुरआन ने कहा –

हे मानवों! तुम कैसे इनकारी हो सकते हो उस अल्लाह के ? जबकि तुम निर्जीव थे तो उसी अल्लाह ने तुमको एक जीवन दिया, और फिर तुम एक दिन मरने वाले हो , और फिर तुम्हे उठाया जायेगा और लौट कर तुम सबको उसी अल्लाह के पास जाना है ,..” – (कुरआन २:२८)

*तो वही कार्य करो जो इश्वर केहता है .,.. उसी एक सत्य इश्वर (अल्लाह) पर इमान लाओ, उसके भेजे हुए मार्गदर्शक इश्दुत(नबी,रसूल) पर इमान लाओ और सत्य पर चलते हुए सत्कर्म करो,..

*और जो लोग उस सत्य के मार्ग पर चलेंगे उनके संधर्भ में कुरआन कहता है –
(जब शैतान ने आदम और उसकी पत्नी हव्वा को बहका दिया और वो स्वर्ग से निकाले गए और जब पृथ्वी पर भेजा जा रहा था तब इश्वर ने उनको ये नसीहत की)

अब जाओ तुम स्वर्ग से ,. और याद रखना ! मेरी तरफ से जब कभी तुम्हे मार्गदर्शन दिखाने वाला , मेरे संदेष्ठा , और मेरे ग्रंथ आये और जो कोई उस मार्गदर्शन पर चला तो याद रखना उस अंतिम प्रलय के दिन उनपर कोई भय नहीं होगा और वो दुखी भी नहीं होंगे ” – (कुरआन २:३८)

*और वो लोग जो अल्लाह के इनकारी बनेंगे उनके बारे में अल्लाह ने अगले श्लोक में कहा:

वो लोग जो इनकारी बनेंगे और हमारी बातो को झुठला देंगे वोही लोग होंगे जिनको में नर्क में डालूँगा और वो हमेशा इसके अंदर रहेंगे” – (कुरआन २:३९)

*तो इस्लाम की ३ मुख्य आस्थाये (तौहीद , रिसालत, आखिरत) जिनको मानना सम्पूर्ण मानवजाति के लिए अनिर्वाय है ,…

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